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आर्थिक तंगी से परेशान मां ने किया अपने बच्चे का सौदा - मां ने किया बच्चे का सौदा

आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव में अपना जीवन बीताती एक ऐसी मां, जो चारों ओर से घिरी संकट की दीवारों के बीच आर्थिक तंगी से लड़ने को मजबूर थी. आर्थिक तंगी जिसके चलते उस मां को अपने कलेजे के टुकड़े का सौदा करना पड़ा. पढ़े पूरी खबर...

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आर्थिक तंगी से परेशान एक मां ने किया अपने बच्चे का सौदा
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Published : Sep 6, 2020, 9:00 PM IST

गोदावरी : आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के डेंडुलूर गांव से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. एक मां जो अपने बच्चे को जीवन देने के लिए कलेजे के टुकड़े को बेचने को मजबूर है. गरीबी की मार झेल रही ये मां अपनी ही औलाद को आश्रय देने के लिए ये कठोर कदम उठा रही है, लेकिन इस बीच एक समाजसेवी संस्था ने इसे रोक दिया और बच्ची को चाइल्ड केयर सेंटर में ले आए.

अपने बच्चे के जीवन को बचाने के लिए, एक मां ने कुछ ऐसा किया जो शायद कोई भी मां नहीं कर सकती. आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के डेंडुलुर में अपने बच्चे की जिंदगी के खातिर ये मां उसे बेचने को मजबूर है. इस बीच एक चैरिटी संगठन ने उस औरत को ऐसा करने से रोका और बच्चे को देखभाल केंद्र में स्थानांतरित कर दिया. गुंटूर जिले के पेदाकुरपाडु गांव की रहने वाली सिरिशा अपने माता-पिता की मृत्यु के समय अपनी बहन के घर चली गई थी. दुर्भाग्य से वे एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए, इसलिए सिरिशा को उनके बेटे तेज साई की जिम्मेदारी लेनी पड़ी. चूंकि गांव में कोई रोजगार नहीं था, इसलिए वह एलुरु पहुंच गई.

पति के धोखा से टूट चुकी थी सिरिशा
इसके बाद सिरिशा बुद्ध रवि नाम के एक व्यक्ति से मिली, जो एलुरु में छोटी मजदूरी का काम करता था. उसने सिरशा से यह कहकर शादी की कि वह अपने साथ तेज का भी ध्यान रखेगा, लेकिन बाद में उसने अपने असली रंग दिखाए. उसने सिरिशा को परेशान करना शुरू कर दिया, क्योंकि उसका एक अन्य महिला के साथ अवैध संबंध था. इस बीच, सिरिशा ने एक बालिका को जन्म दिया. इस दौरान वह अपने पति के उत्पीड़न को सहन करने में असमर्थ थी, उसने पुलिस से संपर्क किया.

पढ़ें :- कोविड-19 से सात मिलियन बच्चों को हो सकता है कुपोषण : संयुक्त राष्ट्र

कलेजे के टुकड़े का सौदा था मजबूरी
इसी बीच बुद्ध रवि एक अन्य महिला के साथ भाग गया. कोरोना महामारी के दौरान वह आजीविका के लिए संघर्ष करती रही. धीरे-धीरे मदद के सारे रास्ते बंद होने के बाद उसने अपने बच्चे को बेचने का फैसला किया. उसने सोचा कि अगर वह किसी को बच्चा बेचती है तो बच्चा सुरक्षित भी रहेगा और सलामत भी. उसने सोचा कि वह और उसका बेटा (बहन का बेटा) उस पैसे से कुछ दिनों तक जीवित रह सकते हैं. उसके पास के लोगों को मामले का पता चला, 'सेव मिशन' संगठन को सूचित किया. संगठन की अध्यक्ष मेडिदी निकोला वहां पहुंची और उसे सांत्वना दिया. बच्चे को दो महीने के लिए चाइल्ड केयर होम में भर्ती कराया गया था. स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और पुलिस अब इस मामले को देख रही है.

गोदावरी : आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के डेंडुलूर गांव से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. एक मां जो अपने बच्चे को जीवन देने के लिए कलेजे के टुकड़े को बेचने को मजबूर है. गरीबी की मार झेल रही ये मां अपनी ही औलाद को आश्रय देने के लिए ये कठोर कदम उठा रही है, लेकिन इस बीच एक समाजसेवी संस्था ने इसे रोक दिया और बच्ची को चाइल्ड केयर सेंटर में ले आए.

अपने बच्चे के जीवन को बचाने के लिए, एक मां ने कुछ ऐसा किया जो शायद कोई भी मां नहीं कर सकती. आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के डेंडुलुर में अपने बच्चे की जिंदगी के खातिर ये मां उसे बेचने को मजबूर है. इस बीच एक चैरिटी संगठन ने उस औरत को ऐसा करने से रोका और बच्चे को देखभाल केंद्र में स्थानांतरित कर दिया. गुंटूर जिले के पेदाकुरपाडु गांव की रहने वाली सिरिशा अपने माता-पिता की मृत्यु के समय अपनी बहन के घर चली गई थी. दुर्भाग्य से वे एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए, इसलिए सिरिशा को उनके बेटे तेज साई की जिम्मेदारी लेनी पड़ी. चूंकि गांव में कोई रोजगार नहीं था, इसलिए वह एलुरु पहुंच गई.

पति के धोखा से टूट चुकी थी सिरिशा
इसके बाद सिरिशा बुद्ध रवि नाम के एक व्यक्ति से मिली, जो एलुरु में छोटी मजदूरी का काम करता था. उसने सिरशा से यह कहकर शादी की कि वह अपने साथ तेज का भी ध्यान रखेगा, लेकिन बाद में उसने अपने असली रंग दिखाए. उसने सिरिशा को परेशान करना शुरू कर दिया, क्योंकि उसका एक अन्य महिला के साथ अवैध संबंध था. इस बीच, सिरिशा ने एक बालिका को जन्म दिया. इस दौरान वह अपने पति के उत्पीड़न को सहन करने में असमर्थ थी, उसने पुलिस से संपर्क किया.

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कलेजे के टुकड़े का सौदा था मजबूरी
इसी बीच बुद्ध रवि एक अन्य महिला के साथ भाग गया. कोरोना महामारी के दौरान वह आजीविका के लिए संघर्ष करती रही. धीरे-धीरे मदद के सारे रास्ते बंद होने के बाद उसने अपने बच्चे को बेचने का फैसला किया. उसने सोचा कि अगर वह किसी को बच्चा बेचती है तो बच्चा सुरक्षित भी रहेगा और सलामत भी. उसने सोचा कि वह और उसका बेटा (बहन का बेटा) उस पैसे से कुछ दिनों तक जीवित रह सकते हैं. उसके पास के लोगों को मामले का पता चला, 'सेव मिशन' संगठन को सूचित किया. संगठन की अध्यक्ष मेडिदी निकोला वहां पहुंची और उसे सांत्वना दिया. बच्चे को दो महीने के लिए चाइल्ड केयर होम में भर्ती कराया गया था. स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और पुलिस अब इस मामले को देख रही है.

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