नई दिल्ली : कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) द्वारा आयोजित एजुकेशन समिट को ऑनलाइन संबोधित करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ऑनलाइन शिक्षा के विषय पर अपनी बात रखी. शिक्षा मंत्री ने कहा कि जब ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम की शुरुआत की गई तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि घर रह कर भी पढ़ाई शुरू कर सकते हैं.
जहां 5% पाठ्यक्रम भी ऑनलाइन नहीं हुआ था वहां आज लगभग 70% पाठ्यक्रम को ऑनलाइन उपलब्ध करवाया जा रहा है. स्वयं, स्वंय प्रभा, ई-पाठशाला, दीक्षा, एनडीएल जैसे विभिन्न माध्यमों से छात्रों तक शिक्षा को पहुंचाने का काम किया जा रहा है. स्वयं प्रभा के 32 चैनल लगातार चलेंगे जो डिश टीवी, डीटीएच, टाटा स्काय, इत्यादि पर उपलब्ध होंगे.
उन्होंने कहा, 'हम ऑनलाइन का एक ऐसा मॉडल तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जब हमें इस बात का गर्व होगा कि भारत हर मुसीबत का सामना कर सकता है. जो बच्चे अंतिम छोर पर हैं, जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है, इंटरनेट नहीं है उन उन बच्चों की भी हमें चिंता है. उन तक पहुंचने के लिए रेडियो और टीवी के माध्यम से कोशिश कर रहे हैं.'
रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया, 'आत्मनिर्भर पैकेज में से प्रधानमंत्री ई-विद्या के तहत भी सौगात मिली है, जिसमें हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. प्रधानमंत्री ने 'एक देश एक डिजिटल प्लेटफॉर्म' की बात की, जिस पर हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. एक क्लास एक चैनल कार्यक्रम पर भी काम हो रहा है, हम अरुणाचल से कच्छ तक और लेह-लद्दाख से कन्याकुमारी तक चारों ओर के अंतिम छोर तक के बच्चे की चिंता कर रहे हैं.'
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शिक्षा मंत्री ने आगे बताया कि देश में 33 वर्षों के बाद जो नई शिक्षा नीति आ रही है, वह पूरी तरह से भारत पर केंद्रित होगी जो कि ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी से युक्त होगी. हम अपनी पुरानी चीजों को भी नवाचार से आगे लेकर जाएंगे.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिन क्षेत्रों में इंटरनेट या स्मार्ट फोन की सुविधा नहीं है, उन बच्चों तक कम्युनिटी रेडियो और टीवी के माध्यम से ऑनलाइन क्लास चला कर पढ़ाई कराई जा सकती है.
बता दें कि देश में कोरोना संकट के बीच शिक्षण संस्थानों को बंद रखा गया है और लॉकडाउन की घोषणा के तीन महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अब तक महामारी पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है. ऐसे में सरकार ने लगातार ऑनलाइन शिक्षा के लिए संस्थानों को प्रेरित किया है और कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ऑनलाइन शिक्षा को सभी वर्ग के छात्रों तक पहुंचाने की पहल की है.
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हालांकि विशेषज्ञ और शिक्षाविद लगातार यह कहते रहे हैं कि ऑनलाइन शिक्षा सामान्य स्कूली शिक्षा का विकल्प नहीं हो सकता. विशेषज्ञ मानते हैं कि शहरी क्षेत्र में रहने वाले सक्षम परिवारों के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा का लाभ ले सकते हैं, लेकिन ऐसे करोड़ों छात्र जो ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं या शहर में ही सुविधाओं के अभाव में पढ़ाई करते हैं उनके सामने ऑनलाइन शिक्षा बड़ी चुनौती है, ऐसे करोड़ो छात्र शिक्षा से महरूम रह जाएंगे.