शिखर सम्मेलन वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक और कोविड-19 महामारी पर जी-20 शेरपा की बैठक का समापन था. 2008 के वित्तीय संकट को कम करने के लिए वैश्विक समूह ने हाथ मिलाया था. लेकिन इस बार विषय आर्थिक राजनीतिक नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती से जुड़ा था. पीएम मोदी ने रेखांकित किया कि 2008 के संकट के बाद से, जी-20 ज्यादातर विशुद्ध रूप से आर्थिक एजेंडे पर केंद्रित था और मानव जाति के संचयी हितों के बजाय व्यक्तिगत हितों को प्रतिस्पर्धा में संतुलित कर रहा था.
प्रधानमंत्री ने मानव को वैश्विक समृद्धि और सहयोग के केंद्र में रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया. उन्होंने स्वतंत्र रूप से और खुले तौर पर चिकित्सा अनुसंधान और विकास के लाभों को साझा करने, अनुकूली, उत्तरदायी और मानवीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को विकसित करने पर जोर देने को कहा.
संकट प्रबंधन प्रोटोकॉल को बढ़ावा
इंटरकनेक्टेड ग्लोबल विलेज के लिए बल्लेबाजी करते हुए, पीएम मोदी ने नए संकट प्रबंधन प्रोटोकॉल को बढ़ावा देने और डब्ल्यूएचओ जैसे अंतर-सरकारी संगठनों को मजबूत करने और सुधार करने की आवश्यकता को भी हरी झंडी दी और विशेष रूप से आर्थिक रूप से परेशान, अतिरिक्त स्रोतों के लिए कोविड-19 से उत्पन्न आर्थिक कठिनाइयों को कम करने के लिए काम किया.
इस बातचीत पर नजर रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, 'अनिवार्य रूप से प्रधानमंत्री ने जो कहा वह यह था कि आर्थिक और वित्तीय जरूरतों ने हमारे वैश्विक सामूहिक विवेक के मानवीय पहलुओं को वास्तव में कम महत्वपूर्ण बना दिया. अनिवार्य रूप से कोविड महामारी एक चुनौती है. लिहाजा, इसने जी-20 और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वैश्वीकरण की एक नई अवधारणा को देखने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया है. इसका मुख्य जोर मानवता पर ध्यान केंद्रित करना है. फिर चाहे वह आतंकवाद हो या जलवायु परिवर्तन का मुकाबला हो.'
शिखर बैठक के विचार पर पहली बार पीएम मोदी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस के साथ अपनी बातचीत में चर्चा की जो कि जी 20 के वर्तमान अध्यक्ष हैं. इस साल के अंत में रियाद में होने वाली शिखर बैठक से पहले नेताओं को फिर से जुड़ने की जरूरत महसूस हुई. पीएम मोदी ने अपनी टिप्पणी में याद दिलाया कि कोविड-19 मामलों का 90% और 88% मौतें जी-20 देशों में थीं, जबकि वे विश्व जीडीपी का 80% और विश्व जनसंख्या का 60% हिस्सा रहे हैं.
कोविड-19 सॉलिडैरिटी रिस्पॉन्स फंड
बैठक में, विश्व नेताओं ने महामारी को रोकने और लोगों की सुरक्षा के लिए एक समन्वित प्रतिक्रिया खोजने पर सहमति व्यक्त की. देशों ने कोविड-19 के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक इंजेक्शन लगाने के लिए प्रतिबद्ध किया है. नेताओं ने स्वैच्छिक आधार पर अलग-अलग डब्लूएचओ के नेतृत्व वाले कोविड-19 सॉलिडैरिटी रिस्पॉन्स फंड में योगदान देने पर भी सहमति व्यक्त की. उन्होंने महामारी के खिलाफ लड़ाई में डब्ल्यूएचओ के जनादेश को मजबूत करने का समर्थन किया, जिसमें चिकित्सा आपूर्ति, नैदानिक उपकरण, उपचार, दवाएं और टीके शामिल हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि डब्ल्यूएचओ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को मजबूत करने और सुधार की आवश्यकता है. डब्ल्यूएचओ के पास शुरू में इस तरह की महामारी से निपटने का जनादेश नहीं था. यही कारण है कि डब्ल्यूएचओ को सशक्त बनाना आवश्यक है, क्योंकि यह प्रारंभिक चेतावनियों या प्रभावी टीकों या क्षमता निर्माण के विकास की क्षमता के संदर्भ में है.
विचार-विमर्श ने विश्व के शीर्ष नेताओं को वैश्विक विकास, बाजार की स्थिरता और आर्थिक लचीलापन मजबूत करने के लिए सभी उपलब्ध नीति उपकरणों के लिए प्रतिबद्ध देखा. इस बैठक में एक दूसरे पर या किसी अन्य देशों पर दोष लगाने की बात नहीं कही गई. भारत ने शुरुआती स्तर पर जिस तरीके से कोविड के खिलाफ रणनीति अपनाई, उसकी सबने तारीफ की. बैठक में इसकी सराहना की गई कि पीएम मोदी ने जनता से लगातार संवाद स्थापित किया और राजकोषीय प्रोत्साहन के लिए भी कई कदम उठाए.
पढ़ें : जी-20 में बोले प्रधानमंत्री- कोरोना ने वैश्वीकरण की नई अवधारणा को देखने का अवसर दिया
सूत्रों ने इस बैठक की जानकारी देते हुए कहा, 'संकट की उत्पत्ति के लिए कोई संदर्भ नहीं था. कौन जिम्मेदार है, इसकी चर्चा नहीं की गई. इस चुनौती से निपटने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास पर बल दिया गया. इस पर ध्यान केंद्रित किया गया कि हम अन्य राज्यों की मदद करने के लिए अपनी तैयारी किस तरह कर सकते हैं. बैठक में इस पर बल दिया गया कि इससे हमें क्या सीख मिली है. कोविड-19 के बाद भी अगर ऐसी किसी महामारी का सामना करना पड़ा, तो दुनिया उससे कैसे निपटेगी, इस पर गंभीरता से विचार करें. उसके लिए रणनीति बनाएं. कोविड 19 तो एक वेक अप कॉल की तरह है.'
ऑनलाइन आयोजित की गई
जी -20 शिखर बैठक से पहले कई बैठकें ऑनलाइन आयोजित की गई थीं. सार्क ऑनलाइन सम्मेलन का भारत ने नेतृत्व किया. इसके अगले दिन जी 7 के नेताओं ने ऑनलाइन चर्चा की. जी 20 उसी कड़ी की बैठक थी. इसके अलावा सार्क देशों के स्वास्थ्य पेशेवरों ने भी गुरुवार को दो घंटे से अधिक बैठक की. कोविड-19 निधि का किसी तरह उपयोग किया जाए, इस पर विस्तार से चर्चा की गई. भारत ने इस फंड में 10 मिलि. अमेरिकी डॉलर और अन्य दक्षिण एशियाई समूह ने पांच मिलि. डॉलर देने का भरोसा दिया है.
पढ़ें : जी-20 सम्मेलन : कोरोना के खिलाफ 5 लाख करोड़ डॉलर के पैकेज का एलान
एक अधिकारी ने बताया कि अगर यह पहल नहीं की जाती, तो आज क्षेत्रीय सहयोग ना होता. सार्क देशों के केन्द्र में भारत है. भारत ने विशेष पहल की. आज हम एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. हमारी सहायता पहले ही इन देशों में जा चुकी है. हम प्रोटोकॉल को विकसित करने, परीक्षण के मुद्दों से निपटने, दवाइयां, सुरक्षात्मक गियर प्रदान करने में दक्षेस देशों की मदद करने में सबसे आगे हैं. इसके बाद हमने अब इस मुद्दे को विश्व स्तर पर उठाने की पहल की है.
जी 20 देशों ने ओलंपिक खेलों को फिर से शुरू करने के लिए 2021 की गर्मियों की तारीख को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा निर्णय का स्वागत किया. नेताओं ने उम्मीद जताई कि प्रतिबंध और लॉकडाउन अस्थायी प्रकृति के होंगे. हालांकि सहमति है कि यह कब तक होगा, किसी को पता नहीं है. आगे बढ़ने वाले ब्लूप्रिंट पर निर्णय लेने के लिए जारी विज्ञप्ति से अलग एक्शन पेपर के मसौदे पर भी विचार किया जा रहा है. जी 20 शेरपा के तहत फ्रेमवर्क संयुक्त कार्य समूह अब व्यापक कार्ययोजना को अंतिम रूप देने के लिए बैठक करेगा.
(स्मिता शर्मा)