ETV Bharat / bharat

डिजिटल गैप कम करेंगे, अंतिम पंक्ति तक नेट की सुविधा होगी : निशंक

कोरोना महामारी के कारण सामाजिक और आर्थिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कोरोना के कारण शैक्षणिक गतिविधियों पर भी असर पड़ा है. यही कारण है कि देश में ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है. हालांकि, अब भी देश के कई गांव ऐसे हैं जहां बेहतर इंटरनेट सुविधा उपलब्ध नहीं है तो वहीं छात्रों के पास मोबाइल फोन या जरूरी उपकरण नहीं हैं, जो ऑनलाइन शिक्षा में बाधा बन रहे हैं. इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत ने मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से बातचीत की.

डॉ रमेश पोखरियाल निशंक
डॉ रमेश पोखरियाल निशंक
author img

By

Published : Jul 18, 2020, 7:12 AM IST

Updated : Jul 18, 2020, 8:08 AM IST

नई दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि कोविड-19 के दौर में भारत के स्कूलों और विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन एजुकेशन की चुनौती को बड़ी सहजता के साथ स्वीकार किया है. मार्च में लॉकडाउन के बाद भले ही शुरुआती दिक्कतें आई हों, लेकिन स्कूलों और कॉलेजों ने चुनौती को बखूबी स्वीकार किया.

उन्होंने कहा कि देश में 1 करोड़ 9 लाख से ज्यादा शिक्षक हैं और उन्होंने बहुत कम समय में न सिर्फ ऑनलाइन शिक्षण को अपनाया बल्कि उससे करोड़ों छात्रों को फायदा पहुंचाया.

ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ रमेश पोखरियाल

जिस समय छात्रों के ऊपर पाठ्यक्रम का बोझ था, सरकार ने एनसीईआरटी के साथ मिलकर उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों में बदलाव किया. केंद्रीयमंत्री ने बताया कि मानव संसाधन मंत्रालय कोरोना काल में लगातार स्वास्थ्य मंत्रालय और गृहमंत्रालय के संपर्क में है और हम छात्रों की पढ़ाई और उनके सेहत को लेकर लगातार परामर्श करते रहते हैं.

डॉ निशंक ने कहा कि सरकार ने एनसीईआरटी के साथ मिलकर ऐसा शैक्षणिक कैलेंडर बनाया है, जिससे छात्रों का तनाव कम हुआ है और उन्हें अपनी पढ़ाई को और व्यवस्थित तौर पर करने का अवसर मिला है. यह बातें केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रज मोहन से विशेष बातचीत के दौरान की.

वर्तमान शिक्षा की स्थिति पर बात करते हुए डॉ निशंक ने कहा कि भारत ने कोरोना जैसे महासंकट में, जिस तरह से खुद को ढाला है, वह अपने आप में लाजवाब है.

डॉ निशंक से ईटीवी भारत ने जब यह पूछा कि कहीं ऑनलाइन शिक्षा की वजह से हमारी परंपरागत शिक्षा व्यवस्था से हमारा ध्यान तो नहीं हट जायेगा, इस पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, 'जिस समय हमने ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था को अंगीकार कर आगे बढ़ना शुरू किया. वह वास्तव में एक विकट समय था, न तो हमें इसके बारे में पता था न ही आपको पता था, लेकिन अगर हम चुनौती को नहीं लेते तो शायद हम आगे भी नहीं बढ़ पाते.

आज भी हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि हम अंतिम छोर पर बैठे हुए हैं. हमारी कोशिश है कि हम अंतिम छात्र तक पहुंचे, ताकि शिक्षा की रौशनी उन बच्चों तक पहुंच सके, जो शिक्षा से वंचित हैं.

डॉ निशंक ने ईटीवी भारत को बताया कि इस बुरे दौर में लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हुई है. इस मकसद से हमने वित्त आयोग और नीति आयोग से भी बात की है, ताकि जरूरतमंद लोगों के लिए जरूरी सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. हमारा लक्ष्य है कि जिन लोगों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, उन लोगों तक डीटीएच के माध्यम से पहुंचा जाए. केंद्र का लक्ष्य है 'वन क्लास वन चैनल,' जिसके तहत सरकार हर क्लास के लिए एक चैनल की सुविधा महैया करवा रही है.

पढ़ें - वर्ष 2100 में भारत की आबादी घटकर होगी 109 करोड़, जीडीपी में नंबर तीन

सरकार सुदूर देहात में रहने वालों तक शिक्षा की रौशनी पहुंचाने के लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों का सहारा ले रही है, जिससे डिजिटल गैप को कम किया जा सके.

सरकार ने ऑनलाइन शिक्षा को और ज्यादा कारगर बनाने के लिए 100 से ज्यादा विश्वविद्यालयों को यह जिम्मेदारी दी है कि वह ऑनलाइन शिक्षा के करीकुलम पर काम कर, छात्रों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने की तयारी करें.

विज्ञान कि पढ़ाई करने वालो छात्रों को आ रही मुश्किलों पार बात करते हुए मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि हम स्कूल और कॉलेज में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिसियल इंटेलीजेन्स) का प्रयोग कर रहे हैं.

शिक्षा के क्षेत्र में भारत एक महाशक्ति रहा है और इस वर्ष की बात करें, तो उच्चतर शिक्षा के लिए इस बार भी 50,000 से ज्यादा विदेशी छात्रों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है.

डॉ निशंक ने कहा कि इसी मकसद से भारत ने गूगल के साथ भी करार किया है ताकि डिजिटल डिवाइड को कम किया जा सके. भारत के लोग, जो अपने विश्वविद्यालयों को कम करके आंकते हैं उन्हें यह समझना होगा कि भारत के आईआईटी से निकल कर ही सुंदर पिचाई गूगल के हेड बने, इसलिए हमें भी स्वदेशी शिक्षण संस्थानों का सम्मान करना होगा, तभी हम दुनिया को चुनौती देने की स्थिति में होंगे.

नई दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि कोविड-19 के दौर में भारत के स्कूलों और विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन एजुकेशन की चुनौती को बड़ी सहजता के साथ स्वीकार किया है. मार्च में लॉकडाउन के बाद भले ही शुरुआती दिक्कतें आई हों, लेकिन स्कूलों और कॉलेजों ने चुनौती को बखूबी स्वीकार किया.

उन्होंने कहा कि देश में 1 करोड़ 9 लाख से ज्यादा शिक्षक हैं और उन्होंने बहुत कम समय में न सिर्फ ऑनलाइन शिक्षण को अपनाया बल्कि उससे करोड़ों छात्रों को फायदा पहुंचाया.

ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ रमेश पोखरियाल

जिस समय छात्रों के ऊपर पाठ्यक्रम का बोझ था, सरकार ने एनसीईआरटी के साथ मिलकर उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों में बदलाव किया. केंद्रीयमंत्री ने बताया कि मानव संसाधन मंत्रालय कोरोना काल में लगातार स्वास्थ्य मंत्रालय और गृहमंत्रालय के संपर्क में है और हम छात्रों की पढ़ाई और उनके सेहत को लेकर लगातार परामर्श करते रहते हैं.

डॉ निशंक ने कहा कि सरकार ने एनसीईआरटी के साथ मिलकर ऐसा शैक्षणिक कैलेंडर बनाया है, जिससे छात्रों का तनाव कम हुआ है और उन्हें अपनी पढ़ाई को और व्यवस्थित तौर पर करने का अवसर मिला है. यह बातें केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रज मोहन से विशेष बातचीत के दौरान की.

वर्तमान शिक्षा की स्थिति पर बात करते हुए डॉ निशंक ने कहा कि भारत ने कोरोना जैसे महासंकट में, जिस तरह से खुद को ढाला है, वह अपने आप में लाजवाब है.

डॉ निशंक से ईटीवी भारत ने जब यह पूछा कि कहीं ऑनलाइन शिक्षा की वजह से हमारी परंपरागत शिक्षा व्यवस्था से हमारा ध्यान तो नहीं हट जायेगा, इस पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, 'जिस समय हमने ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था को अंगीकार कर आगे बढ़ना शुरू किया. वह वास्तव में एक विकट समय था, न तो हमें इसके बारे में पता था न ही आपको पता था, लेकिन अगर हम चुनौती को नहीं लेते तो शायद हम आगे भी नहीं बढ़ पाते.

आज भी हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि हम अंतिम छोर पर बैठे हुए हैं. हमारी कोशिश है कि हम अंतिम छात्र तक पहुंचे, ताकि शिक्षा की रौशनी उन बच्चों तक पहुंच सके, जो शिक्षा से वंचित हैं.

डॉ निशंक ने ईटीवी भारत को बताया कि इस बुरे दौर में लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हुई है. इस मकसद से हमने वित्त आयोग और नीति आयोग से भी बात की है, ताकि जरूरतमंद लोगों के लिए जरूरी सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. हमारा लक्ष्य है कि जिन लोगों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, उन लोगों तक डीटीएच के माध्यम से पहुंचा जाए. केंद्र का लक्ष्य है 'वन क्लास वन चैनल,' जिसके तहत सरकार हर क्लास के लिए एक चैनल की सुविधा महैया करवा रही है.

पढ़ें - वर्ष 2100 में भारत की आबादी घटकर होगी 109 करोड़, जीडीपी में नंबर तीन

सरकार सुदूर देहात में रहने वालों तक शिक्षा की रौशनी पहुंचाने के लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों का सहारा ले रही है, जिससे डिजिटल गैप को कम किया जा सके.

सरकार ने ऑनलाइन शिक्षा को और ज्यादा कारगर बनाने के लिए 100 से ज्यादा विश्वविद्यालयों को यह जिम्मेदारी दी है कि वह ऑनलाइन शिक्षा के करीकुलम पर काम कर, छात्रों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने की तयारी करें.

विज्ञान कि पढ़ाई करने वालो छात्रों को आ रही मुश्किलों पार बात करते हुए मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि हम स्कूल और कॉलेज में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिसियल इंटेलीजेन्स) का प्रयोग कर रहे हैं.

शिक्षा के क्षेत्र में भारत एक महाशक्ति रहा है और इस वर्ष की बात करें, तो उच्चतर शिक्षा के लिए इस बार भी 50,000 से ज्यादा विदेशी छात्रों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है.

डॉ निशंक ने कहा कि इसी मकसद से भारत ने गूगल के साथ भी करार किया है ताकि डिजिटल डिवाइड को कम किया जा सके. भारत के लोग, जो अपने विश्वविद्यालयों को कम करके आंकते हैं उन्हें यह समझना होगा कि भारत के आईआईटी से निकल कर ही सुंदर पिचाई गूगल के हेड बने, इसलिए हमें भी स्वदेशी शिक्षण संस्थानों का सम्मान करना होगा, तभी हम दुनिया को चुनौती देने की स्थिति में होंगे.

Last Updated : Jul 18, 2020, 8:08 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.