नई दिल्ली : कोरोना प्रकोप और देशव्यापी लॉकडाउन के बीच शिक्षा जगत के सामने सबसे बड़ी चुनौती छात्रों को नियमित रूप से पढ़ाई लिखाई से जोड़े रखने की है और ऐसे में शिक्षकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है. आज शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने लाइव वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से देशभर के शिक्षकों को संबोधित किया और उनके सवालों के जवाब भी दिए.
बातचीत के दौरान एक शिक्षक ने यह समस्या रखी कि उन्हें ऑनलाइन पाठ्यक्रम के चार घंटे की क्लास के बाद उसकी रिपोर्ट रोजाना फाइल करनी पड़ती है और उसके बाद अब कॉपियों की जांच करने की जिम्मेदारी भी आ गई है. ऐसे में दोनों काम साथ करना कैसे संभव हो सकता है.
इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा है कि जो शिक्षक कॉपी की जांच करने के काम में लगे हैं, उन शिक्षकों पर काम का कोई अतिरिक्त भार नहीं दिया जाए और सीबीएसई ने इस बाबत दिशानिर्देश भी जारी किए हैं.
गौरतलब है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा देशभर के 3000 स्कूलों को कॉपी मूल्यांकन के लिए चिन्हित किया गया है और लॉकडाउन के दौरान कॉपियों को सीधे शिक्षकों के घर पर जांच के लिए पहुंचाया जा रहा है. शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि सभी कॉपियों के मूल्यांकन की प्रक्रिया 50 दिनों में पूरी हो जाएगी.
मध्य प्रदेश से शिक्षक संभव जैन ने सवाल किया कि लॉकडाउन के बाद स्कूल वापस खोलने की सरकार की क्या रणनीति है और कब तक स्कूलों के खोले जाने की उम्मीद है?
सवाल का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूल के खोले जाने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है, लेकिन इस बात पर चर्चा जरूर चल रही है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद किन निर्देशों का पालन करते हुए स्कूल सामान्य रूप से खोले जाएं.
उच्चतर शिक्षा के लिए इसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय अनुदान परिषद (यूजीसी) को दी गई है, जबकि स्कूलों के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) को ये जिम्मेदारी दी गई है कि किस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य सावधानियों का पालन करते हुए भी सामान्य रूप से क्लास में बच्चे पढ़ सकते हैं और स्कूलों को खोला जा सकता है. शिक्षा मंत्री ने जानकारी दी है कि स्कूलों के लिए टास्क फोर्स का गठन भी NCERT ने कर दिया है.
शिक्षा मंत्री ने एक शिक्षक के सवाल का जवाब देते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि जो शिक्षक कॉपी के मूल्यांकन की प्रक्रिया में लगे हुए हैं, उन शिक्षकों पर नए शैक्षणिक सत्र की तैयारी की जिम्मेदारी नहीं दी जाए.
शिक्षा मंत्रालय द्वारा लगातार ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है और मंत्री भी अपने लाइव वीडियो कांफ्रेंस के दौरान बार बार ऑनलाइन शिक्षा और उसके लिए सरकार द्वारा बनाये गए ऑनलाइन पोर्टल के बारे में बताते रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा दिये जाने पर विशेषज्ञ सवाल उठाते हुए कहते हैं कि देश के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में न ही इंटरनेट की कनेक्टिविटी है और न ही ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक या छात्र ही स्मार्ट फोन या ऑनलाइन माध्यमों से ज्यादा परिचित हैं. इतना ही नहीं, गरीब परिवारों में स्मार्ट फोन और इंटरनेट की सुविधा मौजूद नहीं और ऐसे परिवार भी करोड़ों की संख्या में हैं. ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने से उस श्रेणी के छात्र शिक्षा से दूर हो जाएंगे. एक शिक्षक द्वारा भी यही सवाल आज केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री के सामने रखा गया.
मंत्री ने सवाल के जवाब में कहा कि जिनके यहां इंटरनेट या स्मार्ट फोन की सुविधा नहीं है वह टीवी के माध्यम से भी शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं. आज टीवी लगभग हर घर में है और इसी को ध्यान में रखते हुए स्वयं प्रभा के 32 चैनल दूरदर्शन, डिश टिवी, जियो टीवी और टाटा स्काई पर प्रसारित किए जा रहे हैं. इन सभी चैनलों पर उच्च और तकनीकी शिक्षा से ले कर स्कूली शिक्षा तक के सभी पाठ्यक्रमों का प्रसारण किया जाएगा. जिन परिवारों में टीवी नहीं है उनके लिए रमेश पोखरियाल निशंक ने अपील किया है कि आज पड़ोस के लोग उनकी मदद करें और ऐसे छात्रों का सहयोग करें.