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प्रियंका गांधी का मामला HC से लेकर सूचना आयोग तक गूंजा, पूरा हुआ हिमाचल में घर का सपना

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद हिमाचल की धारा-118 व इसी धारा के तहत मिली अनुमति के पश्चात प्रियंका वाड्रा का आशियाना फिर से चर्चा में आया. आइए, देखते हैं कि एक दशक में कैसे हजार विवादों से गुजर कर प्रियंका का घर का सपना पूरा हुआ.

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Published : Oct 19, 2019, 12:07 AM IST

शिमला: एक दशक तक हजार तरह के विवादों और कानूनी पचड़ों से जूझने के बाद देश के ताकतवर राजनीतिक परिवार से संबंध रखने वाली प्रियंका वाड्रा का हिमाचल में अपने घर का सपना पूरा हो गया है. हाल ही में शिमला के समीप छराबड़ा में प्रियंका वाड्रा ने अपने दो मंजिला मकान में गृह प्रवेश की रस्म पूरी की.

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद हिमाचल की धारा-118 व इसी धारा के तहत मिली अनुमति के पश्चात प्रियंका का आशियाना फिर से चर्चा में आया. आइए, देखते हैं कि एक दशक में कैसे हजार विवादों से गुजर कर प्रियंका का घर का सपना पूरा हुआ.

ये अलग बात है कि कुछ पहलुओं को लेकर प्रियंका का भूमि सौदा अभी भी कानूनी पचड़ों में फंसा है. हर तरह से साधन संपन्न होने के बावजूद प्रियंका वाड्रा को अपने आशियाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. खैर, प्रियंका का ये ड्रीम कई रोचक पहलुओं को समेटे हुए है.

देखें वीडियो.

प्रियंका वाड्रा अपनी मां सोनिया गांधी के साथ अकसर शिमला यात्रा पर आती रहती थीं. गांधी परिवार शिमला के समीप छराबड़ा में स्थित वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल में ठहरती थीं. उसी होटल के समीप सड़क के साथ खूबसूरत वादियां देखकर प्रियंका ने वहां मकान बनाने का सपना संजोया.

चूंकि प्रियंका वाड्रा हिमाचल की मूल निवासी नहीं हैं और यहां जमीन लेने की शर्त हिमाचल का मूल निवासी होना है, लिहाजा प्रियंका को जमीन हासिल करने के लिए धारा-118 का सहारा लेना पड़ा. बाहरी राज्यों के लोगों को हिमाचल में जमीन लेने के लिए सरकार से धारा-118 के तहत परमिशन लेनी पड़ती है.

छराबड़ा में 47 लाख में खरीदी जमीन
मकान बनाने के लिए प्रियंका वाड्रा ने वर्ष 2007 में जमीन खरीदने की औपचारिकताएं पूरी कीं. यह जमीन साढ़े तीन बीघा से अधिक है. आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह जमीन चारों तरफ से हरे-भरे देवदार के विशालकाय पेड़ों से घिरी है.

प्रियंका ने यह जमीन 47 लाख रुपये में खरीदी. इस समय जमीन की कीमत करीब-करीब दो करोड़ रुपये बीघा है. कांग्रेस के स्थानीय नेता केहर सिंह खाची ने इस सौदे को परवान चढ़ाने में अहम भूमिका निभाई. भाजपा व कांग्रेस, हिमाचल की दोनों सरकारों की मेहरबानी से प्रियंका को सहज में ही यह जमीन मिल गई. धारा-118 की परमिशन देने में कैबिनेट में भी तेजी दिखाई गई.

दो मंजिला आशियाना प्रियंका की पसंद
जमीन खरीदने के बाद प्रियंका वाड्रा छराबड़ा में दो मंजिला मकान बनाना चाहती थीं. पहाड़ी शैली में इस मकान की छत्त भी वो परंपरागत स्लेट (एक तरह का पत्थर) से बनाने की इच्छुक थीं. पहले प्रियंका के मकान के निर्माण का कार्य बाहर की कंस्ट्रक्शन कंपनी देख रही थी. शुरुआती समय में मकान का अस्सी फीसदी काम हो भी चुका था, लेकिन प्रियंका यह पसंद नहीं आया और उन्होंने निर्माण कार्य तुड़वा दिया. बाद में यह जिम्मा शिमला की नामी कंस्ट्रक्शन कंपनी तेंजिन एसोसिएट्स को सौंपा गया. वर्ष 2019 में ये काम पूरा हुआ.

आरटीआई की सूचनाओं के जाल में उलझा प्रियंका का सौदा
आरटीआई कार्यकर्ता देवाशीष भट्टाचार्य ने प्रियंका वाड्रा के भूमि सौदे की जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी. प्रियंका ने शुरू से ही जमीन सौदे की जानकारी देने में आनाकानी की. आलम यह हुआ कि मामला हाईकोर्ट में पहुंचा.

देवाशीष भट्टाचार्य ने आरटीआई के तहत आवेदन किया और जनसूचना अधिकारी यानी जिलाधीश शिमला से सौदे की सारी जानकारी चाही. इस पर प्रियंका ने खुद के स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) प्रोटेक्टी होने का तर्क देते हुए जानकारी प्रदान करने से मना किया. प्रियंका का कहना था कि वे एसपीजी प्रोटेक्टी हैं और जमीन सौदे की जानकारी देना उसकी सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है.

सूचना आयोग और फिर हाईकोर्ट पहुंचा मामला
बाद में मामला राज्य सूचना आयोग में पहुंच गया. देवाशीष भट्टाचार्य ने राज्य सूचना आयोग में अपील की. सूचना आयोग ने सुनवाई की और वर्ष 2015 में डीसी शिमला को सारे सौदे की जानकारी आवेदनकर्ता को देने के लिए कहा. सूचना आयोग के इस फैसले के खिलाफ प्रियंका वाड्रा हाईकोर्ट पहुंच गई. हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग के फैसले पर अमल पर रोक लगा दी थी. मामला अभी भी हाईकोर्ट में है.

ये भी पढ़ेंः आंध्र प्रदेश के इस 'श्रवण कुमार' ने खोजा पिता की समस्या का हल, देखें वीडियो

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद आयोग में जारी रही सुनवाई
उधर, सूचना आयोग ने देवाशीष भट्टाचार्य के आवेदन पर हाईकोर्ट की रोक के बाद भी सुनवाई जारी रखी. प्रियंका वाड्रा फिर से हाईकोर्ट की अवमानना की अर्जी लेकर हाईकोर्ट पहुंची. बाद में हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग के तत्कालीन आयुक्त भीमसेन को अदालत में तलब किया.

राज्य सूचना आयुक्त भीमसेन ने हाईकोर्ट में माफी मांगी थी. बाद में कानूनी पचड़ों के बीच ही प्रियंका वाड्रा के मकान का काम चलता रहा. तीन साल से यानी वर्ष 2016 से अटकलें लगती रहती थीं कि प्रियंका अब गृह प्रवेश करेंगी. अंतत: इस साल नवरात्रि में ये काम पूरा हुआ.

पिछले साल राहुल गांधी भी प्रियंका के साथ शिमला आए थे और मकान के कामकाज का जायजा लिया था. पहाड़ी शैली में बने इस मकान की आंतरिक साज-सज्जा प्रियंका की नजदीकी मित्र ने की है. आसपास फूलों की क्यारी है और सेब के पौधे भी लगाए गए हैं. हालांकि हिमाचल में अन्य वीवीआईपी ने भी धारा-118 के तहत जमीन लेकर मकान बनाए हैं, लेकिन जितनी उलझनें प्रियंका वाड्रा को पेश आई वो अपने आप में चर्चा बन गई.

शिमला: एक दशक तक हजार तरह के विवादों और कानूनी पचड़ों से जूझने के बाद देश के ताकतवर राजनीतिक परिवार से संबंध रखने वाली प्रियंका वाड्रा का हिमाचल में अपने घर का सपना पूरा हो गया है. हाल ही में शिमला के समीप छराबड़ा में प्रियंका वाड्रा ने अपने दो मंजिला मकान में गृह प्रवेश की रस्म पूरी की.

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद हिमाचल की धारा-118 व इसी धारा के तहत मिली अनुमति के पश्चात प्रियंका का आशियाना फिर से चर्चा में आया. आइए, देखते हैं कि एक दशक में कैसे हजार विवादों से गुजर कर प्रियंका का घर का सपना पूरा हुआ.

ये अलग बात है कि कुछ पहलुओं को लेकर प्रियंका का भूमि सौदा अभी भी कानूनी पचड़ों में फंसा है. हर तरह से साधन संपन्न होने के बावजूद प्रियंका वाड्रा को अपने आशियाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. खैर, प्रियंका का ये ड्रीम कई रोचक पहलुओं को समेटे हुए है.

देखें वीडियो.

प्रियंका वाड्रा अपनी मां सोनिया गांधी के साथ अकसर शिमला यात्रा पर आती रहती थीं. गांधी परिवार शिमला के समीप छराबड़ा में स्थित वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल में ठहरती थीं. उसी होटल के समीप सड़क के साथ खूबसूरत वादियां देखकर प्रियंका ने वहां मकान बनाने का सपना संजोया.

चूंकि प्रियंका वाड्रा हिमाचल की मूल निवासी नहीं हैं और यहां जमीन लेने की शर्त हिमाचल का मूल निवासी होना है, लिहाजा प्रियंका को जमीन हासिल करने के लिए धारा-118 का सहारा लेना पड़ा. बाहरी राज्यों के लोगों को हिमाचल में जमीन लेने के लिए सरकार से धारा-118 के तहत परमिशन लेनी पड़ती है.

छराबड़ा में 47 लाख में खरीदी जमीन
मकान बनाने के लिए प्रियंका वाड्रा ने वर्ष 2007 में जमीन खरीदने की औपचारिकताएं पूरी कीं. यह जमीन साढ़े तीन बीघा से अधिक है. आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह जमीन चारों तरफ से हरे-भरे देवदार के विशालकाय पेड़ों से घिरी है.

प्रियंका ने यह जमीन 47 लाख रुपये में खरीदी. इस समय जमीन की कीमत करीब-करीब दो करोड़ रुपये बीघा है. कांग्रेस के स्थानीय नेता केहर सिंह खाची ने इस सौदे को परवान चढ़ाने में अहम भूमिका निभाई. भाजपा व कांग्रेस, हिमाचल की दोनों सरकारों की मेहरबानी से प्रियंका को सहज में ही यह जमीन मिल गई. धारा-118 की परमिशन देने में कैबिनेट में भी तेजी दिखाई गई.

दो मंजिला आशियाना प्रियंका की पसंद
जमीन खरीदने के बाद प्रियंका वाड्रा छराबड़ा में दो मंजिला मकान बनाना चाहती थीं. पहाड़ी शैली में इस मकान की छत्त भी वो परंपरागत स्लेट (एक तरह का पत्थर) से बनाने की इच्छुक थीं. पहले प्रियंका के मकान के निर्माण का कार्य बाहर की कंस्ट्रक्शन कंपनी देख रही थी. शुरुआती समय में मकान का अस्सी फीसदी काम हो भी चुका था, लेकिन प्रियंका यह पसंद नहीं आया और उन्होंने निर्माण कार्य तुड़वा दिया. बाद में यह जिम्मा शिमला की नामी कंस्ट्रक्शन कंपनी तेंजिन एसोसिएट्स को सौंपा गया. वर्ष 2019 में ये काम पूरा हुआ.

आरटीआई की सूचनाओं के जाल में उलझा प्रियंका का सौदा
आरटीआई कार्यकर्ता देवाशीष भट्टाचार्य ने प्रियंका वाड्रा के भूमि सौदे की जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी. प्रियंका ने शुरू से ही जमीन सौदे की जानकारी देने में आनाकानी की. आलम यह हुआ कि मामला हाईकोर्ट में पहुंचा.

देवाशीष भट्टाचार्य ने आरटीआई के तहत आवेदन किया और जनसूचना अधिकारी यानी जिलाधीश शिमला से सौदे की सारी जानकारी चाही. इस पर प्रियंका ने खुद के स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) प्रोटेक्टी होने का तर्क देते हुए जानकारी प्रदान करने से मना किया. प्रियंका का कहना था कि वे एसपीजी प्रोटेक्टी हैं और जमीन सौदे की जानकारी देना उसकी सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है.

सूचना आयोग और फिर हाईकोर्ट पहुंचा मामला
बाद में मामला राज्य सूचना आयोग में पहुंच गया. देवाशीष भट्टाचार्य ने राज्य सूचना आयोग में अपील की. सूचना आयोग ने सुनवाई की और वर्ष 2015 में डीसी शिमला को सारे सौदे की जानकारी आवेदनकर्ता को देने के लिए कहा. सूचना आयोग के इस फैसले के खिलाफ प्रियंका वाड्रा हाईकोर्ट पहुंच गई. हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग के फैसले पर अमल पर रोक लगा दी थी. मामला अभी भी हाईकोर्ट में है.

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हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद आयोग में जारी रही सुनवाई
उधर, सूचना आयोग ने देवाशीष भट्टाचार्य के आवेदन पर हाईकोर्ट की रोक के बाद भी सुनवाई जारी रखी. प्रियंका वाड्रा फिर से हाईकोर्ट की अवमानना की अर्जी लेकर हाईकोर्ट पहुंची. बाद में हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग के तत्कालीन आयुक्त भीमसेन को अदालत में तलब किया.

राज्य सूचना आयुक्त भीमसेन ने हाईकोर्ट में माफी मांगी थी. बाद में कानूनी पचड़ों के बीच ही प्रियंका वाड्रा के मकान का काम चलता रहा. तीन साल से यानी वर्ष 2016 से अटकलें लगती रहती थीं कि प्रियंका अब गृह प्रवेश करेंगी. अंतत: इस साल नवरात्रि में ये काम पूरा हुआ.

पिछले साल राहुल गांधी भी प्रियंका के साथ शिमला आए थे और मकान के कामकाज का जायजा लिया था. पहाड़ी शैली में बने इस मकान की आंतरिक साज-सज्जा प्रियंका की नजदीकी मित्र ने की है. आसपास फूलों की क्यारी है और सेब के पौधे भी लगाए गए हैं. हालांकि हिमाचल में अन्य वीवीआईपी ने भी धारा-118 के तहत जमीन लेकर मकान बनाए हैं, लेकिन जितनी उलझनें प्रियंका वाड्रा को पेश आई वो अपने आप में चर्चा बन गई.

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Special story on Priyanka Gandhi Vadra's House in Shimla

 


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