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होम्योपैथी, भारतीय दवाओं के लिए दो विधेयकों को राज्यसभा की मंजूरी

केंद्रीय होम्योपैथी परिषद और भारतीय केंद्रीय परिषद से संबंधित विधेयकों को राज्यसभा की मंजूरी मिलने के बाद हर्षवर्धन ने कहा कि इस विधेयक के जरिये न तो आयुर्वेद और होम्योपैथी के बीच किसी भी तरह के ‘ब्रिज कोर्स’ का प्रावधान है और न ही इससे किसी भी तरह की स्वायत्तता पर कोई अतिक्रमण होगा.

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दो विधेयकों को राज्यसभा की मंजूरी
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Published : Sep 19, 2020, 12:41 PM IST

Updated : Sep 19, 2020, 1:29 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय होम्योपैथी परिषद और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद से संबंधित अध्यादेशों की जगह लेने वाले दो विधेयकों को शुक्रवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई.

होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक 2020 में केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के गठन के लिए और एक साल का समय देने का प्रस्ताव किया गया है. पहले इसके लिए दो साल का समय दिया जा चुका है.

भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक 2020 में केंद्रीय परिषद के पुनर्गठन के लिए एक साल के समय का प्रस्ताव किया गया है और अंतरिम अवधि में एक ‘बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स’ उसके अधिकारों का उपयोग करेगा.

दोनों विधेयकों पर हुई चर्चा के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार देश के हर नागरिक को उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में जरूरी तथा आधुनिक सुधार किए जा रहे हैं और पांच साल में हुए अहम बदलाव साफ नजर आ रहे हैं.

हर्षवर्धन ने कहा कि इस विधेयक के जरिये न तो आयुर्वेद और होम्योपैथी के बीच किसी भी तरह के ‘ब्रिज कोर्स’ का प्रावधान है और न ही इससे किसी भी तरह की स्वायत्तता पर कोई अतिक्रमण होगा.

अध्यादेश लाने के विपक्ष के आरोपों पर सरकार का बचाव करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है और पहले भी जरूरत पड़ने पर पूर्ववर्ती सरकारों ने अध्यादेश का रास्ता अपनाया था.

हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार पूरे मन से भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और अगर ऐसा नहीं होता तो भारतीय चिकित्सा परिषद की जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग नहीं बनाया गया होता.

यह भी पढ़ें : भारतीय चिकित्सा प्रणाली की गुणवत्ता सुनिश्चित करने संबंधी विधेयक को मंजूरी

नैचुरोपथी और योग के संदर्भ में मंत्री ने कहा कि इसके महत्व को देखते हुए नीति आयोग ने सुझाव दिया था कि इसके लिए एक अलग राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग होना चाहिए. हर्षवर्धन ने कहा कि अब प्रयास चल रहे हैं और जल्द ही यह आयोग भी अस्तित्व में आ जाएगा.

देश में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में जब इतिहास लिखा जाएगा तो वर्तमान सरकार के कार्यकाल में जितने स्वास्थ्य सुधार हुए और पूरी दुनिया में उन्हें जिस तरह से सराहा गया, उसका जिक्र स्वर्ण अक्षरों में किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि दोनों विधेयक लाने के लिए सरकार की मंशा साफ है और वह देश के हर नागरिक को उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना चाहती है. उन्होंने कहा कि वह सदन में मौजूद सदस्यों से इन विधेयकों को आम सहमति से पारित करने का अनुरोध करते हैं.

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.

इसके साथ ही सदन ने पिछले दिनों जारी होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश तथा भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश को नामंजूर करने के लिए विपक्ष द्वारा पेश संकल्प को अस्वीकार कर दिया.

दोनों विधेयकों को 14 सितंबर को उच्च सदन में पेश किया गया था. संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर को ही शुरू हुआ है.

केंद्रीय होम्योपैथी परिषद (संशोधन) विधेयक 2020 के जरिये 1973 के होम्योपैथी केंद्रीय परिषद कानून 1973 में संशोधन का प्रस्ताव है तथा यह विधेयक 24 अप्रैल को जारी होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश 2020 का स्थान लेगा.

नई दिल्ली : केंद्रीय होम्योपैथी परिषद और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद से संबंधित अध्यादेशों की जगह लेने वाले दो विधेयकों को शुक्रवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई.

होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक 2020 में केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के गठन के लिए और एक साल का समय देने का प्रस्ताव किया गया है. पहले इसके लिए दो साल का समय दिया जा चुका है.

भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक 2020 में केंद्रीय परिषद के पुनर्गठन के लिए एक साल के समय का प्रस्ताव किया गया है और अंतरिम अवधि में एक ‘बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स’ उसके अधिकारों का उपयोग करेगा.

दोनों विधेयकों पर हुई चर्चा के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार देश के हर नागरिक को उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में जरूरी तथा आधुनिक सुधार किए जा रहे हैं और पांच साल में हुए अहम बदलाव साफ नजर आ रहे हैं.

हर्षवर्धन ने कहा कि इस विधेयक के जरिये न तो आयुर्वेद और होम्योपैथी के बीच किसी भी तरह के ‘ब्रिज कोर्स’ का प्रावधान है और न ही इससे किसी भी तरह की स्वायत्तता पर कोई अतिक्रमण होगा.

अध्यादेश लाने के विपक्ष के आरोपों पर सरकार का बचाव करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है और पहले भी जरूरत पड़ने पर पूर्ववर्ती सरकारों ने अध्यादेश का रास्ता अपनाया था.

हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार पूरे मन से भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और अगर ऐसा नहीं होता तो भारतीय चिकित्सा परिषद की जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग नहीं बनाया गया होता.

यह भी पढ़ें : भारतीय चिकित्सा प्रणाली की गुणवत्ता सुनिश्चित करने संबंधी विधेयक को मंजूरी

नैचुरोपथी और योग के संदर्भ में मंत्री ने कहा कि इसके महत्व को देखते हुए नीति आयोग ने सुझाव दिया था कि इसके लिए एक अलग राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग होना चाहिए. हर्षवर्धन ने कहा कि अब प्रयास चल रहे हैं और जल्द ही यह आयोग भी अस्तित्व में आ जाएगा.

देश में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में जब इतिहास लिखा जाएगा तो वर्तमान सरकार के कार्यकाल में जितने स्वास्थ्य सुधार हुए और पूरी दुनिया में उन्हें जिस तरह से सराहा गया, उसका जिक्र स्वर्ण अक्षरों में किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि दोनों विधेयक लाने के लिए सरकार की मंशा साफ है और वह देश के हर नागरिक को उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना चाहती है. उन्होंने कहा कि वह सदन में मौजूद सदस्यों से इन विधेयकों को आम सहमति से पारित करने का अनुरोध करते हैं.

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.

इसके साथ ही सदन ने पिछले दिनों जारी होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश तथा भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश को नामंजूर करने के लिए विपक्ष द्वारा पेश संकल्प को अस्वीकार कर दिया.

दोनों विधेयकों को 14 सितंबर को उच्च सदन में पेश किया गया था. संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर को ही शुरू हुआ है.

केंद्रीय होम्योपैथी परिषद (संशोधन) विधेयक 2020 के जरिये 1973 के होम्योपैथी केंद्रीय परिषद कानून 1973 में संशोधन का प्रस्ताव है तथा यह विधेयक 24 अप्रैल को जारी होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश 2020 का स्थान लेगा.

Last Updated : Sep 19, 2020, 1:29 PM IST
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