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वर्ल्ड ब्रेल डे पर जानिए इससे जुड़े तथ्य

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Published : Jan 4, 2021, 7:13 AM IST

Updated : Jan 4, 2021, 1:31 PM IST

ब्रेल लिपि का आविष्कार करने वाले लुई ब्रेल का आज जन्मदिवस है. लुईस ब्रेल का जन्म फ्रांस में 4 जनवरी 1809 को हुआ था. उनकी बचपन में ही आंखों की रोशनी चली गई थी. इसके बावजूद उन्होंने शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. उन्होंने नेत्रहीन लोगों के लिए 6 डॉट कम्यूनिकेशन सिस्टम विकसित किया था. उनके जन्म दिन के अवसर पर दुनियाभर में ब्रेल दिवस मनाया जाता है.

लुईस ब्रेल
लुईस ब्रेल

हैदराबाद : लुईस ब्रेल का जन्म फ्रांस में 4 जनवरी 1809 को हुआ था. ब्रेल जब छोटे थे, तभी एक दुर्घटना में उनकी दोनों ही आंखों की रोशनी चली गई थी. इसके बावजूद ब्रैल ने अपनी कमियों को दरकिनार करते हुए शिक्षा की क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया.

ब्रेल को बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता था फिर भी उन्होंने शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और फ्रांस के रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ को छात्रवृत्ति हासिल की.

पढ़ाई के दौरान ब्रेल ने फ्रांसीसी सेना के कैप्टन चार्ल्स बार्बियर की सैन्य क्रिप्टोग्राफी से प्रेरित होकर, स्पर्श कोड की एक प्रणाली विकसित की, जो नेत्रहीन लोगों को जल्द और कुशलता से पढ़ने और लिखने में मदद कर सके.

ब्रेल ने केवल 15 साल की उम्र में अपने दोस्तों को दिखाया कि हार्डवर्क से सबकुछ हासिल किया जा सकता है.

1829 में उन्होंने अपने द्वारा बनाई गई प्रणाली के बारे में अपनी पहली पुस्तक ' मेथड ऑफ राइटिंग ऑफ वर्ड्स, म्यूजिक, और प्लेन सोंग्स ऑफ बाय मीन्स ऑफ डॉट्स' प्रकाशित की. इस किताब को ब्लाइंड लोगों के उपयोग के लिए तैयार किया गया था.

यह ब्रेल प्रणाली 3 पंक्तियों में 6 डॉट फिंगर टिप सीरीज में एलफाबेट लेटर (और संख्याओं) का प्रतिनिधित्व की मदद से काम करती है.

उनके विचार की सादगी ने पुस्तकों को बड़े पैमाने पर एक प्रारूप में उत्पादित करना शुरू कर दिया, जिसे हजारों ब्लाइंड लोग अपनी उंगलियों को डॉट्स पर चलाकर पढ़ सकते हैं.

इसके लिए उनको धन्यवाद कहना चाहिए, क्योंकि उनके कारण नेत्रहीन छात्रों को अपने साथियों के साथ-साथ शिक्षित होने का अवसर मिला. वो इसकी मदद से इस तरह पढ़ सकते हैं, जैसे कोई आम इंसान पढ़ता है.

ब्रेल डे से जुढ़े अहम तथ्य

विश्व ब्रेल दिवस लुईस ब्रेल की याद में मनाया जाता है. लुईस ब्रैल ने नेत्रहीन लोगों के संचार के लिए स्पर्श कोड की एक प्रणाली विकसित की. लुईस का जन्म फ्रांस में 4 जनवरी 1809 को हुआ था.

लुईस ब्रेल ने नेत्रहीन छात्रों का चार्लस बार्बियर स्कूल का दौरा करने के बाद 6 डॉट फिंगर टिप रीडिंग सिस्टम को विकसित किया.

चार्ल्स बार्बियर, नेपोलियन की सेना में एक कैप्टन था और उसने छात्रों के साथ नाइट राइटिंग नामक एक कम्यूनिकेशन कोड शेयर किया था.

लुईस 10 साल की आयु में चार्लस से मिला था. लुईस 15 साल की उम्र में 6 डॉट कम्यूनिकेशन सिस्टम बनाकर नेत्रहीन लोगों का जीवन बदल दिया.

ब्रेल की अपनी भाषा नहीं है, बल्कि यह एक कोड है जिसका कई भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है.

जनवरी 2016 में यूनिफाइड इंग्लिश ब्रेल (UEB) का लॉन्च हुआ. ब्रेल अथॉरिटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (BANA) के सदस्यों ने यूनिफाइड इंग्लिश ब्रैल को इंग्लिश ब्रैल अमेरिकन एडिशन (EBAE) में बदलने के लिए को वोट दिया.

द वर्ल्ड ब्रेल यूनियन (WBU) वर्ल्ड इन्टलेक्चूअल प्रापर्टी ऑरग्नाइजेशन (WIPO) के साथ काम कर रही है.

अन्य संबंधित संगठनों के साथ मिलकर ब्रेल में हस्तांतरित की जा रही बौद्धिक संपदा की बाधाओं को दूर करने के लिए एक संधि की गई, जिसे मारकेश संधि कहा जाता है. इसे 2013 में लागू किया गया था.

आइए कुछ क्षेत्रों पर नजर डालते हैं, जिससे ब्रेल को स्वतंत्र बनाया जा सकता है.

ब्रेल नेत्रहीन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है. कई संगठन हैं जो ब्रैल सीखने में व्यक्तियों के साथ काम कर रहे हैं .कई फार्मेसी कंपनियां ब्रैल लेबल की पेशकश कर रहे हैं. इसी तरह अन्य आइटम पर ब्रैल लेबल लगाने के लिए थोड़ा अतिरिक्त समय नेत्रहीन लोगों को थोड़ी और स्वतंत्रता दे सकता है.

ब्रेल भाषा में परिवर्तन नहीं है; यह प्रतीकों में बदलाव है. 26-अक्षर प्रणाली होने के बजाय, ब्रैल एक 6-सेल डॉट सिस्टम है, जो प्रिंट सामग्री में उपयोग किए जाने वाले प्रत्येक अक्षर और प्रतीक का प्रतिनिधित्व करता है.

6-सेल डॉट सिस्टम को उभारा जाता है और जिसे देखकर अक्षरों के महसूस किया जा सकता है और पहचाना जा सकता है.

क्या आप जानते हैं, ज्यादातर संगठन कानूनी रूप से नेत्रहीन लोगों के लिए प्रिंट प्रारूप के विकल्प की पेशकश करने के लिए बाध्य हैं ?

कभी-कभी यह एक बोझ जैसा लग सकता है, लेकिन कई संगठन पहले से ही अपने कई ग्राहकों को ब्रेल प्रदान कर रहे हैं. आप किसी भी सामाग्री में ब्रेल का इस्तेमाल कर सकते हैं.

ब्रेल को पढ़ने में नेत्रहीन लोगों को होनी वाली समस्याएं

भारत में नेत्रहीन लोगों लोगों की शिक्षा दर एक फीसदी से भी कम है. प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी ब्रेल के प्रसार और अनुकूलन में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है. क्योंकि ब्रैल कि सक्रिप्ट को समझने के लिए एक अध्यापक की बेहद जरूरत होती है.

शिक्षकों की कमी के कारण दृष्टिहीन बच्चे का पढ़ाई की ओर ध्यान आकर्षित करना बहुत कठिन होता है. इसके अलावा, ब्रेल को पढ़ाने और सीखने के तरीके कई दशकों तक आश्चर्यजनक रूप से अपरिवर्तित रहे हैं.

नई टेक्नोलॉजी और इंवेनशन

एनी, थिंकरबेल लैब्स के इनोवेशन ने ब्रेल सेल्फ-लर्निंग, कीयथास्थिति को बदलने की उम्मीद जगाई है. शिक्षक से निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता के बिना सशक्त बनाने के लिए एनी को डिजाइन किया गया है. इसे पांच भाषाओं - अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, तेलुगु, और कन्नड़ में मौजूद ब्रेल शिक्षण सामग्री के साथ अटैच करके बनाया गया है.

इसका उद्देश्य ब्रेल में पढ़ने, लिखने और टाइपिंग के लिए एक प्रभावी सेल्फ-लर्निंग टूल बनाना है, जो शिक्षार्थियों को उस समय तक अपने पाठ का अभ्यास करने का समय देता है, जब तक कि वो खुड संतुष्ट न हो जाए.

भारत की पहली एनी स्मार्ट क्लास और थिंकरबेल लैब्स की एनी इकोसिस्टम की पहली तैनाती, जून 2018 को झारखंड के रांची स्थित राज्यक्रत नेत्रहीन मध्य विद्यालय में की गई थी.

देहरादून में नेशनल इंस्टीटियूट फॉर द इम्रावमेंट ऑफ पर्सनस विद विजुअल डिसएबिलिटी और नीति आयोग ने सुढाव दिया है कि पूरे भारत में राज्य सरकारें दृष्टिबाधित बच्चों के लिए ब्रेल साक्षरता में सुधार करने के लिए एनी की क्षमताओं का लाभ उठाएं

थिंकरबेल लैब्स ने अब तक पूरे भारत में 20 एनी स्मार्ट क्लासेस की स्थापना की है और दुनिया भर के कई समावेशी स्कूलों में एनीज ने भागीदारी की है.

हैदराबाद : लुईस ब्रेल का जन्म फ्रांस में 4 जनवरी 1809 को हुआ था. ब्रेल जब छोटे थे, तभी एक दुर्घटना में उनकी दोनों ही आंखों की रोशनी चली गई थी. इसके बावजूद ब्रैल ने अपनी कमियों को दरकिनार करते हुए शिक्षा की क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया.

ब्रेल को बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता था फिर भी उन्होंने शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और फ्रांस के रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ को छात्रवृत्ति हासिल की.

पढ़ाई के दौरान ब्रेल ने फ्रांसीसी सेना के कैप्टन चार्ल्स बार्बियर की सैन्य क्रिप्टोग्राफी से प्रेरित होकर, स्पर्श कोड की एक प्रणाली विकसित की, जो नेत्रहीन लोगों को जल्द और कुशलता से पढ़ने और लिखने में मदद कर सके.

ब्रेल ने केवल 15 साल की उम्र में अपने दोस्तों को दिखाया कि हार्डवर्क से सबकुछ हासिल किया जा सकता है.

1829 में उन्होंने अपने द्वारा बनाई गई प्रणाली के बारे में अपनी पहली पुस्तक ' मेथड ऑफ राइटिंग ऑफ वर्ड्स, म्यूजिक, और प्लेन सोंग्स ऑफ बाय मीन्स ऑफ डॉट्स' प्रकाशित की. इस किताब को ब्लाइंड लोगों के उपयोग के लिए तैयार किया गया था.

यह ब्रेल प्रणाली 3 पंक्तियों में 6 डॉट फिंगर टिप सीरीज में एलफाबेट लेटर (और संख्याओं) का प्रतिनिधित्व की मदद से काम करती है.

उनके विचार की सादगी ने पुस्तकों को बड़े पैमाने पर एक प्रारूप में उत्पादित करना शुरू कर दिया, जिसे हजारों ब्लाइंड लोग अपनी उंगलियों को डॉट्स पर चलाकर पढ़ सकते हैं.

इसके लिए उनको धन्यवाद कहना चाहिए, क्योंकि उनके कारण नेत्रहीन छात्रों को अपने साथियों के साथ-साथ शिक्षित होने का अवसर मिला. वो इसकी मदद से इस तरह पढ़ सकते हैं, जैसे कोई आम इंसान पढ़ता है.

ब्रेल डे से जुढ़े अहम तथ्य

विश्व ब्रेल दिवस लुईस ब्रेल की याद में मनाया जाता है. लुईस ब्रैल ने नेत्रहीन लोगों के संचार के लिए स्पर्श कोड की एक प्रणाली विकसित की. लुईस का जन्म फ्रांस में 4 जनवरी 1809 को हुआ था.

लुईस ब्रेल ने नेत्रहीन छात्रों का चार्लस बार्बियर स्कूल का दौरा करने के बाद 6 डॉट फिंगर टिप रीडिंग सिस्टम को विकसित किया.

चार्ल्स बार्बियर, नेपोलियन की सेना में एक कैप्टन था और उसने छात्रों के साथ नाइट राइटिंग नामक एक कम्यूनिकेशन कोड शेयर किया था.

लुईस 10 साल की आयु में चार्लस से मिला था. लुईस 15 साल की उम्र में 6 डॉट कम्यूनिकेशन सिस्टम बनाकर नेत्रहीन लोगों का जीवन बदल दिया.

ब्रेल की अपनी भाषा नहीं है, बल्कि यह एक कोड है जिसका कई भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है.

जनवरी 2016 में यूनिफाइड इंग्लिश ब्रेल (UEB) का लॉन्च हुआ. ब्रेल अथॉरिटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (BANA) के सदस्यों ने यूनिफाइड इंग्लिश ब्रैल को इंग्लिश ब्रैल अमेरिकन एडिशन (EBAE) में बदलने के लिए को वोट दिया.

द वर्ल्ड ब्रेल यूनियन (WBU) वर्ल्ड इन्टलेक्चूअल प्रापर्टी ऑरग्नाइजेशन (WIPO) के साथ काम कर रही है.

अन्य संबंधित संगठनों के साथ मिलकर ब्रेल में हस्तांतरित की जा रही बौद्धिक संपदा की बाधाओं को दूर करने के लिए एक संधि की गई, जिसे मारकेश संधि कहा जाता है. इसे 2013 में लागू किया गया था.

आइए कुछ क्षेत्रों पर नजर डालते हैं, जिससे ब्रेल को स्वतंत्र बनाया जा सकता है.

ब्रेल नेत्रहीन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है. कई संगठन हैं जो ब्रैल सीखने में व्यक्तियों के साथ काम कर रहे हैं .कई फार्मेसी कंपनियां ब्रैल लेबल की पेशकश कर रहे हैं. इसी तरह अन्य आइटम पर ब्रैल लेबल लगाने के लिए थोड़ा अतिरिक्त समय नेत्रहीन लोगों को थोड़ी और स्वतंत्रता दे सकता है.

ब्रेल भाषा में परिवर्तन नहीं है; यह प्रतीकों में बदलाव है. 26-अक्षर प्रणाली होने के बजाय, ब्रैल एक 6-सेल डॉट सिस्टम है, जो प्रिंट सामग्री में उपयोग किए जाने वाले प्रत्येक अक्षर और प्रतीक का प्रतिनिधित्व करता है.

6-सेल डॉट सिस्टम को उभारा जाता है और जिसे देखकर अक्षरों के महसूस किया जा सकता है और पहचाना जा सकता है.

क्या आप जानते हैं, ज्यादातर संगठन कानूनी रूप से नेत्रहीन लोगों के लिए प्रिंट प्रारूप के विकल्प की पेशकश करने के लिए बाध्य हैं ?

कभी-कभी यह एक बोझ जैसा लग सकता है, लेकिन कई संगठन पहले से ही अपने कई ग्राहकों को ब्रेल प्रदान कर रहे हैं. आप किसी भी सामाग्री में ब्रेल का इस्तेमाल कर सकते हैं.

ब्रेल को पढ़ने में नेत्रहीन लोगों को होनी वाली समस्याएं

भारत में नेत्रहीन लोगों लोगों की शिक्षा दर एक फीसदी से भी कम है. प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी ब्रेल के प्रसार और अनुकूलन में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है. क्योंकि ब्रैल कि सक्रिप्ट को समझने के लिए एक अध्यापक की बेहद जरूरत होती है.

शिक्षकों की कमी के कारण दृष्टिहीन बच्चे का पढ़ाई की ओर ध्यान आकर्षित करना बहुत कठिन होता है. इसके अलावा, ब्रेल को पढ़ाने और सीखने के तरीके कई दशकों तक आश्चर्यजनक रूप से अपरिवर्तित रहे हैं.

नई टेक्नोलॉजी और इंवेनशन

एनी, थिंकरबेल लैब्स के इनोवेशन ने ब्रेल सेल्फ-लर्निंग, कीयथास्थिति को बदलने की उम्मीद जगाई है. शिक्षक से निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता के बिना सशक्त बनाने के लिए एनी को डिजाइन किया गया है. इसे पांच भाषाओं - अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, तेलुगु, और कन्नड़ में मौजूद ब्रेल शिक्षण सामग्री के साथ अटैच करके बनाया गया है.

इसका उद्देश्य ब्रेल में पढ़ने, लिखने और टाइपिंग के लिए एक प्रभावी सेल्फ-लर्निंग टूल बनाना है, जो शिक्षार्थियों को उस समय तक अपने पाठ का अभ्यास करने का समय देता है, जब तक कि वो खुड संतुष्ट न हो जाए.

भारत की पहली एनी स्मार्ट क्लास और थिंकरबेल लैब्स की एनी इकोसिस्टम की पहली तैनाती, जून 2018 को झारखंड के रांची स्थित राज्यक्रत नेत्रहीन मध्य विद्यालय में की गई थी.

देहरादून में नेशनल इंस्टीटियूट फॉर द इम्रावमेंट ऑफ पर्सनस विद विजुअल डिसएबिलिटी और नीति आयोग ने सुढाव दिया है कि पूरे भारत में राज्य सरकारें दृष्टिबाधित बच्चों के लिए ब्रेल साक्षरता में सुधार करने के लिए एनी की क्षमताओं का लाभ उठाएं

थिंकरबेल लैब्स ने अब तक पूरे भारत में 20 एनी स्मार्ट क्लासेस की स्थापना की है और दुनिया भर के कई समावेशी स्कूलों में एनीज ने भागीदारी की है.

Last Updated : Jan 4, 2021, 1:31 PM IST
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