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जानिए नंदीग्राम के बारे में जहां हिंदू-मुस्लिम में बंट रही सियासत

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम पार्टियां अपनी तैयारियों में जुटी हैं. राजनीतिक सरगर्मियों के बीच बयानबाजी भी खूब हो रही है. ममता बनर्जी ने हाल में ही नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान किया था. बनर्जी के इस एलान ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है, क्योंकि नंदीग्राम को भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है. ममता के एलान के बाद शुभेंदु ने कहा था कि यदि मुझे मेरी पार्टी नंदीग्राम से चुनाव मैदान में उतारती है, तो मैं उनको कम से कम 50000 वोटों के अंतर से हराऊंगा. अन्यथा मैं राजनीति छोड़ दूंगा. आइए जानते हैं इस सीट के बारे में विस्तृत से....

नंदीग्राम
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Published : Jan 20, 2021, 7:44 PM IST

Updated : Jan 20, 2021, 8:23 PM IST

नंदीग्राम (प.बंगाल) : रक्तरंजित नंदीग्राम के संघर्ष ने ममता बनर्जी को एक जुझारू जन नेता की पहचान दी और अब इसी जमीन पर उन्हें कभी उन्हीं के सिपहसालार रहे शुभेंदु अधिकारी से कड़ी चुनौती मिल रही है. आम तौर पर ग्रामीण और शहरी पश्चिम बंगाल की विशेषताओं को अपने में समेटे सामान्य कृषि क्षेत्र नजर आने वाले इस इलाके को भू-अधिग्रहण विरोधी संघर्ष ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया था. विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं एक बार फिर यहां संघर्ष का खतरा मंडराने लगा है, जिससे नंदीग्राम की शांति भंग होने का अंदेशा है.

औद्योगीकरण के लिए सरकारी भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कभी काफी हद तक एक जुट होकर सबसे खूनी संघर्ष का गवाह बना नंदीग्राम आज सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकृत नजर आता है.

प्रदेश में तत्कालीन वामपंथी सरकार द्वारा यहां विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) बनाने के लिये भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 2007 में हर तरफ सुनाई देने वाले नारे ‘तोमर नाम, अमार नाम…नंदीग्राम, नंदीग्राम’ (तुम्हारा नाम, मेरा नाम नंदीग्राम, नंदीग्राम) से यह इलाका अब काफी आगे निकल आया है.

आज नंदीग्राम की दीवारों पर धुंधले दिखाई देते तोमार नाम अमार नाम, नंदीग्राम, नंदीग्राम की जगह जय श्री राम का नारा प्रमुखता से दिखता है.

ममता बनर्जी ने की यहां चुनाव लड़ने घोषणा
इस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की सबसे बड़ी वजह क्षेत्र के कद्दावर नेता और तृणमूल कांग्रेस में अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके शुभेंदु अधिकारी का भाजपा में शामिल होना और फिर ममता बनर्जी का यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा करना है.

बनर्जी द्वारा सोमवार को की गई घोषणा का पूरे पूर्वी मिदनापूर्व जिले में असर होगा.

बनर्जी और अधिकारी दोनों ही नंदीग्राम आंदोलन के नायक रहे हैं. टीएमसी सुप्रीमों पथ प्रदर्शक के तौर पर रहीं तो अधिकारी जमीनी स्तर पर उनके सिपहसालार रहे जो एसईजेड के खिलाफ जन रैलियों का आयोजन करते थे. इस एसईजेड में इंडोनेशिया के सलीम समूह द्वारा रसायनिक केंद्र स्थापित किया जाना था.

टीएमसी के लोकसभा सदस्य और अधिकारी के पिता शिशिर तब भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति (बीयूपीसी) के संयोजक थे. इस समिति में विभिन्न राजनीतिक विचारधारा के लोग शामिल थे. टीएमसी, कांग्रेस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और यहां तक की वाम दलों के असंतुष्ट सदस्यों ने भी सरकार के साथ एकजुट होकर यह संघर्ष किया.

पश्चिम बंगाल की सियासत में वामदलों और कांग्रेस के हाशिये पर जाने के बाद नंदीग्राम में बनर्जी की टीएमसी और भाजपा के बीच एक कड़ी व कड़वाहट भरी सियासी जंग के आसार बन रहे हैं.

विरोधी दलों की रैलियों पर हमले हो रहे हैं, लोग जख्मी हो रहे हैं.

बीयूपीसी के संघर्ष के बाद इस क्षेत्र में कोई उद्योग नहीं आया और नंदीग्राम की अर्थव्यवस्था का मुख्य रूप से कृषि उत्पादों, चावल व सब्जियों और आसपास के इलाकों में ताजा मछली की आपूर्ति पर टिकी है.

नंदीग्राम में 2007-11 के बीच संघर्ष से यहां की शांति भंग हुई जब बूयीपीसी और माकपा समर्थकों के बीच हुई झड़प में कई लोग मारे गए लेकिन इसके बावजूद इलाके में कभी धार्मिक या सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण नहीं हुआ और मतभेद पूरी तरह राजनीतिक ही थे.

स्थानीय निवासी रसूल काजी का बयान
भू-अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में हिस्सा ले चुके स्थानीय निवासी रसूल काजी ने बताया, बीते छह-सात सालों में नंदीग्राम काफी बदल गया है. पहले सभी समुदाय यहां मिलजुल कर शांति से रहते थे. मतभेद और हिंसा पहले भी होती थी लेकिन वे धार्मिक नहीं राजनीति आधारित होती थीं. अब यह धर्म से उपजती है जहां एक तरफ बहुसंख्य हिंदू होते हैं तो दूसरी तरफ मुसलमान. हमनें पहले कभी यहां ऐसी स्थिति नहीं देखी.

नंदीग्राम में गोकुलपुर गांव के बामदेव मंडल सांप्रदायिक विभाजन के लिये टीएमसी को आरोपी ठहराते हैं.

मंडल ने कहा कि टीएमसी सरकार ने (मुस्लिम) तुष्टिकरण की अपनी नीति की अति कर दी जिससे एक समुदाय दूसरे के सामने आ खड़ा हुआ.

भू-अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के बाद से इलाके में विकास नहीं होने को लेकर भी मंडल नाराज हैं.

उन्होंने कहा कि हिंदू और मुसलमान साथ मिलकर लड़े लेकिन हमें क्या मिला?...कुछ मुट्ठीभर नेताओं और एक समुदाय विशेष के लोगों को सभी फायदा मिला. अब लोग नाराज हैं और टीएमसी को सबक सिखाएंगे.

टीएमसी पंचायत समिति के एक सदस्य ने नाम न जाहिर करने की इच्छा व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि मुसलमानों को छात्रवृत्तियों में भी वरीयता दी जा रही है.

उसने कहा कि माकपा कभी धर्म के आधार पर लोगों में भेदभाव नहीं करती थी. बताइए हमें कि हिंदू क्यों भाजपा के साथ नहीं जाएं? हमनें पार्टी को भेदभाव को लेकर चेताया था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

बीयूपीसी से जुड़े रहे शेख सूफियन हालांकि इन दावों को भाजपा के भ्रामक प्रचार अभियान का हिस्सा करार देते हैं.

नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में करीब 70 प्रतिशत हिंदू हैं जबकि शेष मुसलमान.

भाजपा महासचिव गौर हरि मैती का बयान
तामलुक जिले के भाजपा महासचिव गौर हरि मैती ने बताया कि नंदीग्राम विस्फोटक के मुहाने पर बैठा है और इसके लिये सिर्फ टीएमसी की तुष्टिकरण की राजनीति जिम्मेदार है. अगर आप बहुसंख्य समुदाय को उसके अधिकार देने से इनकार कर देंगे तो आपको परिणाम भुगतने होंगे.

टीएमसी के पूर्वी मिदनापुर के प्रमुख अखिल गिरि को भरोसा है कि नंदीग्राम अपना धर्मनिरपेक्ष चरित्र नहीं खोएगा.

उन्होंने कहा कि शुभेंदु और उनके दरबारी नेता कहते हैं कि नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.12 लाख हिंदू और 70 हजार मुसलमान मतदाता हैं. लेकिन हम उनके सांप्रदायिक डिजाइन को परास्त कर देंगे. नंदीग्राम धर्मनिरपेक्षता का केंद्र है और हमेशा रहेगा.

(पीटीआई-भाषा)

नंदीग्राम (प.बंगाल) : रक्तरंजित नंदीग्राम के संघर्ष ने ममता बनर्जी को एक जुझारू जन नेता की पहचान दी और अब इसी जमीन पर उन्हें कभी उन्हीं के सिपहसालार रहे शुभेंदु अधिकारी से कड़ी चुनौती मिल रही है. आम तौर पर ग्रामीण और शहरी पश्चिम बंगाल की विशेषताओं को अपने में समेटे सामान्य कृषि क्षेत्र नजर आने वाले इस इलाके को भू-अधिग्रहण विरोधी संघर्ष ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया था. विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं एक बार फिर यहां संघर्ष का खतरा मंडराने लगा है, जिससे नंदीग्राम की शांति भंग होने का अंदेशा है.

औद्योगीकरण के लिए सरकारी भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कभी काफी हद तक एक जुट होकर सबसे खूनी संघर्ष का गवाह बना नंदीग्राम आज सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकृत नजर आता है.

प्रदेश में तत्कालीन वामपंथी सरकार द्वारा यहां विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) बनाने के लिये भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 2007 में हर तरफ सुनाई देने वाले नारे ‘तोमर नाम, अमार नाम…नंदीग्राम, नंदीग्राम’ (तुम्हारा नाम, मेरा नाम नंदीग्राम, नंदीग्राम) से यह इलाका अब काफी आगे निकल आया है.

आज नंदीग्राम की दीवारों पर धुंधले दिखाई देते तोमार नाम अमार नाम, नंदीग्राम, नंदीग्राम की जगह जय श्री राम का नारा प्रमुखता से दिखता है.

ममता बनर्जी ने की यहां चुनाव लड़ने घोषणा
इस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की सबसे बड़ी वजह क्षेत्र के कद्दावर नेता और तृणमूल कांग्रेस में अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके शुभेंदु अधिकारी का भाजपा में शामिल होना और फिर ममता बनर्जी का यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा करना है.

बनर्जी द्वारा सोमवार को की गई घोषणा का पूरे पूर्वी मिदनापूर्व जिले में असर होगा.

बनर्जी और अधिकारी दोनों ही नंदीग्राम आंदोलन के नायक रहे हैं. टीएमसी सुप्रीमों पथ प्रदर्शक के तौर पर रहीं तो अधिकारी जमीनी स्तर पर उनके सिपहसालार रहे जो एसईजेड के खिलाफ जन रैलियों का आयोजन करते थे. इस एसईजेड में इंडोनेशिया के सलीम समूह द्वारा रसायनिक केंद्र स्थापित किया जाना था.

टीएमसी के लोकसभा सदस्य और अधिकारी के पिता शिशिर तब भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति (बीयूपीसी) के संयोजक थे. इस समिति में विभिन्न राजनीतिक विचारधारा के लोग शामिल थे. टीएमसी, कांग्रेस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और यहां तक की वाम दलों के असंतुष्ट सदस्यों ने भी सरकार के साथ एकजुट होकर यह संघर्ष किया.

पश्चिम बंगाल की सियासत में वामदलों और कांग्रेस के हाशिये पर जाने के बाद नंदीग्राम में बनर्जी की टीएमसी और भाजपा के बीच एक कड़ी व कड़वाहट भरी सियासी जंग के आसार बन रहे हैं.

विरोधी दलों की रैलियों पर हमले हो रहे हैं, लोग जख्मी हो रहे हैं.

बीयूपीसी के संघर्ष के बाद इस क्षेत्र में कोई उद्योग नहीं आया और नंदीग्राम की अर्थव्यवस्था का मुख्य रूप से कृषि उत्पादों, चावल व सब्जियों और आसपास के इलाकों में ताजा मछली की आपूर्ति पर टिकी है.

नंदीग्राम में 2007-11 के बीच संघर्ष से यहां की शांति भंग हुई जब बूयीपीसी और माकपा समर्थकों के बीच हुई झड़प में कई लोग मारे गए लेकिन इसके बावजूद इलाके में कभी धार्मिक या सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण नहीं हुआ और मतभेद पूरी तरह राजनीतिक ही थे.

स्थानीय निवासी रसूल काजी का बयान
भू-अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में हिस्सा ले चुके स्थानीय निवासी रसूल काजी ने बताया, बीते छह-सात सालों में नंदीग्राम काफी बदल गया है. पहले सभी समुदाय यहां मिलजुल कर शांति से रहते थे. मतभेद और हिंसा पहले भी होती थी लेकिन वे धार्मिक नहीं राजनीति आधारित होती थीं. अब यह धर्म से उपजती है जहां एक तरफ बहुसंख्य हिंदू होते हैं तो दूसरी तरफ मुसलमान. हमनें पहले कभी यहां ऐसी स्थिति नहीं देखी.

नंदीग्राम में गोकुलपुर गांव के बामदेव मंडल सांप्रदायिक विभाजन के लिये टीएमसी को आरोपी ठहराते हैं.

मंडल ने कहा कि टीएमसी सरकार ने (मुस्लिम) तुष्टिकरण की अपनी नीति की अति कर दी जिससे एक समुदाय दूसरे के सामने आ खड़ा हुआ.

भू-अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के बाद से इलाके में विकास नहीं होने को लेकर भी मंडल नाराज हैं.

उन्होंने कहा कि हिंदू और मुसलमान साथ मिलकर लड़े लेकिन हमें क्या मिला?...कुछ मुट्ठीभर नेताओं और एक समुदाय विशेष के लोगों को सभी फायदा मिला. अब लोग नाराज हैं और टीएमसी को सबक सिखाएंगे.

टीएमसी पंचायत समिति के एक सदस्य ने नाम न जाहिर करने की इच्छा व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि मुसलमानों को छात्रवृत्तियों में भी वरीयता दी जा रही है.

उसने कहा कि माकपा कभी धर्म के आधार पर लोगों में भेदभाव नहीं करती थी. बताइए हमें कि हिंदू क्यों भाजपा के साथ नहीं जाएं? हमनें पार्टी को भेदभाव को लेकर चेताया था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

बीयूपीसी से जुड़े रहे शेख सूफियन हालांकि इन दावों को भाजपा के भ्रामक प्रचार अभियान का हिस्सा करार देते हैं.

नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में करीब 70 प्रतिशत हिंदू हैं जबकि शेष मुसलमान.

भाजपा महासचिव गौर हरि मैती का बयान
तामलुक जिले के भाजपा महासचिव गौर हरि मैती ने बताया कि नंदीग्राम विस्फोटक के मुहाने पर बैठा है और इसके लिये सिर्फ टीएमसी की तुष्टिकरण की राजनीति जिम्मेदार है. अगर आप बहुसंख्य समुदाय को उसके अधिकार देने से इनकार कर देंगे तो आपको परिणाम भुगतने होंगे.

टीएमसी के पूर्वी मिदनापुर के प्रमुख अखिल गिरि को भरोसा है कि नंदीग्राम अपना धर्मनिरपेक्ष चरित्र नहीं खोएगा.

उन्होंने कहा कि शुभेंदु और उनके दरबारी नेता कहते हैं कि नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.12 लाख हिंदू और 70 हजार मुसलमान मतदाता हैं. लेकिन हम उनके सांप्रदायिक डिजाइन को परास्त कर देंगे. नंदीग्राम धर्मनिरपेक्षता का केंद्र है और हमेशा रहेगा.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jan 20, 2021, 8:23 PM IST
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