धर्मशाला: देवभूमि हिमाचल प्रदेश प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट में लीडर है. अब इसी हिमाचल में पारंपरिक पत्तल-डूने बनाने वालों को प्रमोट किया जा रहा है. कॉरपोरेट एन्वायरमेंट रिस्पांसबिलिटी के तहत पत्तल व डूने बनाने की मशीनें इस कारोबार से जुड़े लोगों को दी जा रही है.
प्रदेश में अब तक 10 हजार टन प्लास्टिक सीमेंट फैक्ट्रियों मेंल ईंधन के इस्तेमाल के लिए भेजा गया है. जानकारी के अनुसार फूड सर्विंग और ईटिंग में पॉलिथीन और थर्मोकाल का प्रयोग हानिकारक है, ऐसे में सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी की है, जिसके तहत पॉलिथीन और थर्मोकाल का प्रयोग बंद कर दिया गया है. धर्मशाला में हुए ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में एन्वायरमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने एक प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसका थीम प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट था.
हिमाचल इस क्षेत्र इस फील्ड में लीडर है. वर्ष 1995 में एक एक्ट पास किया गया था, जिससे प्लास्टिक से बनी चीजों को रेगुलेट किया जा सके. इसके बाद हिमाचल ने लगातार प्लास्टिक वेस्ट की रेगुलेशन का काम किया गया. ये पॉलिथीन बैग से शुरू हुआ, उसके बाद सिंगल यूज कटलरी को भी बैन किया गया.
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इसी के साथ वेस्ट प्लास्टिक के प्रयोग और साइंटिफिक तरीके से डिस्पोज ऑफ के तरीके पर काम किया गया. यही कारण था कि 10 हजार टन प्लास्टिक वेस्ट सीमेंट फैक्ट्रियों में गया है और कटलरी को बैन किया जा रहा है.
एन्वायरमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डीसी राणा ने कहा कि हिमाचल प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट में लीडर है. हिमाचल में पारंपरिक पत्तल-डूनों का इस्तेमाल किया जाता है. पत्तल-डूने के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कॉरपोरेट एन्वायरमेंट रिस्पांसबिलिटी प्रोगाम के तहत पत्तल-डूने बनाने की मशीने इस कारोबार से जुड़े लोगों को दी जा रही है.
बता दें कि सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी की है. इसके मुताबिक पॉलिथीन व थर्माकोल का प्रयोग फूड सर्विंग और फूड ईटिंग के लिए यूज नहीं होगा, यह नोटिफिकेशन जनवरी से लागू हो जाएगी.