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उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा : क्या वह निजी एंबुलेंस की सेवा लेना चाहती है

महाराष्ट्र सरकार से बंबई उच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या वह कोरोना वायरस फैलने के बीच निजी एंबुलेंसों की सेवा लेने की योजना बना रही है. न्यायालय ने सरकार से पांच जून तक बताने के लिए कहा कि क्या वह राज्य भर में निजी एंबुलेंसों की सेवा लेना चाहती है. जानें विस्तार से...

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बंबई उच्च न्यायालय
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Published : Jun 5, 2020, 4:21 AM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या वह कोरोना वायरस फैलने के बीच निजी एंबुलेंसों की सेवा लेने की योजना बना रही है.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अमजद सईद की खंडपीठ भाजपा के पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुंबई में एंबुलेंसों की कमी पर चिंता जताई गई.

याचिका में दावा किया गया कि महानगर में 20 मार्च तक तीन हजार एंबुलेंस थे, जिनमें निजी एंबुलेंस भी शामिल हैं, लेकिन कोरोना वायरस फैलने के बाद से उपलब्ध एंबुलेंस की संख्या काफी घटकर 100 के करीब रह गई है.

इसमें कहा गया कि महानगर में कोविड-19 के मामले जहां लगातार बढ़ रहे हैं और लॉकडाउन के कारण सार्वजनिक एवं निजी वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित है, जरूरतमंद रोगियों के लिए एंबुलेंस की कमी है.

उच्च न्यायालय ने सरकार से शुक्रवार (पांच जून) तक बताने के लिए कहा कि क्या वह राज्य भर में निजी एंबुलेंसों की सेवा लेना चाहती है.

याचिका में कहा गया कि सरकार की तरफ से संचालित 108 एंबुलेंस सेवा के पास मुंबई में 93 एंबुलेंस हैं जबकि निजी संचालक करीब तीन हजार एंबुलेंस चलाते हैं.

इसने कहा, 'यह देखना निराशाजनक है कि महामारी के दौरान निजी एंबुलेंस की संख्या में काफी कमी आई है.'

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या वह कोरोना वायरस फैलने के बीच निजी एंबुलेंसों की सेवा लेने की योजना बना रही है.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अमजद सईद की खंडपीठ भाजपा के पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुंबई में एंबुलेंसों की कमी पर चिंता जताई गई.

याचिका में दावा किया गया कि महानगर में 20 मार्च तक तीन हजार एंबुलेंस थे, जिनमें निजी एंबुलेंस भी शामिल हैं, लेकिन कोरोना वायरस फैलने के बाद से उपलब्ध एंबुलेंस की संख्या काफी घटकर 100 के करीब रह गई है.

इसमें कहा गया कि महानगर में कोविड-19 के मामले जहां लगातार बढ़ रहे हैं और लॉकडाउन के कारण सार्वजनिक एवं निजी वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित है, जरूरतमंद रोगियों के लिए एंबुलेंस की कमी है.

उच्च न्यायालय ने सरकार से शुक्रवार (पांच जून) तक बताने के लिए कहा कि क्या वह राज्य भर में निजी एंबुलेंसों की सेवा लेना चाहती है.

याचिका में कहा गया कि सरकार की तरफ से संचालित 108 एंबुलेंस सेवा के पास मुंबई में 93 एंबुलेंस हैं जबकि निजी संचालक करीब तीन हजार एंबुलेंस चलाते हैं.

इसने कहा, 'यह देखना निराशाजनक है कि महामारी के दौरान निजी एंबुलेंस की संख्या में काफी कमी आई है.'

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