पटनाः बिहार में बाढ़ से मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. राज्य के 12 जिलों में बाढ़ का तांडव मचा हुआ है. उत्तरी बिहार के 25 लाख से ज्यादा लोग इस विभिषिका की चपेट में हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबकि बुधवार तक ये आपदा 73 लोगों की जान ले चुकी है.
मोतिहारी में 21 लोगों की मौत
जिलेवार बात करें तो मोतिहारी में अबतक 21 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं अररिया में 15 लोग काल के गाल में समा चुके हैं. मधुबनी में प्रलयंकारी बाढ़ से आठ लोगों की मौत हुई तो किशनगंज के जिलाधिकारी हिमांशु शर्मा ने चार मौत की पुष्टि की है, जिसमें दो बच्चे और दो जवान शामिल हैं.
सीतामढ़ी में 5 लोगों की मौत
सीतामढ़ी में 5 लोगों की मौत हुई तो वहीं सुपौल में भी मरने वालों की संख्या 5 हो गई है. शिवहर में 6 बच्चियों की मौत हुई, जबकि मुजफ्फरपुर में 2 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं दरभंगा में दो और बेतिया में 3 लोगों की मौत इस भीषण आपदा के कारण हो चुकी है.
राहत और बचाव कार्य जारी
बाढ़ के कारण मौत के ये आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. इन सभी के बीच सरकार लगातार बेहतर राहत और बचाव कार्य के दावे तो कर रही है, लेकिन बाढ़ पीड़ितों की शिकायत और जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रहे हैं.
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लोगों का ठिकाना बना राहत शिविर
आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए बनाए गए 199 राहत शिविरों में 1.16 लाख लोग शरण लिए हुए हैं. अब तक 12 जिलों के 78 प्रखंडों की 555 ग्राम पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस गया है जिनमें अधिकांश ग्राम पंचायतें पूर्णरूप से जलमग्न हैं.
विपक्ष ने सरकार को घेरा
बहरहाल, जो भी हो सदन में विपक्ष विरोध कर रहा है और सीएम नीतीश कुमार बाढ़ इलाकों का हवाई दौरा कर अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने के दंभ भर रहे हैं, लेकिन इन सब के बीच दशकों से बाढ़ की आपदा झेल रहे बिहारियों की किस्मत नहीं बदल रही.
कटीहार में बाढ़ के कारण 3 दिनों से चुल्हा तक नहीं जला
गौरतलब है कि नेपाल से आए प्रलयकारी जल ने दंडखोरा प्रखंड के नोहडी गांव को भी पूरी तरह से डूबा दिया है. बस्ती में घुसे सैलाब के पानी में कई जिंदगी मचानों पर बेबस पड़ी है. 3 दिन हो गए यहां चूल्हा तक नहीं जला है. बाढ़ के पानी में घिरे पीड़ितों ने बताया कि तीन दिनों से खाना नसीब नहीं हुआ है. बाढ़ का पानी पी कर जिंदा हैं.
बुजुर्गों के लिए आफत बनी बाढ़
ईटीवी भारत के संवाददाता जब खबर संग्रहित करने के सिलसिले में यहां पहुंचे तो मंजर देखकर हैरान रह गए. उन्होंने 3 दिनों से भूखे पेट पानी में फंसे दो लोगों को किसी तरह बाहर निकाला और तब तक आस-पास के ग्रामीण भी मदद को जुट गए. दंडखोरा प्रखंड के नोहडी गांव में बाढ़ के पानी ने आफत मचा रखी है. गांव में पानी घुस आने के कारण कई लोग यहां से पलायन कर चुके हैं.
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भूखे पेट मचानों पर ले रहे शरण
जब ईटीवी भारत सामाजिक सरोकार से जुड़े इस खबर को संकलन करने यहां पहुंचा तो देखा कि पानी के बीच फंसे दो बुजुर्ग मदद की आस में टकटकी लगाए मचान पर बैठे हैं. पीड़ितों ने अपनी आप बीती सुनाई कि पिछले 3 दिनों से गांव में पानी घुस आया है. जिस कारण सारे लोग ऊंचे स्थानों पर चले गए हैं और भूखे पेट किसी मदद की आस में बैठे थे.
नहीं पहुंचे सरकार के अधिकारी
बाढ़ पीड़ित बताते हैं कि सरकार की तरफ से अभी तक मदद के लिए कोई हाथ आगे नहीं बढ़ा है. इस गांव का शहरों से सड़क संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है, लिहाजा अधिकारी दूसरे गांव से ही लौट जाते हैं. यह दर्द सिर्फ एक गांव या बस्ती का नहीं है. बल्कि कटिहार के छह प्रखंड के सैकड़ों गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. जिसमें लाखों की आबादी बुरी तरह प्रभावित हुई है. सरकारी मदद भी नसीब नहीं है और कागजी खानापूर्ति कर कैंप लगाया जा रहे है.
नहीं हो रहा आदेश का अनुपालन
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूबे के प्रशासनिक अफसरों को हर बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आदेश दे रखा है. लेकिन इसका अनुपालन अब तक ठीक ठंग से नहीं हो रहा है. अफसर सीएम की बातों को एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल देते हैं. नतीजा यह है कि कई जगहों पर बाढ़ पीड़ितों को कोई मदद नहीं मिल रही है.