हैदराबाद : चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है. इस वायरस का अभी तक इलाज नहीं मिल पाया है, हालांकि अब तक की रिपोर्ट से पता चला है कि कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा श्वसन प्रणाली प्रभावित होती है. इस वायरस के इलाज के लिए लगातार शोध किया जा रहा है. अध्ययन से पता चला है कि इस संक्रमण से हृदय रोग के मरीजों को सबसे ज्यादा खतरा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस से संक्रमित 20 फीसद लोगों को ही गंभीर लक्षणों की वजह से अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है.
अस्पताल में भर्ती होने वाले अधिकांश लोगों में सांस संबंधी बीमारी जैसे सांस लेने में तकलीफ, निमोनिया होता है. हालांकि, हाल के अध्ययनों से पता चला है कि कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले 10 से 20 प्रतिशत लोग गंभीर रूप से हृदय संबंधी बीमारी से पीड़ित हैं.
पहले से हृदय की बीमारी से पीड़ित कोविड-19 के मरीजों को दिल के दौरे और हार्ट फेल होने की संभावना अधिक होती है.
विशेषज्ञों का मानना है कि निमोनिया के कारण पीड़ित व्यक्ति के अंदर ऑक्सीजन का स्तर पहले से ही कम होता है और वायरल संक्रमण से आमतौर पर हृदय पर ही ज्यादा जोर पड़ता है. इसलिए हार्ट फेल होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं.
कोविड-19 रोगियों को एक अन्य हृदय संबंधी बीमारी मायोकार्डिटिस से भी पीड़ित माना जा रहा है. इस रोग में हृदय की मांसपेशियों में सूजन हो जाती है.
कोविड-19 संक्रमण के दौरान हृदय की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं, लेकिन यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि यह कोरोना के कारण हो रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि कोविड-19 की वजह से शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया निष्क्रिय हो जाती है. इस वजह से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं.
इस समस्या के पीछे का सही कारण पूरी तरह से ज्ञात नहीं है, इसलिए डॉक्टर इस रोग के इलाज को लेकर निश्चित नहीं हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 से संक्रमित हृदय रोग के मरीजों की 10 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है और कोरोना से संक्रमित स्वस्थ्य व्यक्तियों की सिर्फ एक फीसदी लोगों की मृत्यु होती है.
बता दें कि दिल से संबंधित बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए कोई विशेष दिशा-निर्देश नहीं हैं. उन्हें कोविड-19 से संक्रमित होने से बचने के लिए सभी एहतियाती उपायों का सख्ती से पालन करना चाहिए.