नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय निर्भया मामले में मौत की सजा पाए एक दोषी पवन गुप्ता की वारदात के समय नाबालिग होने की याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोषी पवन कोई नए साक्ष्य नहीं पेश करने में असफल रहा. बता दें कि याचिका में पवन के नाबालिग होने के दावे को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी.
दोषी पवन गुप्ता का दावा है कि अपराध के वक्त वह नाबालिग था. न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ पवन कुमार गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करेगी.
फांसी में लगातार हो रही देरी को लेकर निर्भया की मां का कहना है कि जिस तरह हमारे साथ मीडिया जनता खड़ी है, उसी तरह दोषियों के साथ भी मीडिया और जनता खड़ी है. उनको फांसी से बचाने की कोशिश कर रही है.
याचिका खारिज होने के बाद निर्भया के पिता ने कहा कि इस मामले में कोर्ट ने तीन बार निचली अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है. इसके बावजूद यह लोग एक के बाद एक याचिका दायर किए जा रहे हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कोर्ट अपने विशेषाधिकार का उपयोग करके इस पर रोक लगाए.
मीडिया से बात करते हुए पवन कुमार के वकील ए पी सिंह ने कहा कि जेवुनाइन साबित करने के लिए स्कूल एडमीशन रजिस्टर और मार्कशीट दे दिए हैं, जिनका सत्यापन दिल्ली पुलिस द्वारा 2017 में पहले किया जा चुका है.
वहीं दूसरी ओर निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा का कहना है कि दोषियों को बचाने के लिए जिस तरह नियमों का जिस तरह उपयोग कर रहे हैं उससे फांसी लगातार टलती जा रही है. हालांकि, कोर्ट ने इस मामले तेजी से काम करते हुए एक के बाद एक उनकी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
गुप्ता ने अपनी याचिका में दावा किया था कि दिसंबर 2012 में अपराध के वक्त वह नाबालिग था, जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था. इसके बाद गुप्ता ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
एक फरवरी को होनी है फांसी
इसके साथ ही उसने अधिकारियों को फांसी की सजा पर अमल रोकने का निर्देश देने की भी अपील है. दोषियों को फांसी देने के लिये एक फरवरी की तारीख तय की गई है.
हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती
पवन ने उच्च न्यायालय के 19 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें गुप्ता के वकील को फर्जी दस्तावेज दायर करने और अदालत में पेश नहीं होने के लिए फटकार भी लगाई गई थी.
चारों के खिलाफ फिर से डेथ वारंट जारी
दिल्ली की एक अदालत ने मामले के चार दोषियों - विनय शर्मा (26), मुकेश कुमार (32), अक्षय कुमार (31) और पवन (25) के खिलाफ एक फरवरी के लिए शुक्रवार को फिर से डेथ वारंट जारी किए.
निर्भया मामले में बीते दिनों के घटनाक्रम
- इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी. अन्य तीन दोषियों ने दया याचिका दायर करने के संवैधानिक उपाय का फिलहाल इस्तेमाल नहीं किया है.
- शीर्ष अदालत ने 14 जनवरी को विनय और मुकेश की सुधारात्मक याचिकाएं खारिज कर दी थी.
- दो अन्य दोषियों - अक्षय और पवन ने शीर्ष अदालत में अब तक सुधारात्मक याचिकाएं दायर नहीं की है.
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फांसी की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका
वकील ए पी सिंह के जरिए दायर अपनी याचिका में, पवन ने दावा किया कि 16 दिसंबर, 2012 को हुए अपराध के दौरान वह नाबालिग था. पवन कुमार गुप्ता ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष मामले में मृत्युदंड के खिलाफ अपनी पुनर्विचार याचिका में नाबालिग होने का दावा किया था. शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल नौ जुलाई को उसकी याचिका खारिज कर दी थी.
स्कूल प्रमाण पत्र में जन्मतिथि अलग
उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में उसने दावा किया था कि उसके स्कूल प्रमाण-पत्र में उसकी जन्मतिथि आठ अक्टूबर, 1996 है. पवन ने इससे पहले निचली अदालत में भी अपने नाबालिग होने के दावे संबंधी याचिका दायर की थी, जिसे पिछले साल 21 दिसंबर को खारिज कर दिया गया था.
क्या है मामला
दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था. सिंगापुर में 29 दिसंबर 2012 को एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गयी थी.
एक ने की आत्महत्या
मामले में एक दोषी राम सिंह ने यहां तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.
नाबालिग सुधार गृह से रिहा
आरोपियों में से एक नाबालिग था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था और तीन साल की सजा के बाद उसे सुधार गृह से रिहा किया गया था.
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शीर्ष अदालत में सजा बरकरार
शीर्ष अदालत ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा मामले में सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था.