नई दिल्ली : उच्च न्यायालय ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा में मारे गए लोगों के शवों के पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी करने के निर्देश सभी अस्पतालों को दिए. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति आईएस मेहता की पीठ ने अधिकारियों को सभी शवों के डीएनए नमूने सुरक्षित रखने और किसी भी अज्ञात शव का बुधवार तक अंतिम संस्कार नहीं करने का निर्देश दिया.
मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होनी है.
अदालत ने यह निर्देश एक व्यक्ति की ओर से दायर बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए. व्यक्ति का रिश्तेदार दंगों के बाद से लापता है और याचिकाकर्ता ने उसका पता ठिकाना मालूम करने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की है.
सुनवाई के दौरान पुलिस ने अदालत को बताया कि लापता व्यक्ति हमजा का शव गोकुलपुरी में एक नाले से सोमवार को बरामद किया गया था और उसका पोस्टमॉर्टम दिन में आरएमएल अस्पताल में किया जाएगा.
उच्च न्यायालय ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा और नेताओं के घृणा भाषणों से संबंधित याचिकाओं को शुक्रवार को 12 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया. मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने संशोधित नागरिकता कानून को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे और नेताओं के कथित तौर पर घृणा फैलाने वाले भाषणों पर प्राथमिकी दर्ज करने और गिरफ्तारियों की मांग करने वाली जनहित याचिका को 12 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया.
गौरतलब है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगों में 44 लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक लोग घायल हैं.
दिल्ली हिंसा पर टिप्पणी को लेकर जावेद अख्तर के खिलाफ शिकायत दर्ज
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किये गए लोगों के नाम प्रकाशित करने की बृंदा करात की जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया.