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कोरोना वायरस की जांच के लिए मोबाइल लैब की शुरुआत : स्वास्थ्य मंत्रालय - मंत्री हर्षवर्धन

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस जांच के लिए एक सचल प्रयोगशाला (मोबाइल लैब) की शुरूआत की है. पढ़ें विस्तार से....

mobile lab for corona examination
मोबाइल लैब की शुरुआत
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Published : Jun 18, 2020, 9:17 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस जांच के लिए एक सचल प्रयोगशाला (मोबाइल लैब) की शुरुआत की है, जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है. इससे दूरदराज के क्षेत्रों में परीक्षण में मदद मिल सकती है.

इस मोबाइल लैब को आई-लैब या संक्रामक रोग निदान लैब भी कहा जाता है. इस लैब के जरिए एक दिन में 50 आरटी-पीसीआर और लगभग 200 एलिसा जांच हो सकती है. मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि मशीनों के डबल सेट से आठ घंटे की पाली में प्रति दिन लगभग 500 जांच की क्षमता बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने आंध्र प्रदेश मेड-टेक ज़ोन (एएमटीजेड) के साथ महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रौद्योगिकी की देश में कमी को दूर करने के लिए डीबीटी-एएमटीजेड कमांड समूह की शुरुआत की है. यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और चरण है.

एएमटीजेड एशिया का पहला चिकित्सा उपकरण विनिर्माण पार्क है जो चिकित्सा प्रौद्योगिकी के लिए समर्पित है और इसे विभिन्न मंत्रालयों से सहयोग मिलता है.मोबाइल जांच प्रयोगशाला इसी पहल का एक नतीजा है.

मंत्री ने कहा कि इस मोबाइल जांच सुविधाओं को डीबीटी परीक्षण हब के जरिए देश के दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा.देश में अब 100 प्रयोगशालाओं के साथ 20 से अधिक हब हैं और इनमें 2,60,000 से अधिक नमूनों का परीक्षण किया गया है. उन्होंने कहा कि अभी देश के सभी कोनों में 953 परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं. उन्होंने कहा इन सभी सामूहिक और सहकारी प्रयासों के साथ भारत निकट भविष्य में स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल कर लेगा जिससे हम आत्म निर्भर भारत की ओर अग्रसर होंगे.

पढ़े: भारत में कोरोना : संक्रमण के रिकॉर्ड 12,881 नए केस, रिकवरी दर लगभग 53%

डीबीटी सचिव रेणु स्वरूप ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों के ठोस प्रयासों के माध्यम से देश ने रोजाना पांच लाख से अधिक परीक्षण किट बनाने की क्षमता हासिल की है जबकि लक्ष्य 31 मई तक एक लाख परीक्षण किट का था. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश मेड-टेक ज़ोन टीम ने डीबीटी के समर्थन से रिकॉर्ड आठ दिन में आई-लैब को तैयार किया.

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस जांच के लिए एक सचल प्रयोगशाला (मोबाइल लैब) की शुरुआत की है, जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है. इससे दूरदराज के क्षेत्रों में परीक्षण में मदद मिल सकती है.

इस मोबाइल लैब को आई-लैब या संक्रामक रोग निदान लैब भी कहा जाता है. इस लैब के जरिए एक दिन में 50 आरटी-पीसीआर और लगभग 200 एलिसा जांच हो सकती है. मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि मशीनों के डबल सेट से आठ घंटे की पाली में प्रति दिन लगभग 500 जांच की क्षमता बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने आंध्र प्रदेश मेड-टेक ज़ोन (एएमटीजेड) के साथ महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रौद्योगिकी की देश में कमी को दूर करने के लिए डीबीटी-एएमटीजेड कमांड समूह की शुरुआत की है. यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और चरण है.

एएमटीजेड एशिया का पहला चिकित्सा उपकरण विनिर्माण पार्क है जो चिकित्सा प्रौद्योगिकी के लिए समर्पित है और इसे विभिन्न मंत्रालयों से सहयोग मिलता है.मोबाइल जांच प्रयोगशाला इसी पहल का एक नतीजा है.

मंत्री ने कहा कि इस मोबाइल जांच सुविधाओं को डीबीटी परीक्षण हब के जरिए देश के दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा.देश में अब 100 प्रयोगशालाओं के साथ 20 से अधिक हब हैं और इनमें 2,60,000 से अधिक नमूनों का परीक्षण किया गया है. उन्होंने कहा कि अभी देश के सभी कोनों में 953 परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं. उन्होंने कहा इन सभी सामूहिक और सहकारी प्रयासों के साथ भारत निकट भविष्य में स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल कर लेगा जिससे हम आत्म निर्भर भारत की ओर अग्रसर होंगे.

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डीबीटी सचिव रेणु स्वरूप ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों के ठोस प्रयासों के माध्यम से देश ने रोजाना पांच लाख से अधिक परीक्षण किट बनाने की क्षमता हासिल की है जबकि लक्ष्य 31 मई तक एक लाख परीक्षण किट का था. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश मेड-टेक ज़ोन टीम ने डीबीटी के समर्थन से रिकॉर्ड आठ दिन में आई-लैब को तैयार किया.

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