चंडीगढ़ : 'वन नेशन, वन मार्केट' के सपने को पूरा करने के लिए तीन कृषि कानूनों को लाया गया है. नए कानून के मुताबिक अब किसी भी राज्य का किसान किसी भी दूसरे राज्य में जाकर अपनी फसल बेच सकता है और इस कानून को लागू करने वाला हरियाणा पहला राज्य बन गया है, लेकिन कानून लागू कर देने भर से काम पूरा नहीं हो जाता है. कानून लागू होने के बाद मंडियों में क्या व्यवस्था है, ये भी मायने रखता है.
पांच अक्टूबर से शुरू हुई बाहरी किसानों की फसल खरीद
हरियाणा सरकार ने 26 सितंबर को हरियाणा के किसानों के लिए और पांच अक्टूबर से बाहरी किसानों के लिए औपचारिक रूप से एमएसपी पर धान खरीद की घोषणा की. इसके लिए सरकार ने बाहरी और प्रदेश के किसानों को मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर सशर्त रजिस्ट्रेशन करना भी अनिवार्य किया है. सरकार की घोषणा के बाद पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के सैकड़ों किसान अपनी फसल लेकर हरियाणा पहुंचे हैं. खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभाग ने यह तय किया है कि सूबे से सटे पड़ोसी राज्यों के किसान सशर्त हरियाणा में धान बेच सकते हैं. हर जिले में इन कार्यों पर विशेष तौर पर जिला उपायुक्त की निगरानी रहेगी.
पड़ोसी किसान इन शर्तों पर हरियाणा में बेच पाएंगे धान
- खरीद से पहले पड़ोसी किसान को मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्टर्ड करवाना होगा.
- किसान ने फसल अपनी जमीन पर ही बोई है और कितने एकड़ में बोई है? उतनी जमीन की फर्द किसान को अपने साथ लानी होगी.
- किसान ने फसल यदि ठेके पर बोई है तो फसल बेचने के लिए उसे जमीन मालिक को फर्द के साथ मंडी में लाना होगा.
- कुल जमीन के जितने हिस्से में धान बोया है, उस जमीन का खसरा और गिरदावरी नंबर की जानकारी भी देनी होगी.
- पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद फसल बेचने के लिए किसान के मोबाइल पर अपनी बारी से संबंधित एसएमएस आएगा. उसी तिथि पर किसान अपनी फसल हरियाणा की मंडियों में बेचने लाएगा.
- पड़ोसी राज्यों से आने वाले सभी किसानों को मंडी में प्रवेश के दौरान कोविड-19 से जुड़े तमाम निर्देशों को मानना होगा.
मंडियों में धान उठान नहीं
फिलहाल, हरियाणा की मंडियों मे भले ही धान और बाजरे की खरीद शुरू हो गई है, मगर ये खरीद प्रक्रिया अभी खासी सुस्त है. जिस वजह से किसानों में रोष और नाराजगी है. वहीं खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास के मुताबिक हरियाणा की मंडियों में मंगलवार को 17,85,582.59 क्विंटल धान पहुंची, जिसमें से 1,02,003.165 क्विंटल की खरीद हुई. वहीं 84,930.88 क्विंटल बाजरे की आवक हुई, जिसमें से 31,999.26 क्विंटल की खरीद हुई. इसके अतिरिक्त, 1,351.33 क्विंटल मक्का की आवक हुई, जिसमें से 224 क्विंटल की खरीद की गई.
रादौर- उठान शुरू, तो खरीद रुकी
रादौर अनाज मंडी में उठान के कार्य के चलते धान की खरीद नहीं हो रही है. नतीजतन मंडी में जगह ही नहीं बची है. किसानों की सड़क पर एक किलोमीटर लंबी लाइन लग गई, वहीं गेट पास कटवाने के लिए भी किसानों की लंबी कतारें देखने को मिली. मंडी में फसल लेकर पंहुचे किसानों का आरोप था कि गेट पास के नाम पर किसानों को परेशान किया जा रहा है.
शाहबाद- सीवरेज के पानी ने खराब की फसल
शाहबाद अनाज मंडी में सीवरेज का लीक पानी आढ़तियों और किसानों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है. एक तरफ तो धान में नमी होने की बात कह कर अधिकारी और खरीद एजेंसियां धान खरीद नहीं कर रहीं. वहीं दूसरी ओर शाहाबाद अनाज मंडी में सीवरेज के बहते गंदे पानी की वजह से किसानों की धान की फसल खराब हो रही है.
अनाज मंडी में फसल बेचने आए किसानों ने अपना दुखड़ा रोया. उनकी धान की सारी फसल भीग गई और अधिकारी कोई सुध नहीं ले रहे. किसानों ने कहा कि जमींदारों का बहुत बुरा हाल हो चुका है. पहले सड़कों पर धान सुखाई गई और अब जब मंडी में लाई गई तो सीवर पानी से फिर से भीग गई.
बरवाला- मंडी में खरीद नहीं विरोध जारी
बरवाला की अनाज मंडी में फसल खरीद से ज्यादा किसानों का विरोध जोर पकड़ रहा है. यहां किसान यूनियन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि कृषि कानून किसानों पर थोपे गए हैं. इसी वजह से किसान महापंचायत प्रदेश में भाजपा-जजपा सरकार का खुलकर विरोध करेगी.
रोहतक- किसानों को मिल रही एमएसपी, किसान खुश
रोहतक की मंडियों में खरीफ फसल की खरीद जोरों पर है. रोहतक के सांपला कस्बे की मंडी में पांच हजार क्विंटल से ज्यादा बाजरा पहुंच चुका है. मंडियों में खरीद जोरों पर है और किसानों की फसल एमएसपी पर खरीदी जा रही है. एमएसपी मिलने से किसान काफी खुश हैं और उसने एमएसपी पर मचे हल्ले को गलत ठहराया है.
भिवानी- कपास खरीद शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
भिवानी जिला की सभी छोटी मंडियों में सरकारी कपास की खरीद शुरू करने की मांग को लेकर बुधवार को यहां ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन की भिवानी जिला कमेटी की ओर से लघु सचिवालय पर धरना-प्रदर्शन किया. वहीं संगठन ने जिला उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भेजा.
सोनीपत- मंडी से फसल वापस ले जाने को मजबूर किसान
सोनीपत की मंडी में अन्नदाता की परेशानी कम नहीं हुई है. किसानों का आरोप है कि मंडी में कोई सुविधा नहीं मिल रही है और फसल का भाव भी बहुत कम दिया जा रहा है. जिसके बाद किसान परेशान होकर वापस फसल को लेकर जा रहे हैं. वहीं अधिकारियों का कहना है कि उनके संज्ञान में कोई मामला नहीं है और किसानों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी.
प्रदेशभर की मंडियों में व्यवस्था लचर, किसान परेशान
यह स्थिति बाताने के लिए काफी है बाहरी किसानों की धान खरीद तो शुरू हो गई है, लेकिन प्रदेशभर में किसानों की समस्या खत्म नहीं हुई. प्रदेशभर की मंडियों में व्यस्थाएं सही नहीं हैं, चाहे प्रबंधन स्तर की हों या अधारभूत सुविधाओं के आधार पर. मसलन मंडी में फसल बेचना भी अब किसानों के लिए टेडी खीर बनाता जा रहा है.
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