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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक महामारियों का कैसे किया सामना

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Published : Apr 12, 2020, 4:37 PM IST

Updated : Apr 12, 2020, 6:05 PM IST

दुनियाभर में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 17 लाख के पार पहुंच गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे 11 मार्च को ही वैश्विक महामारी घोषित कर दिया था. संगठन ने बार-बार सभी देशों को इस वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक जुट रहने के लिए कहा है. कई महामारियों के दौरान डब्ल्यूएचओ का स्वास्थ्य, शोध, सेवा जैसे क्षेत्रों में अहम योगदान रहा है.

who and pandemic
डिजाइन फोटो

हैदराबाद : पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही है. दिसंबर 2019 के अंत में इस वायरस से संक्रमण का पहला केस चीन के वुहान शहर से सामने आया था. इसके यह वायरस पूरी दुनिया में फैलता गया. 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया.

यह खबर लिखे जाने के समय दुनियाभर में कोरोना वायरस से 1,780,315 लोग संक्रमित हैं और 108,828 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस महामारी से लड़ने के लिए दुनियाभर के देशों को कई दिशानिर्देश दिए हैं. इससे पहले भी दुनिया में कई महामारियां फैली हैं. आइए एक नजर डालते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इससे पहले फैली महामारियों से निबटने के लिए क्या कदम उठाए और उन्हें कैसे संभाला.

इन्फ्लूएंजा महामारी (1968)
इन्फ्लूएंजा का पहला केस सितंबर 1968 में अमेरिका से सामने आया था. दुनियाभर में इससे दस लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे और अमेरिका में लगभग एक लाख लोगों की जान गई थी. मरने वालों में 65 वर्ष या उससे ऊपर वालों की संख्या ज्यादा थी. H3N2 आज भी दुनिया में मौसमी इन्फ्लूएंजा A वायरस के रूप में दुनियाभर में पाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सहयोग केंद्रों के माध्यम से वायरस की वैक्सीन बनाने में अहम योगदान दिया था.

सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) 2002-2003
इस वायरस से शुरुआती संक्रमण चीन की राजधानी से फैला था. हालांकि बीजिंग ने इस बात को शुरुआती दौर में छिपाए रखा. इस वायरस से संक्रमण के कारण करीब 800 लोगों की मौत हुई थी. इनमें से ज्यादातर मौतें चीन और हांगकांग में ही हुई थीं. इस वायरस पर 2003 तक काबू पा लिया गया था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फरवरी 2003 के अंत में ग्लोबल आउटब्रेक अलर्ट एंड रिस्पॉंस नेटवर्क (जीओएआरएन) के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक टीम को वायरस पर शोध करने के साथ प्रभावित देशों की मदद के लिए समन्वित किया था.

एचआईवी / एड्स महामारी
1976 में अफ्रीकी देश लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में इसका पहला केस मिला था. इस महामारी से 1981 से अब तक 3.6 करोड़ लोगों की जान गई है. इस वायरस से अब भी 3.1 से 3.5 करोड़ लोग संक्रमित हैं. इनमें से ज्यादातर (लगभग 2.1 करोड़) अफ्रीका में हैं. इसको लेकर जागरूकता फैलने के बाद स्थिति बेहतर हुई है. 2005 से 2012 के बीच एचआईवी से मरने वालों की संख्या 22 लाख से घटकर 16 लाख हो गई.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देशों की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में मदद प्रदान की. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि हर जरूरतमंद तक वह सेवाएं पहुंचें. संगठन इसको लेकर रणनीतिक योजना, मानक और दिशानिर्देश विकसित कर रहा है. संगठन अपने सहयोगियों के साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से एचआईवी के इलाज, उपचार, देखभाल और रोकथाम के लिए एक व्यापक पैकेज तैयार कर रहा है. यह देशों को एचआईवी संबंधित सेवाएं निरंतर प्रदान करने, संक्रमितों की देखभाल करने और अन्य सेवाएं प्रदान करने में मदद करेगा.

संगठन के अन्य कार्यक्रमों (Drug pre-qualification programme and AIDS Medicines and Diagnostics Service) के माध्यम से देशों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य संबंधी सामग्री की आपूर्ति करने व खरीद और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को मजबूत करने में मदद मिलती है. इसके अलावा संगठन के सॉफ्टवेयर के माध्याम से सेवाओं का बेतहर प्रतिपादन किया जाता है.

स्वाइन फ्लू (H1N1) (2009-2010)
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अप्रैल 2009 में इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public health emergency of international concern) घोषित कर दिया था. इसे जून में महामारी घोषित कर दिया गया था. तब तक यह वायरस दुनियाभर के 70 देशों में फैल चुका था. रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र (सीडीसी) के अनुमान के अनुसार दुनियाभर में इस संक्रमण के कारण 151,700 से 575,400 के बीच लोगों की मौत हो गई थी. संक्रमण के कारण मरने वालों में सभी की उम्र 65 वर्ष से कम थी.

मध्य पूर्व रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स)
2012 में सऊदी अरब में मर्स वायरस के ऊंटों से इंसानों में प्रवेश करने के बाद यह महामारी शुरू हुई थी. 2014 की शुरुआत में यह महामारी अरब देशों में फैल गई थी. इसका केंद्र जेद्दा था. 2015 में दक्षिण कोरिया में दूसरी सबसे बड़ी महामारी फैल गई थी. यह वायरस करीब दो दर्जन देशों में फैला था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कई देशों के साथ मिलकर वैश्विक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया का समन्वय किया. इसके तहत समय पर सूचना प्रदान करना, खतरे का मूल्यांकन करना, राष्ट्रीय अधिकारियों के साथ संयुक्त जांच करना, वैज्ञानिक बैठकों का आयोजन करना, स्वास्थ्य अधिकारियों का मार्गदर्शन और उनको प्रशिक्षण प्रदान करना, संक्रमितों की परीक्षण कराना, संक्रमण को फैलने से रोकना आदि कार्य किए गए.

इबोला (2014-2016)
2014 में इसका सबसे पहला केस अफ्रीकी देश गुयाना से सामने आया था. यह एक दुर्लभ और संक्रामक बीमारी है. यह महामारी यूरोपीय देशों और अमेरिाक समेत कई देशों में फैल गई. इससे 11 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी.

इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2014 में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public health emergency of international concern) घोषित कर दिया था. पश्चिम अफ्रीका में इबोला वायरस से के प्रकोप को लेकर संगठन ने तीन चरणों में कार्य किया. पहले चरण में बड़े पैमाने पर कई कदम उठाए गए. दूसरे चरण में स्वास्थ्य सेवाओं आदि की क्षमताओं को बढ़ाया गया. तीसरे चरण में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाए गए.

जीका वायरस
जीका वायरस का प्रकोप पहली बार 1940 के दशक में युगांडा में देखा गया था. यह मुख्य रूप से मच्छरों से फैलता है. 2015 की शुरुआत में यह ब्राजील में फैल गया था.

फरवरी 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public health emergency of international concern) घोषित कर दिया था. संगठन ने जीका स्ट्रैटेजिक रिस्पांस फ्रेमवर्क तैयार किया, जिसकी मदद से देशों को महामारी को रोकने में मदद मिली. डब्ल्यूएचओ ने इसके शोध में मदद की. जीका के संक्रमण के पहचान के लिए संगठन ने सर्वेलांस प्रणाली को और मजबूत किया. वायरस की जांच और प्रसारित करने वाले मच्छरों को लेकर भी डब्ल्यूएचओ ने अहम योगदान दिया है.

हैदराबाद : पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही है. दिसंबर 2019 के अंत में इस वायरस से संक्रमण का पहला केस चीन के वुहान शहर से सामने आया था. इसके यह वायरस पूरी दुनिया में फैलता गया. 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया.

यह खबर लिखे जाने के समय दुनियाभर में कोरोना वायरस से 1,780,315 लोग संक्रमित हैं और 108,828 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस महामारी से लड़ने के लिए दुनियाभर के देशों को कई दिशानिर्देश दिए हैं. इससे पहले भी दुनिया में कई महामारियां फैली हैं. आइए एक नजर डालते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इससे पहले फैली महामारियों से निबटने के लिए क्या कदम उठाए और उन्हें कैसे संभाला.

इन्फ्लूएंजा महामारी (1968)
इन्फ्लूएंजा का पहला केस सितंबर 1968 में अमेरिका से सामने आया था. दुनियाभर में इससे दस लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे और अमेरिका में लगभग एक लाख लोगों की जान गई थी. मरने वालों में 65 वर्ष या उससे ऊपर वालों की संख्या ज्यादा थी. H3N2 आज भी दुनिया में मौसमी इन्फ्लूएंजा A वायरस के रूप में दुनियाभर में पाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सहयोग केंद्रों के माध्यम से वायरस की वैक्सीन बनाने में अहम योगदान दिया था.

सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) 2002-2003
इस वायरस से शुरुआती संक्रमण चीन की राजधानी से फैला था. हालांकि बीजिंग ने इस बात को शुरुआती दौर में छिपाए रखा. इस वायरस से संक्रमण के कारण करीब 800 लोगों की मौत हुई थी. इनमें से ज्यादातर मौतें चीन और हांगकांग में ही हुई थीं. इस वायरस पर 2003 तक काबू पा लिया गया था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फरवरी 2003 के अंत में ग्लोबल आउटब्रेक अलर्ट एंड रिस्पॉंस नेटवर्क (जीओएआरएन) के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक टीम को वायरस पर शोध करने के साथ प्रभावित देशों की मदद के लिए समन्वित किया था.

एचआईवी / एड्स महामारी
1976 में अफ्रीकी देश लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में इसका पहला केस मिला था. इस महामारी से 1981 से अब तक 3.6 करोड़ लोगों की जान गई है. इस वायरस से अब भी 3.1 से 3.5 करोड़ लोग संक्रमित हैं. इनमें से ज्यादातर (लगभग 2.1 करोड़) अफ्रीका में हैं. इसको लेकर जागरूकता फैलने के बाद स्थिति बेहतर हुई है. 2005 से 2012 के बीच एचआईवी से मरने वालों की संख्या 22 लाख से घटकर 16 लाख हो गई.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देशों की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में मदद प्रदान की. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि हर जरूरतमंद तक वह सेवाएं पहुंचें. संगठन इसको लेकर रणनीतिक योजना, मानक और दिशानिर्देश विकसित कर रहा है. संगठन अपने सहयोगियों के साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से एचआईवी के इलाज, उपचार, देखभाल और रोकथाम के लिए एक व्यापक पैकेज तैयार कर रहा है. यह देशों को एचआईवी संबंधित सेवाएं निरंतर प्रदान करने, संक्रमितों की देखभाल करने और अन्य सेवाएं प्रदान करने में मदद करेगा.

संगठन के अन्य कार्यक्रमों (Drug pre-qualification programme and AIDS Medicines and Diagnostics Service) के माध्यम से देशों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य संबंधी सामग्री की आपूर्ति करने व खरीद और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को मजबूत करने में मदद मिलती है. इसके अलावा संगठन के सॉफ्टवेयर के माध्याम से सेवाओं का बेतहर प्रतिपादन किया जाता है.

स्वाइन फ्लू (H1N1) (2009-2010)
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अप्रैल 2009 में इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public health emergency of international concern) घोषित कर दिया था. इसे जून में महामारी घोषित कर दिया गया था. तब तक यह वायरस दुनियाभर के 70 देशों में फैल चुका था. रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र (सीडीसी) के अनुमान के अनुसार दुनियाभर में इस संक्रमण के कारण 151,700 से 575,400 के बीच लोगों की मौत हो गई थी. संक्रमण के कारण मरने वालों में सभी की उम्र 65 वर्ष से कम थी.

मध्य पूर्व रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स)
2012 में सऊदी अरब में मर्स वायरस के ऊंटों से इंसानों में प्रवेश करने के बाद यह महामारी शुरू हुई थी. 2014 की शुरुआत में यह महामारी अरब देशों में फैल गई थी. इसका केंद्र जेद्दा था. 2015 में दक्षिण कोरिया में दूसरी सबसे बड़ी महामारी फैल गई थी. यह वायरस करीब दो दर्जन देशों में फैला था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कई देशों के साथ मिलकर वैश्विक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया का समन्वय किया. इसके तहत समय पर सूचना प्रदान करना, खतरे का मूल्यांकन करना, राष्ट्रीय अधिकारियों के साथ संयुक्त जांच करना, वैज्ञानिक बैठकों का आयोजन करना, स्वास्थ्य अधिकारियों का मार्गदर्शन और उनको प्रशिक्षण प्रदान करना, संक्रमितों की परीक्षण कराना, संक्रमण को फैलने से रोकना आदि कार्य किए गए.

इबोला (2014-2016)
2014 में इसका सबसे पहला केस अफ्रीकी देश गुयाना से सामने आया था. यह एक दुर्लभ और संक्रामक बीमारी है. यह महामारी यूरोपीय देशों और अमेरिाक समेत कई देशों में फैल गई. इससे 11 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी.

इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2014 में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public health emergency of international concern) घोषित कर दिया था. पश्चिम अफ्रीका में इबोला वायरस से के प्रकोप को लेकर संगठन ने तीन चरणों में कार्य किया. पहले चरण में बड़े पैमाने पर कई कदम उठाए गए. दूसरे चरण में स्वास्थ्य सेवाओं आदि की क्षमताओं को बढ़ाया गया. तीसरे चरण में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाए गए.

जीका वायरस
जीका वायरस का प्रकोप पहली बार 1940 के दशक में युगांडा में देखा गया था. यह मुख्य रूप से मच्छरों से फैलता है. 2015 की शुरुआत में यह ब्राजील में फैल गया था.

फरवरी 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public health emergency of international concern) घोषित कर दिया था. संगठन ने जीका स्ट्रैटेजिक रिस्पांस फ्रेमवर्क तैयार किया, जिसकी मदद से देशों को महामारी को रोकने में मदद मिली. डब्ल्यूएचओ ने इसके शोध में मदद की. जीका के संक्रमण के पहचान के लिए संगठन ने सर्वेलांस प्रणाली को और मजबूत किया. वायरस की जांच और प्रसारित करने वाले मच्छरों को लेकर भी डब्ल्यूएचओ ने अहम योगदान दिया है.

Last Updated : Apr 12, 2020, 6:05 PM IST
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