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कोरोना महामारी के दौरान कैसे हो रही है हज की रस्में, देखें वीडियो - मास्क पहने हज यात्री

कोरोना वायरस महामारी के चलते इस बार हज बहुत अलग और सांकेतिक तरीके से किया जा रहा है. कई दिनों के एकांतवास के बाद मास्क पहने हज यात्री बुधवार को छोटे-छोटे समूहों में इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल मक्का पहुंचने शुरू हो गए.

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कोरोना महामारी के दौरान हज की रस्में
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Published : Jul 29, 2020, 1:01 PM IST

Updated : Jul 31, 2020, 12:55 AM IST

दुबई : हज इस्लाम का बेहद महत्वपूर्ण और जरूरी आधार है, जिसे जीवन में एक बार किया जाना चाहिये. हज के दौरान उस रास्ते की यात्रा की जाती है , जहां से लगभग 1,400 साल पहले पैगंबर मोहम्मद गुजरे थे.

हर साल हज के दौरान दुनिया भर के लगभग 25 लाख मुसलमान, चाहे वे शिया, सुन्नी या अन्य पंथों को मानने वाले हों, एक साथ इबादत करते, खाते-पीते और गुनाहों से माफी मांगते रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस महामारी के दौरान शारीरिक दूरी के नियम के चलते ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा.

इस बार हज यात्री होटल के कमरों में अकेले ही भोजन कर रहे हैं और एक-दूसरे से दूरी बनाकर इबादत कर रहे हैं.

पिछली एक सदी में पहली बार ऐसा हुआ है जब सऊदी अरब सरकार ने हज के लिये विदेशी यात्रियों के देश में आने पर पाबंदी लगाई है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इस साल, सऊदी अरब सहित दुनिया भर में पहले से ही सऊदी अरब में रहने वाले लगभग 10,000 लोगों को हज के लिए चुना गया है। उनमें से 70 फीसदी विदेश से हैं और 30 प्रतिशत सऊदी नागरिक हैं.

हर साल इस्लामिक महीने के जिलहज की 8 तारीख से 12 तारीख को मक्का में कुछ विशेष धार्मिक कार्य अदा किए जाते हैं. इन कार्यों को इस्लामी शब्दावली में हज का नाम दिया गया है.

हज इस्लाम के पांच बुनियादी स्तंभों में से एक है और हर सक्षम वयस्क मुस्लिम के लिए जीवन भर का दायित्व है.

इसके अलावा इस बार हज यात्रियों के लिये आयु सीमा भी तय की गई है और केवल 20 से 50 वर्ष के पूरी तरह स्वस्थ लोगों को हज करने की अनुमति दी गई है.

हज के कितने अरकान हैं ?

हज के चार अरकान होते हैं

पहला अहराम बांधना यानि हज की नियत से बगैर सिले हुए दो कपड़े पहनना

दूसरा अराफात के मैदान में जाना

तीसरा काबा के चारों ओर तवाफ करना (चक्कर लगाना)

चौथा सही यानि सफा और मरवाह के बीच सात बार जाना

दुबई : हज इस्लाम का बेहद महत्वपूर्ण और जरूरी आधार है, जिसे जीवन में एक बार किया जाना चाहिये. हज के दौरान उस रास्ते की यात्रा की जाती है , जहां से लगभग 1,400 साल पहले पैगंबर मोहम्मद गुजरे थे.

हर साल हज के दौरान दुनिया भर के लगभग 25 लाख मुसलमान, चाहे वे शिया, सुन्नी या अन्य पंथों को मानने वाले हों, एक साथ इबादत करते, खाते-पीते और गुनाहों से माफी मांगते रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस महामारी के दौरान शारीरिक दूरी के नियम के चलते ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा.

इस बार हज यात्री होटल के कमरों में अकेले ही भोजन कर रहे हैं और एक-दूसरे से दूरी बनाकर इबादत कर रहे हैं.

पिछली एक सदी में पहली बार ऐसा हुआ है जब सऊदी अरब सरकार ने हज के लिये विदेशी यात्रियों के देश में आने पर पाबंदी लगाई है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इस साल, सऊदी अरब सहित दुनिया भर में पहले से ही सऊदी अरब में रहने वाले लगभग 10,000 लोगों को हज के लिए चुना गया है। उनमें से 70 फीसदी विदेश से हैं और 30 प्रतिशत सऊदी नागरिक हैं.

हर साल इस्लामिक महीने के जिलहज की 8 तारीख से 12 तारीख को मक्का में कुछ विशेष धार्मिक कार्य अदा किए जाते हैं. इन कार्यों को इस्लामी शब्दावली में हज का नाम दिया गया है.

हज इस्लाम के पांच बुनियादी स्तंभों में से एक है और हर सक्षम वयस्क मुस्लिम के लिए जीवन भर का दायित्व है.

इसके अलावा इस बार हज यात्रियों के लिये आयु सीमा भी तय की गई है और केवल 20 से 50 वर्ष के पूरी तरह स्वस्थ लोगों को हज करने की अनुमति दी गई है.

हज के कितने अरकान हैं ?

हज के चार अरकान होते हैं

पहला अहराम बांधना यानि हज की नियत से बगैर सिले हुए दो कपड़े पहनना

दूसरा अराफात के मैदान में जाना

तीसरा काबा के चारों ओर तवाफ करना (चक्कर लगाना)

चौथा सही यानि सफा और मरवाह के बीच सात बार जाना

Last Updated : Jul 31, 2020, 12:55 AM IST
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