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केरल : गुरुवायुर मंदिर के 84 वर्षीय हाथी 'गजरत्नम' की मौत - Guruvayur Sreekrishna Temple

केरल के त्रिशूर स्थित प्रसिद्ध गुरुवायुर मंदिर के एक वयोवृद्ध सेवक 'पद्मनाभन' के देह त्याग देने से सभी दुखी हैं. यह सेवक कोई और नहीं बल्कि 84 वर्षीय हाथी था, जिसे उसके डील डौल और आकर्षक शरीर की वजह से गजरत्नम की उपाधि मिली थी. देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

elephant Guruvayur Padmanabhan died in kerala
गुरुवायुर मंदिर के 84 वर्षीय हाथी की मौत
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Published : Feb 26, 2020, 11:43 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 4:58 PM IST

तिरुवनंतपुरम : प्रसिद्ध गुरुवायुर मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की लघु प्रतिमा 'थिडम्बु' को कई वर्षों तक अपने मस्तक पर रखकर झांकी में हिस्सा लेने वाले 84 वर्षीय हाथी की मौत हो गई. गुरुवायुर देवस्वओम के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

गुरुवायुर देवस्वओम के अध्यक्ष के बी. मोहनदास ने कहा कि हाथी की मौत अपराह्न दो बजकर 10 मिनट पर हुई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कहते हैं अपनों का विस्मरण बड़ा ही दुस्साध्य कार्य होता है. मंदिर के पुजारियों और सेवकों के साथ श्रद्धालुओं के लिए भी 'गजरत्म्' को भुला पाना वाकई कठिन काम है. उससे लोगों की अनेक स्मृतियां जुड़ी हैं. गुरुवायुर देवस्वओम के अध्यक्ष केबी मोहनदास ने कहा कि 'गजरत्म्' की मौत अपराह्न में हुई. उन्होंने कहा कि हाथी का नाम 'गुरुवायुर पद्मनाभन' था, किंतु धरती तक छूती उसकी लंबी सूंड़ और आकर्षक शारीरिक आकृतियों के कारण उसे 'गजरत्नम' की उपाधि दी गई थी.

पढ़ें : मान्यता - यहां हाथी की कब्र पर जाने से ठीक हो जाता है चर्म रोग

मोहनदास ने बताया कि पिछले कुछ सप्ताह से हाथी का इलाज चल रहा था. उसके पूरे शरीर में सूजन आ गई थी.

उन्होंने बताया कि पद्मनाभन की मौत के बाद गुरुवायुर देवस्वओम द्वारा प्रबंधित हाथी अभयारण्य में हाथियों की संख्या घटकर 47 रह गई है.

पढ़ें : संघर्ष में हर साल मरते हैं 400 से ज्यादा लोग, टकराव रोकने में एलिफैंट कॉरिडोर अहम

तिरुवनंतपुरम : प्रसिद्ध गुरुवायुर मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की लघु प्रतिमा 'थिडम्बु' को कई वर्षों तक अपने मस्तक पर रखकर झांकी में हिस्सा लेने वाले 84 वर्षीय हाथी की मौत हो गई. गुरुवायुर देवस्वओम के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

गुरुवायुर देवस्वओम के अध्यक्ष के बी. मोहनदास ने कहा कि हाथी की मौत अपराह्न दो बजकर 10 मिनट पर हुई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कहते हैं अपनों का विस्मरण बड़ा ही दुस्साध्य कार्य होता है. मंदिर के पुजारियों और सेवकों के साथ श्रद्धालुओं के लिए भी 'गजरत्म्' को भुला पाना वाकई कठिन काम है. उससे लोगों की अनेक स्मृतियां जुड़ी हैं. गुरुवायुर देवस्वओम के अध्यक्ष केबी मोहनदास ने कहा कि 'गजरत्म्' की मौत अपराह्न में हुई. उन्होंने कहा कि हाथी का नाम 'गुरुवायुर पद्मनाभन' था, किंतु धरती तक छूती उसकी लंबी सूंड़ और आकर्षक शारीरिक आकृतियों के कारण उसे 'गजरत्नम' की उपाधि दी गई थी.

पढ़ें : मान्यता - यहां हाथी की कब्र पर जाने से ठीक हो जाता है चर्म रोग

मोहनदास ने बताया कि पिछले कुछ सप्ताह से हाथी का इलाज चल रहा था. उसके पूरे शरीर में सूजन आ गई थी.

उन्होंने बताया कि पद्मनाभन की मौत के बाद गुरुवायुर देवस्वओम द्वारा प्रबंधित हाथी अभयारण्य में हाथियों की संख्या घटकर 47 रह गई है.

पढ़ें : संघर्ष में हर साल मरते हैं 400 से ज्यादा लोग, टकराव रोकने में एलिफैंट कॉरिडोर अहम

Last Updated : Mar 2, 2020, 4:58 PM IST
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