हैदराबाद : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है. जैसा कि अब तक देखा गया है, कोविड-19 के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती है. जाहिर तौरपर यह वायरस फेफड़ों पर असर डालता है. इसको देखते हुए नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सिलेंस (एनआईसीई) ने नए दिशानिर्देश प्रकाशित किए हैं.
एनआईसीई ने यह दिशानिर्देश राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) को दिए हैं. यह निर्देश अस्थमा रोगियों को ध्यान में रखकर दिए गए हैं. इनका उद्देश्य कोरोना वायरस से फैली महामारी के बीच अस्थमा रोगियों को सुरक्षित रखना है. इनसे एनएचएस के संसाधनों सर्वोत्तम उपयोग करने में मदद मिलेगी.
दिशानिर्देशों में अस्थमा के गंभीर रोगियों को उनकी दवाएं नियमित रूप से लेते रहने को कहा गया है. एनआईसीई ने यह सुझाव भी दिया है कि अस्थमा के रोगी अकेले ही डॉक्टर से मिलें. इससे संक्रमण का खतरा कम होगा.
अस्थमा के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों के लिए भी सुझाव दिए गए हैं. दिशानिर्देश में अनुशंसा की गई है कि अस्थमा के रोगी नियमित तौर पर अपने उपकरणों, जैसे मास्क व इन्हेलर को साफ करें और उनको किसी के साथ साझा न करें.
लंदन आधारित चैरिटी संस्था अस्थमा यूके ने हाल ही में अस्थमा रोगियों को लेकर दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसके बाद एनआईसीई ने दिशानिर्देश जारी किए हैं.
'अस्थमा यूके' ने अपने दिशानिर्देशों में कहा कि जिस किसी को भी अस्थमा है और कोविड-19 के लक्षण हैं वह यह करें-
- यदि वह अकेले रहते हैं तो सात दिन तक घर से बाहर न निकले. यदि वह किसी के साथ रहते हैं, तो 14 दिन तक घर से बाह न निकलें. सभी को 14 दिन तक घर में ही रहना होगा.
- यदि सात दिन बाद कोविड-19 के लक्षण नहीं जाते हैं या वह और बीमार हो जाते हैं, तो मदद के लिए स्वास्थ्य सेवाओं से संपर्क करें. इसके साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों को बता दें कि उनको अस्थमा है.
- लक्षण अस्थमा के हैं या कोविड-19 के यदि यह साफ नहीं है, तो अपने डॉक्टर से बात करें और उनकी सलाह लें.
- अपनी दवाइयों को नियमित रूप से लेते रहें.
भारत में टीबी के आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2018 में भारत से टीबी के 26.9 लाख केस सामने आए.
एक अनुमान के मुताबिक लगभग 40% भारतीय जनसंख्या टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित है. हालाकि ज्यादातर लोगों को टीबी रोग के बजाय अव्यक्त टीबी (Latent TB) है.
भारत में टीबी के आंकड़े सरकार (संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम ) द्वारा एकत्र किया जाता है. इसे 1997 में शुरू किया गया था.