पुरी : ओडिशा के पुरी जिले में ब्रह्मगिरि में स्थित भगवान विष्णु का अलारनाथ मंदिर बेहद प्रसिद्ध है. पुराणों के अनुसार अलारनाथ मंदिर की भव्यता और महिमा एक रहस्य है. यह आस्था और विश्वास का विषय है. कहा जाता है कि 15 दिनों के अनासरा (भगवान श्री जगन्नाथ का गुप्त उपचार काल) के दौरान अलारनाथ मंदिर में भगवान विष्णु के दर्शन मात्र से चतुरधामूर्ति (श्री जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान के दिव्य कवच सुदर्शन) का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
श्री जगन्नाथ के सेवक बताते हैं कि इस मंदिर का नाम अलारनाथ रखने की एक पौराणिक कथा है. एक बार अनासरा अवधि के दौरान भक्त अलबंदाचार्य श्री जगन्नाथ के दर्शन नहीं कर सके. इससे दुखी होकर उन्होंने समुद्र में कूदकर अपनी जान देने का फैसला किया. इस दौरान श्री जगन्नाथ पुरी के दक्षिण में स्थित ब्रह्मगिरि में भगवान विष्णु के रूप में प्रकट हुए. तब से भक्त अलबंदाचार्य के लिए भगवान विष्णु के रूप वाला श्री जगन्नाथ का अलारनाथ मंदिर प्रसिद्ध हुआ.
श्री जगन्नाथ के चेहरे पर निशान
भगवान अलारनाथ के मानव अतीत की चर्चा हर जगह की जाती है. कथाओं में कहा जाता है कि प्रभु ने एक भक्त के हाथों से खीर ली थी. खीर गर्म होने की वजह से भगवान के हाथ और चेहरे पर गिर गई, जिससे उनके चेहरे और हाथों पर छाले हो गए. स्थानीय पुजारी आज भी उस घटना को याद कर भगवान के चेहरे पर छाले के निशान दिखाते हैं.
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इसी तरह पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मांड के निर्माता, भगवान ब्रह्मा पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर का अभिषेक करने के लिए पृथ्वी पर आए थे. वह बाद के काल में ब्रह्मगिरि के नाम से जाना जाने लगा. अलारनाथ मंदिर में भक्तों के लिए कृपालु श्री जगन्नाथ से जुड़ी कहानियों का चित्रण किया गया है.