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श्री जगन्नाथ का अलारनाथ मंदिर, जहां अनासरा के दौरान पहुंचते हैं भक्त

ओडिशा में इस समय भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां धूमधाम से चल रही हैं. रथ यात्रा के दौरान भक्त श्री जगन्नाथ के विष्णु के रूप में बने अलारनाथ मंदिर में भी जाते हैं. भक्तों के यहां आने के पीछे उनकी आस्था जुड़ी हुई है. जानिए भक्त क्यों भगवान श्री जगन्नाथ के अनासरा के दौरान अलारनाथ मंदिर के दर्शन को जाते हैं.

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Published : Jun 17, 2020, 7:39 PM IST

Greatness of Lord Alarnath temple at Brahmagiri
ब्रह्मगिरि में भगवान अलारनाथ मंदिर की महानता

पुरी : ओडिशा के पुरी जिले में ब्रह्मगिरि में स्थित भगवान विष्णु का अलारनाथ मंदिर बेहद प्रसिद्ध है. पुराणों के अनुसार अलारनाथ मंदिर की भव्यता और महिमा एक रहस्य है. यह आस्था और विश्वास का विषय है. कहा जाता है कि 15 दिनों के अनासरा (भगवान श्री जगन्नाथ का गुप्त उपचार काल) के दौरान अलारनाथ मंदिर में भगवान विष्णु के दर्शन मात्र से चतुरधामूर्ति (श्री जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान के दिव्य कवच सुदर्शन) का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

श्री जगन्नाथ के सेवक बताते हैं कि इस मंदिर का नाम अलारनाथ रखने की एक पौराणिक कथा है. एक बार अनासरा अवधि के दौरान भक्त अलबंदाचार्य श्री जगन्नाथ के दर्शन नहीं कर सके. इससे दुखी होकर उन्होंने समुद्र में कूदकर अपनी जान देने का फैसला किया. इस दौरान श्री जगन्नाथ पुरी के दक्षिण में स्थित ब्रह्मगिरि में भगवान विष्णु के रूप में प्रकट हुए. तब से भक्त अलबंदाचार्य के लिए भगवान विष्णु के रूप वाला श्री जगन्नाथ का अलारनाथ मंदिर प्रसिद्ध हुआ.

श्री जगन्नाथ के चेहरे पर निशान
भगवान अलारनाथ के मानव अतीत की चर्चा हर जगह की जाती है. कथाओं में कहा जाता है कि प्रभु ने एक भक्त के हाथों से खीर ली थी. खीर गर्म होने की वजह से भगवान के हाथ और चेहरे पर गिर गई, जिससे उनके चेहरे और हाथों पर छाले हो गए. स्थानीय पुजारी आज भी उस घटना को याद कर भगवान के चेहरे पर छाले के निशान दिखाते हैं.

पढ़ें- ओडिशा : भगवान जगन्नाथ के श्रीक्षेत्र की परिक्रमा से धुल जाते हैं सारे पाप

इसी तरह पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मांड के निर्माता, भगवान ब्रह्मा पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर का अभिषेक करने के लिए पृथ्वी पर आए थे. वह बाद के काल में ब्रह्मगिरि के नाम से जाना जाने लगा. अलारनाथ मंदिर में भक्तों के लिए कृपालु श्री जगन्नाथ से जुड़ी कहानियों का चित्रण किया गया है.

पुरी : ओडिशा के पुरी जिले में ब्रह्मगिरि में स्थित भगवान विष्णु का अलारनाथ मंदिर बेहद प्रसिद्ध है. पुराणों के अनुसार अलारनाथ मंदिर की भव्यता और महिमा एक रहस्य है. यह आस्था और विश्वास का विषय है. कहा जाता है कि 15 दिनों के अनासरा (भगवान श्री जगन्नाथ का गुप्त उपचार काल) के दौरान अलारनाथ मंदिर में भगवान विष्णु के दर्शन मात्र से चतुरधामूर्ति (श्री जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान के दिव्य कवच सुदर्शन) का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

श्री जगन्नाथ के सेवक बताते हैं कि इस मंदिर का नाम अलारनाथ रखने की एक पौराणिक कथा है. एक बार अनासरा अवधि के दौरान भक्त अलबंदाचार्य श्री जगन्नाथ के दर्शन नहीं कर सके. इससे दुखी होकर उन्होंने समुद्र में कूदकर अपनी जान देने का फैसला किया. इस दौरान श्री जगन्नाथ पुरी के दक्षिण में स्थित ब्रह्मगिरि में भगवान विष्णु के रूप में प्रकट हुए. तब से भक्त अलबंदाचार्य के लिए भगवान विष्णु के रूप वाला श्री जगन्नाथ का अलारनाथ मंदिर प्रसिद्ध हुआ.

श्री जगन्नाथ के चेहरे पर निशान
भगवान अलारनाथ के मानव अतीत की चर्चा हर जगह की जाती है. कथाओं में कहा जाता है कि प्रभु ने एक भक्त के हाथों से खीर ली थी. खीर गर्म होने की वजह से भगवान के हाथ और चेहरे पर गिर गई, जिससे उनके चेहरे और हाथों पर छाले हो गए. स्थानीय पुजारी आज भी उस घटना को याद कर भगवान के चेहरे पर छाले के निशान दिखाते हैं.

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इसी तरह पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मांड के निर्माता, भगवान ब्रह्मा पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर का अभिषेक करने के लिए पृथ्वी पर आए थे. वह बाद के काल में ब्रह्मगिरि के नाम से जाना जाने लगा. अलारनाथ मंदिर में भक्तों के लिए कृपालु श्री जगन्नाथ से जुड़ी कहानियों का चित्रण किया गया है.

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