नई दिल्ली : राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) विधेयक को लेकर बड़े स्तर पर विरोध और बवाल के बीच स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय नया शैक्षणिक सत्र के शुरू होने से पहले एक उच्चस्तरीय आयोग बनाने जा रहा है.
गौरतलब है कि मंत्रालय को पहले ही कुलपति के 23 नामांकन और राज्य चिकित्सा परिषद से 22 नामांकन मिल चुके हैं.
एनएमसी सदस्यों के तौर पर चुने जाएंगे इन क्षेत्रों के प्रतिनिधि
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि राज्य चिकित्सा परिषद के 9 सदस्यों और राज्य / संघ राज्य क्षेत्र के प्रतिनिधियों के 10 सदस्यों को एनएमसी के सदस्यों के रूप में चुना जाएगा. पूरे चयन की घोषणा लॉटरी प्रणाली के माध्यम से की जाएगी.
मंत्रालय को मिले 72 आवेदन
बता दें स्वास्थ्य मंत्रालय को पहले ही कुछ पदों के लिए 72 आवेदन प्राप्त हुए हैं. यह पद अध्यक्ष, चार स्वायत्त बोर्ड के सदस्यों के साथ साथ आयोग के सदस्य और सचिव के हैं.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इस बाबत कहा कि एनएमसी विधेयक भारत की चिकित्सा प्रणाली में एक क्रांतिकारी सुधार है, जिसका श्रेय नरेंद्र मोदी सरकार को जाता है.
विधेयक के अनुसार, चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए एक सामान्य अंतिम वर्ष की परीक्षा नेशनल एग्जिट टेस्ट (NEXT) आयोजित की जाएगी, जो पीजी प्रवेश के लिए और स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए भी आधार होगी.
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अलग परीक्षा में नहीं होना होगा शामिल
छात्रों को पीजी एन्ट्रेंस के लिए अलग से किसी परीक्षा मे शामिल नहीं होना पड़ेगा. साथ ही यह विधेयक मेडिकल कॉलेजों में 50 प्रतिशत सीटों के लिए फीस को विनियमित करने के लिए आयोग को भी देगा.
गौरतलब है कि एनएमसी IMA जैसे निकायों द्वारा विरोध किया गया था. इसने विधेयक की कई धाराओं सहित धारा 32, धारा 15 सहित अन्य की कड़ी आलोचना की है.
क्या कहती है धारा 32 और धारा 15
बता दें, धारा 32 आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को लाइसेंस देने के बारे में बात करती है, जबकि धारा 15 एक सीमित परीक्षा प्रणाली पर पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी के रूप में विदेशी चिकित्सा स्नातकों को शामिल करने की सुविधा के बारे में बात करती है.
हालांकि डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि उनके मंत्रालय ने चिकित्सा प्रणाली में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए अधिकतम ध्यान दिया है.