नई दिल्ली : असम से ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख और लोकसभा सदस्य बदरुद्दीन अजमल ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह द्वारा असम में फिर से एनआरसी लगाने की बात को लेकर सरकार की निंदा की है.
बदरुद्दीन अजमल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार एनआरसी के मुद्दे पर जो करना है करे, लेकिन असम में एनआरसी न लागू की जाए. एनआरसी को एक बार बड़ी मुश्किल से 1650 करोड़ रुपये खर्च के बाद असम में लागू किया गया.
इस दौरान करीब 57000 अधिकारियों ने सब काम छोड़कर इस पर मेहनत की और जिस इंसान के नाम पर नोटिस जारी की गयी, उसे भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
बदरुद्दीन ने आरोप लगाया कि सरकार चाहती थी कि असम में कोई मुसलमान न रहे. भाजपा के विधायक कहते थे कि असम में एक करोड़ घुसपैठिये हैं. लेकिन जब फाइनल नतीजा 20 लाख आया तो सरकार इससे बहुत निराशा हुई है.
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सांसद अजमल ने कहा, पहले तो सब कह रहे थे कि जो सुप्रीम कोर्ट कहेगा, वो मंजूर होगा. लेकिन जैसे ही असम का फैसला सरकार के मर्जी के खिलाफ हुआ. उसने फिर से एनआरसी लगाने की बात कही है.
अजमल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में चार साल की मेहनत के बाद असम में एनआरसी लागू हुई है. इस दौरान लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लाइन में लगी औरतों की डेलिवरी हो गयी. न जाने कितने लोगों ने आत्महत्या कर ली.
उन्होंने आरोप लगाया, 'सरकार अब सिर्फ इसलिए एनआरसी लागू करना चाहती है कि यह फैसला सरकार के मनमाफिक नहीं है.' उन्होंने सवाल किया क्या अब देश सरकार के मन से चलेगा या देश में सुप्रीम कोर्ट या संसद भी हैं.
उन्होंने कहा, 'सरकार असम में दोबारा एनआरसी लागू कर दंगे करवाना चाहती है, लेकिन हम चाहते हैं कि असम में शांति बनी रहे. एनआरसी का फैसला हो चुका है, उसे सभी लोग मान लें, डेडलाइन में कोई चेंज न करें, यही हमारी सरकार से अपील है.'