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कपिली आपदा पर सरकार को करनी चाहिए कार्रवाई : पूर्वोत्तर विशेषज्ञ - नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड

कपिली परियोजना में हुए हादसे में नीपको के चार कर्मचारियों की मौत हो गई थी. नीपको द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि कपिली नदी के पास हो रहे अवैध कोयला खनन से नदी का पानी अम्लीय होना हादसे का मुख्य कारण है. इस मुद्दे पर पूर्वोत्तर के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बात की. जानें क्या कुछ कहा पूर्वोत्तर विशेषज्ञ ने....

सुबिमल भट्टाचारजी
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Published : Oct 23, 2019, 11:55 PM IST

नई दिल्ली : असम-मेघालय की सीमा पर कपिली पनबिजली परियोजना में बीते दिनों हुए हादसे में चार कर्मचारियों की मौत हो गई थी. इस बाबत पूर्वोत्तर के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य का मानना है कि सरकार को इस हादसे पर कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने पूर्वोत्तर की आगामी बिजली परियोजनाओं पर चिंता जताई.

सुबिमल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि कपिली जैसी आपदा रोकने को सही उपाय करने के लिए सरकार के पास एक मजबूत उदाहरण होना चाहिए.

उन्होंने कहा यह घटना वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण थीस, जो असम-मेघालय सीमा पर स्थित कपिली पनबिजली स्टेशन पर हुई. रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना कपिली नदी के अम्लीय जल के कारण हुई. यहां पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोयला खनन पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को लागू करना चाहिए.

ईटीवी भारत से बात करते पूर्वोत्तर विशेषज्ञ.

विशेषज्ञ ने कहा, 'नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NEEPCO) द्वारा संकलित संसदीय रिपोर्टों ने सुझाव दिया कि कपिली नदी के आसपास चल रहे अवैध खनन ने पानी को अम्लीय बना दिया है.'

सुबिमल ने कहा, 'सरकार को पूर्वोत्तर में इस तरह की बिजली परियोजनाओं पर सुरक्षा के नजरिये से ध्यान देना चाहिए. ऐसी परियोजनाओं पर पूर्ण सुरक्षा ऑडिट और तकनीकी प्रणाली पर ध्यान दिया जाना चाहिए.'

गौरतलब है कि गत सात अक्टूबर को असम-मेघालय सीमा पर उमरंगशू में नीपको पनबिजली स्टेशन में पानी की पाइपलाइन फटने से तीन NEEPCO अधिकारियों और एक नागरिक कार्यकर्ता की मौत हो गई थी. घटनास्थल पर 16 दिनों तक बचाव अभियान चलाने के बाद सभी शवों को बरामद किया जा सका.

पढ़े : NEEPCO हादसे में दो शव बरामद, बचाव अभियान चुनौतीपूर्ण : NDRF अधिकारी

ज्ञातव्य रहे कि भारत सरकार ने पूर्वोत्तर को सबसे बड़े हाइड्रो पावर हब के रूप में चिह्नित किया है. केंद्र ने उत्तर-पूर्व में विशेष रूप से असम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में कई आगामी बिजली परियोजनाओं को आने वाले समय में लगाने के लिए कहा है.

नई दिल्ली : असम-मेघालय की सीमा पर कपिली पनबिजली परियोजना में बीते दिनों हुए हादसे में चार कर्मचारियों की मौत हो गई थी. इस बाबत पूर्वोत्तर के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य का मानना है कि सरकार को इस हादसे पर कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने पूर्वोत्तर की आगामी बिजली परियोजनाओं पर चिंता जताई.

सुबिमल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि कपिली जैसी आपदा रोकने को सही उपाय करने के लिए सरकार के पास एक मजबूत उदाहरण होना चाहिए.

उन्होंने कहा यह घटना वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण थीस, जो असम-मेघालय सीमा पर स्थित कपिली पनबिजली स्टेशन पर हुई. रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना कपिली नदी के अम्लीय जल के कारण हुई. यहां पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोयला खनन पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को लागू करना चाहिए.

ईटीवी भारत से बात करते पूर्वोत्तर विशेषज्ञ.

विशेषज्ञ ने कहा, 'नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NEEPCO) द्वारा संकलित संसदीय रिपोर्टों ने सुझाव दिया कि कपिली नदी के आसपास चल रहे अवैध खनन ने पानी को अम्लीय बना दिया है.'

सुबिमल ने कहा, 'सरकार को पूर्वोत्तर में इस तरह की बिजली परियोजनाओं पर सुरक्षा के नजरिये से ध्यान देना चाहिए. ऐसी परियोजनाओं पर पूर्ण सुरक्षा ऑडिट और तकनीकी प्रणाली पर ध्यान दिया जाना चाहिए.'

गौरतलब है कि गत सात अक्टूबर को असम-मेघालय सीमा पर उमरंगशू में नीपको पनबिजली स्टेशन में पानी की पाइपलाइन फटने से तीन NEEPCO अधिकारियों और एक नागरिक कार्यकर्ता की मौत हो गई थी. घटनास्थल पर 16 दिनों तक बचाव अभियान चलाने के बाद सभी शवों को बरामद किया जा सका.

पढ़े : NEEPCO हादसे में दो शव बरामद, बचाव अभियान चुनौतीपूर्ण : NDRF अधिकारी

ज्ञातव्य रहे कि भारत सरकार ने पूर्वोत्तर को सबसे बड़े हाइड्रो पावर हब के रूप में चिह्नित किया है. केंद्र ने उत्तर-पूर्व में विशेष रूप से असम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में कई आगामी बिजली परियोजनाओं को आने वाले समय में लगाने के लिए कहा है.

Intro:New Delhi: The death of four officials engaged with 275 MW Kopili hydro power project along Assam-Meghalaya border has raised a huge concern over other upcoming power projects in northeast.


Body:Taking to ETV Bharat, Subimal Bhattacharjee, an expert on northeast said that this (Kopili accident) should be a strong example for the government to take corrective measures to avert any more such disaster.

"The incident was really unfortunate that took place at the Kopili hydro power station along the Assam-Meghalaya border. As per initiatal reports the incident took place due to the acidic water of Kopili river...There should be strong regulatory enforcement of the Supreme Court order of banning illegal coal mining," said Bhattacharjee.

Parliamentary reports compiled by North Eastern Electric Power Corporation Limited (NEEPCO) suggested that ongoing illegal mining surrounding the Kopili river has turned the water acidic.

"The government must give a relook over the security perspective over such power projects in northeast. A complete security audit and technical feasibility should be looked into," said Bhattacharjee.

A water pipeline burst of NEEPCO hydro power station at Umrangshu along Assam-Meghalaya border on October 7 has led to the death of three NEEPCO officials and a civilian worker. A 16-days massive rescue operation carried by Natuonal Disaster Response Force (NDRF) and State Disaster Response Force (SDRF) have ultimealy been able to retrieve bodies of all deceased.


Conclusion:Governmnet of India has tagged Northeast as a biggest hydro power hub. Accordingly, centre has also given a go ahead for several upcoming power projects in northeast especially in Assam, Arunachal Pradesh and Meghalaya.

The 2000 MW Lower Subansiri Hydro Power project of National Hydro Power Corporation (NHPC) is one of the biggest hydro power project of the government. The work for the much hyped project was however stopped since 2012 following widespread protest against the power project.

The agitators including Krishak Mukti Sangram Samity (KMSS), All Assam Students Union (AASU) have did that their project may bring ecological imbalance with a threat to the people living in downstream areas of the project.

end.
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