चेन्नई : केरल की एक महिला ने अपने पति के शव को दुबई से वापस लाने के लिए सरकार से गुहार लगाई है. दरअसल,कल्लाकुरिची के पास कानांगुर गांव के निवासी बालाचंदर ने ITI में इलेक्ट्रीशियन कोर्स पूरा किया. वह पिछले 16 वर्षों से अबू धाबी स्थित एक निजी श्रमिक अनुबंध कंपनी, अल कुदरा फैसिलिटीज में इलेक्ट्रीशियन के रूप में कार्यरत था.
बालाचंदर अरबी, हिन्दी, मलयालम और तेलुगु भाषाओं को जानता था. बालाचंद्रन के लंबे अनुभव को देखते हुए उन्हें कंपनी में काम करने वाले कई बहुभाषी भारतीय श्रमिकों के पर्यवेक्षक के रूप में पदोन्नत किया गया था.
सात साल पहले बालाचंदर का नंदिनी से विवाह हुआ था. दंपती के दो बेटे हैं. भले ही वह कई हजार मील दूर था, लेकिन काम से घर लौटने के बाद वह अपनी पत्नी और बच्चों से हर रोज फोन पर बात करता था.
इस बीच, कंपनी पिछले छह महीनों से बालाचंदर को ठीक से भुगतान नहीं कर रही थी. इथर बीच बालाचंद्रन ने अपनी पत्नी नंदिनी को दुखी होकर बताया कि कॉन्ट्रैक्ट लेबर के रूप में उसे अपने साथियों के साथ कोरोना वायरस के बीच काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. उसे अन्य मजदूरों के साथ कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए कोरोना फ्रंटियर के तौर पर काम करने के लिए कहा गया था, वह भी किसी सुरक्षा उपकरण के बिना. हालांकि उसने बाद में अपनी जेब से जरूरी सेफ्टी गियर भी खरीद लिए थे.
इस क्रम में, दो हफ्ते पहले बालाचंदर के साथ काम करने वाले कुछ लोग बुखार से पीड़ित हो गए थे. इसके बाद, जो लोग इलाज के लिए अस्पताल गए, उन्हें बताया गया कि उनके पास नियमित नागरिकों के लिए भी कोई उचित चिकित्सा सुविधा नहीं थी और उन्हें खुद को अलग करने से पहले कुछ पैरासिटामॉल की गोलियां ले जाने के लिए कहा गया था.
बालाचंदर ने गत तीन अप्रैल की रात को अपने वेतन, कोरोना रोकथाम कार्यों के लिए खरीदी गई सामग्रियों के खिलाफ भुगतान, बकाया राशि के 15 लाख रुपये और अपने प्रबंधक को उधार दिए गए कुछ लाख रुपये के बारे में बात की. ये सब जानकारियां उसने कंपनी अल कुदरा फैसिलिटीज के ह्वाट्सएप ग्रुप में पोस्ट कर दीं. इसके बाद कंपनी ने उसे धमकी देना शुरू कर दिया. अगले दिन, बालाचंदर ने अपनी पत्नी को ह्वाट्सएप पर बच्चों का ख्याल रखने की सलाह दी. उसके बाद उसका फोन आना बंद हो गया.
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जब छह अप्रैल तक बालाचंदर का फोन नहीं आया और उससे संपर्क नहीं हो सका तो उसका परिवार घबरा गया. परिजनों ने उसके बारे में ह्वाट्सएप के माध्यम से कंपनी के मालिक से पूछताछ की. जवाब में, कंपनी ने विरोधाभासी जानकारी दी कि वह पहले अस्पताल में भर्ती था और कोरोना महामारी से हताश होकर उसने अपने कमरे में आत्महत्या कर ली.
नंदिनी ने कहा, 'मेरे पति की मृत्यु संदेह पैदा करती है. केंद्र और राज्य सरकारों को कंपनी से संपर्क करने और मामले की जांच में मदद करनी चाहिए और मेरे पति का पार्थिव शरीर गृहनगर वापस लाने में भी मेरी मदद करनी चाहिए.'
नंदिनी ने कहा, 'मेरे पति को अबू धाबी में अपने नियोक्ता द्वारा कीटाणुनाशक स्प्रे करने का काम करने के लिए कहा जा रहा था. अन्य कर्मचारियों और मेरे पति ने इसे करने से इनकार कर दिया, लेकिन उनके बॉस ने उन्हें सुपरवाइजर के रूप में काम संभालने के लिए मजबूर किया. कुछ ही दिनों में उन सभी में फ्लू जैसे लक्षण विकसित हो गए थे और उन्हें अलग-थलग कर दिया गया था.'