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नकली जीएसटी चालान के खतरे से निपटने के लिए सरकार करेगी मंथन - जीएसटी पंजीकरण के निलंबन

नकली जीएसटी चालान के खतरे से निपटने के लिए सरकार ने बुधवार को जीएसटी लॉ कमेटी की एक तत्काल बैठक बुलाई है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट.

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Published : Nov 16, 2020, 10:03 PM IST

नई दिल्ली : सरकार ने बुधवार को जीएसटी लॉ कमेटी की एक तत्काल बैठक बुलाई है, ताकि नकली जीएसटी चालान के खतरे से निपटने के तरीकों पर चर्चा की जा सके. इन उपायों में जीएसटी पंजीकरण की प्रक्रिया को कठिन बनाना शामिल है, ताकि केवल वास्तविक व्यवसायों को ही जीएसटी नंबर मिल सके.

जीएसटी पंजीकरण के निलंबन को दुरुपयोग को कानून में संशोधन करके ठीक किया जाएगा. सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि समिति से कुछ आउट-ऑफ-द-बॉक्स विचारों पर चर्चा करने की अपेक्षा है. जीएसटी सतर्कता महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने पिछले सप्ताह 25 लोगों को गैर-लौह धातुओं के कबाड़, रेडीमेड कपड़ों, सोना, चांदी और निर्माण सेवाओं आदि के नकली बिल बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है.

डीजीजीआई ने फर्जी बिल बनाने को लेकर 1,180 निकायों के खिलाफ करीब 350 मामले दर्ज किए हैं. इन्हें लेकर जांच व तलाश जारी है, ताकि रैकेट में शामिल लोगों को दबोचा जा सके और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी करने के लिए फर्जी बिलों का इस्तेमाल करने वाले लाभार्थियों का पता लगाया जा सके.

एक सूत्र ने कहा कि इन मामलों में शामिल प्रमुख सामान एमएस / एसएस स्क्रैप, लोहे और स्टील के सामान, तांबे की छड़ / तार, अलौह धातुओं के कबाड़, प्लास्टिक के कण, पीवीसी रेसिन, रेडीमेड वस्त्र, सोना और चांदी, निर्माण सेवाएं, कार्य अनुबंध सेवाएं, कृषि उत्पाद, दूध उत्पाद, मोबाइल, श्रम शक्ति आपूर्ति सेवाएं, विज्ञापन और एनीमेशन सेवाएं आदि हैं.

नकली चालान और हवाला रैकेट के खतरे तथा अर्थव्यवस्था की स्थिरता पर उनके हानिकारक प्रभाव को देखते हुए जीएसटी पंजीकरण की नई प्रक्रिया को भी कड़ा किया जा रहा है. सूत्रों ने कहा कि जिन व्यवसायों के मालिकों या प्रवर्तकों के पास आयकर भुगतान का रिकॉर्ड नहीं है, उन्हें अपनी कंपनियों का जीएसटी पंजीकरण कराने से पहले भौतिक और वित्तीय सत्यापन की आवश्यकता होगी.

सूत्र ने कहा कि यह भी जांच की जा रही है कि क्या जीएसटी कानूनों, आयकर अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत लाभार्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा, नकली चालान जारी करने वाले तथा ऐसे चालान के लाभार्थियों को विदेशी मुद्रा व तस्करी गतिविधियों की रोकथाम के कानून के तहत हिरासत में लिया जा सकता है या नहीं.

फॉर्म 26एएस से करदाता पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा

राजस्व विभाग ने कहा है कि आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि कुछ लोग माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में करोड़ों रुपये का कारोबार दिखा रहे हैं, लेकिन एक रुपये के आयकर का भी भुगतान नहीं कर रहे हैं. विभाग ने घोषणा की है कि ईमानदार करदाताओं के लिए फॉर्म 26एएस में जीएसटी कारोबार के आंकड़ों को दिखाने से संबंधित जरूरत में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है.

राजस्व विभाग (डीओआर) की ओर से सोमवार को जारी बयान में कहा गया है कि फॉर्म 26एएस में दिखाए गए जीएसटी कारोबार के विवरण से करदाताओं पर अनुपालन का किसी तरह का अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा. यह वार्षिक कर ब्योरा है. करदाता आयकर विभाग की वेबसाइट पर अपने स्थायी खाता संख्या (पैन) के जरिए इसे प्राप्त कर सकते हैं.

विभाग ने कहा कि 26एएस में दिखाया गया जीएसटी कारोबार सिर्फ करदाताओं की सूचना के लिए है. राजस्व विभाग को इस बात की जानकारी है कि दाखिल किए गए जीएसटीआर-3बी और फॉर्म 26एएस में दिखाए गए जीएसटी में कुछ अंतर हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि कोई व्यक्ति जीएसटी में करोड़ों रुपये का कारोबार दिखाए और एक भी रुपये का आयकर नहीं दे. आंकड़ों के विश्लेषण में इस तरह के कुछ मामले पकड़े आए हैं.

विभाग ने कहा कि फॉर्म 26एएस में जीएसटी कारोबार से संबंधित सूचना की जरूरत को लेकर किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है, क्योंकि ईमानदार करदाता पहले से जीएसटी रिटर्न और आयकर रिटर्न दाखिल कर रहे हैं और कारोबार की सही जानकारी दे रहे हैं.

नई दिल्ली : सरकार ने बुधवार को जीएसटी लॉ कमेटी की एक तत्काल बैठक बुलाई है, ताकि नकली जीएसटी चालान के खतरे से निपटने के तरीकों पर चर्चा की जा सके. इन उपायों में जीएसटी पंजीकरण की प्रक्रिया को कठिन बनाना शामिल है, ताकि केवल वास्तविक व्यवसायों को ही जीएसटी नंबर मिल सके.

जीएसटी पंजीकरण के निलंबन को दुरुपयोग को कानून में संशोधन करके ठीक किया जाएगा. सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि समिति से कुछ आउट-ऑफ-द-बॉक्स विचारों पर चर्चा करने की अपेक्षा है. जीएसटी सतर्कता महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने पिछले सप्ताह 25 लोगों को गैर-लौह धातुओं के कबाड़, रेडीमेड कपड़ों, सोना, चांदी और निर्माण सेवाओं आदि के नकली बिल बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है.

डीजीजीआई ने फर्जी बिल बनाने को लेकर 1,180 निकायों के खिलाफ करीब 350 मामले दर्ज किए हैं. इन्हें लेकर जांच व तलाश जारी है, ताकि रैकेट में शामिल लोगों को दबोचा जा सके और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी करने के लिए फर्जी बिलों का इस्तेमाल करने वाले लाभार्थियों का पता लगाया जा सके.

एक सूत्र ने कहा कि इन मामलों में शामिल प्रमुख सामान एमएस / एसएस स्क्रैप, लोहे और स्टील के सामान, तांबे की छड़ / तार, अलौह धातुओं के कबाड़, प्लास्टिक के कण, पीवीसी रेसिन, रेडीमेड वस्त्र, सोना और चांदी, निर्माण सेवाएं, कार्य अनुबंध सेवाएं, कृषि उत्पाद, दूध उत्पाद, मोबाइल, श्रम शक्ति आपूर्ति सेवाएं, विज्ञापन और एनीमेशन सेवाएं आदि हैं.

नकली चालान और हवाला रैकेट के खतरे तथा अर्थव्यवस्था की स्थिरता पर उनके हानिकारक प्रभाव को देखते हुए जीएसटी पंजीकरण की नई प्रक्रिया को भी कड़ा किया जा रहा है. सूत्रों ने कहा कि जिन व्यवसायों के मालिकों या प्रवर्तकों के पास आयकर भुगतान का रिकॉर्ड नहीं है, उन्हें अपनी कंपनियों का जीएसटी पंजीकरण कराने से पहले भौतिक और वित्तीय सत्यापन की आवश्यकता होगी.

सूत्र ने कहा कि यह भी जांच की जा रही है कि क्या जीएसटी कानूनों, आयकर अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत लाभार्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा, नकली चालान जारी करने वाले तथा ऐसे चालान के लाभार्थियों को विदेशी मुद्रा व तस्करी गतिविधियों की रोकथाम के कानून के तहत हिरासत में लिया जा सकता है या नहीं.

फॉर्म 26एएस से करदाता पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा

राजस्व विभाग ने कहा है कि आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि कुछ लोग माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में करोड़ों रुपये का कारोबार दिखा रहे हैं, लेकिन एक रुपये के आयकर का भी भुगतान नहीं कर रहे हैं. विभाग ने घोषणा की है कि ईमानदार करदाताओं के लिए फॉर्म 26एएस में जीएसटी कारोबार के आंकड़ों को दिखाने से संबंधित जरूरत में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है.

राजस्व विभाग (डीओआर) की ओर से सोमवार को जारी बयान में कहा गया है कि फॉर्म 26एएस में दिखाए गए जीएसटी कारोबार के विवरण से करदाताओं पर अनुपालन का किसी तरह का अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा. यह वार्षिक कर ब्योरा है. करदाता आयकर विभाग की वेबसाइट पर अपने स्थायी खाता संख्या (पैन) के जरिए इसे प्राप्त कर सकते हैं.

विभाग ने कहा कि 26एएस में दिखाया गया जीएसटी कारोबार सिर्फ करदाताओं की सूचना के लिए है. राजस्व विभाग को इस बात की जानकारी है कि दाखिल किए गए जीएसटीआर-3बी और फॉर्म 26एएस में दिखाए गए जीएसटी में कुछ अंतर हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि कोई व्यक्ति जीएसटी में करोड़ों रुपये का कारोबार दिखाए और एक भी रुपये का आयकर नहीं दे. आंकड़ों के विश्लेषण में इस तरह के कुछ मामले पकड़े आए हैं.

विभाग ने कहा कि फॉर्म 26एएस में जीएसटी कारोबार से संबंधित सूचना की जरूरत को लेकर किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है, क्योंकि ईमानदार करदाता पहले से जीएसटी रिटर्न और आयकर रिटर्न दाखिल कर रहे हैं और कारोबार की सही जानकारी दे रहे हैं.

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