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दीपावाली पर इस बार ईको फ्रेंडली पटाखे, 30 फीसदी कम होगा प्रदूषण

केंद्र सरकार ने इस दीपावाली पर लोगों की भावना के साथ प्रदूषण का भी ध्यान रखा है. इसके तहत ही ईको फ्रेडली पटाखों को लॉन्च किया गया है. इससे प्रदूषण स्तर में कमी आएगी. पढ़ें पूरी खबर...

फाइल फोटो
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Published : Oct 5, 2019, 10:50 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष पटाखों से उपजे प्रदूषण और आमजन के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इस बार ईको फ्रेंडली पटाखों को लॉन्च किया है. केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने पटाखों को लॉन्च करते हुए कहा कि इससे पारम्परिक पटाखों की तुलना 30 प्रतिशत कम प्रदूषण होगा.

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान के शोधकर्ताओं ने इस पटाखे की खोज की है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ईको फ्रेंडली पटाखे अब बाजार में उपलब्ध होंगे. इनमें कम आवाज वाले पटाखे, फुलझड़ी, पेंसिल चकरी और स्पार्कलर शामिल हैं.

गौरतलब है कि पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के कारण पटाखे की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. विशेष रूप से नई दिल्ली में पटाखों को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था क्योंकि पंजाब और हरियाणा में उस समय पराली जलाने से उन दोनों राज्यों के साथ राजधानी दिल्ली में भी प्रदूषण छाया रहता है.

पढ़ेंः आरे जंगल मामला: जावड़ेकर बोले- दिल्ली मेट्रो के लिए भी काटे थे पेड़

इस बीच राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान के निदेशक राकेश कुमार ने आश्वासन देते हुए कहा कि इको फ्रेंडली पटाखे पारम्परिक पटाखों की तुलना में सस्ते होंगे.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष पटाखों से उपजे प्रदूषण और आमजन के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इस बार ईको फ्रेंडली पटाखों को लॉन्च किया है. केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने पटाखों को लॉन्च करते हुए कहा कि इससे पारम्परिक पटाखों की तुलना 30 प्रतिशत कम प्रदूषण होगा.

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान के शोधकर्ताओं ने इस पटाखे की खोज की है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ईको फ्रेंडली पटाखे अब बाजार में उपलब्ध होंगे. इनमें कम आवाज वाले पटाखे, फुलझड़ी, पेंसिल चकरी और स्पार्कलर शामिल हैं.

गौरतलब है कि पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के कारण पटाखे की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. विशेष रूप से नई दिल्ली में पटाखों को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था क्योंकि पंजाब और हरियाणा में उस समय पराली जलाने से उन दोनों राज्यों के साथ राजधानी दिल्ली में भी प्रदूषण छाया रहता है.

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इस बीच राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान के निदेशक राकेश कुमार ने आश्वासन देते हुए कहा कि इको फ्रेंडली पटाखे पारम्परिक पटाखों की तुलना में सस्ते होंगे.

Intro:New Delhi: Witnessing the pollution hazard and health risk posed by fire crackers in 2018, the Union Minister of Science and Technology, Dr Harshvardhan launched 'Green Crackers' for this Diwali, which will emit 30 percent less particulate matter than the traditional crackers.


Body:The entire initiative was coordinated by the researchers from the National Environmental Engineering Research Institute (NEERI) of the Council of Scientific and Industrial Research (CSIR).

The Union Minister announced that these Green Crackers will be now available in the market including less sound emitting crackers, flowerpots, pencils, chakkari and sparklers based on New formulations developed by CSIR. "Nearly 230 MoUs and 165 non-disclosure agreements (NDAs) have been signed with fireworks manufacturers. Last year, these crackers were ready during the season but due to some legal formalities, they were not allowed to be sold in the market. Now we've got Green Crackers whose definition is being certified by the Supreme Court," he added.

Last year, Supreme Court banned the sale of crackers due to the increase in the level of pollution, especially in the cities like New Delhi, as due to stubble burning in Punjab and Haryana, a blanket of pollution covers the National capital during that season and Diwali firecrackers add to the smog, which takes a very long time to clear. However, due to the festivals which are associated with crackers, this move faced resistance from many sectors of the society.

The new crackers namely "safe water releaser (SWAS)", "safe minimal aluminium (SAFAL)", and "safe thermite cracker (STAR)", are not having any amount of barium nitrate, which is one of the key ingredients in the traditional firecrackers. These crackers will also release water vapour or air as dust suppressant and diligent for gaseous emissions.

These crackers will reduce the emission of particulate matter like sulphur dioxide and nitrogen oxide by at least 30 percent. Some crackers can even reach the reduction mark of 90 percent. The boxes carrying these crackers will also have a QR code which can be scanned to get the details about those crackers.


Conclusion:However, a big question arises over the pricing of these eco-friendly crackers. While giving assurance, Director of NEERI, Rakesh Kumar said, "This is one of our criteria while manufacturing these crackers to make its cost low. I can assure you that it will cost either less than the traditional crackers or it will be of same rate."
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