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53 करोड़ पशुओं को दिया गया आधार नंबर, सरकार ने बताई वजह - प्रत्येक पशु के कान पर एक टैग

डॉ. संजीव कुमार बालियान ने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए सूचना प्रणाली विकसित की है. पशुओं को मिलने वाले 12 अंकों के विशिष्ट पहचान संख्या(यूआइडी) का उपयोग राष्ट्रीय डेटाबेस में हो रहा है.

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Published : Sep 20, 2020, 11:00 PM IST

नई दिल्ली : देश में पशुओं को भी आधार नंबर देने का कार्य तेजी से चल रहा है. सरकार ने योजना का विस्तार करते हुए भेड़, बकरी और सुअर को भी 'पशु आधार' देना शुरू किया है. इससे अब देश में 53.5 करोड़ पशुओं को 12 अंकों का आधार कार्ड मिलेगा. सरकार का कहना है कि इससे कई तरह के लाभ होंगे. पशुओं और रोगों की पहचान सुनिश्चित होगी.

सांसदों ने पूछे थे सवाल
53.5 करोड़ पशुओं का आधार नंबर बन जाने के बाद भारत के पास पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस होगा. इस डेटाबेस में पशुओं की नस्ल, दूध उत्पादन, कृत्रिम गर्भाधान टीकाकरण और पोषण से जुड़ी जानकारियां होंगी. दरअसल, लोकसभा सांसद विनोद कुमार सोनकर, भोला सिंह, संगीता कुमारी सिंह देव, सुकांत मजूमदार, जयंत कुमार राय, राजा अमरेश्वर नाईक ने लोकसभा में रविवार को एक अतारांकित सवाल कर मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री से पूछा था कि क्या सरकार ने अंतरराष्ट्रीय संगठन के साथ परामर्श कर पशुओं को 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या(यूआईडी) देने काम काम शुरू किया है? इसके लिए क्या सरकार ने पशु संजीवनी योजना आरंभ की है?

दुधारु गोवंशों और भैसों की पहचान होगी
इस सवाल का लिखित जवाब देते हुए मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान ने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए सूचना प्रणाली विकसित की है. पशुओं को मिलने वाले 12 अंकों के विशिष्ट पहचान संख्या(यूआइडी) का उपयोग राष्ट्रीय डेटाबेस में हो रहा है. मंत्री ने बताया कि भारत सरकार पशुओं के वैज्ञानिक प्रजनन, रोगों के फैलाव को रोकने, दुग्ध उत्पादों का व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या(पशु आधार) का उपयोग कर दुधारु गोवंशों और भैसों की पहचान कर रही है.

प्रत्येक पशु के कान पर एक टैग
इसे पशु संजीवनी घटक स्कीम के तहत लागू किया जा रहा है, जिसे अब राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत शामिल किया गया. मंत्री ने बताया कि पशु आधार से अब भेड़, बकरी और सुअर को भी जोड़ा जा रहा है. इस प्रकार 53.5 करोड़ पशुओं को आधार नंबर दिया जा रहा है. सितंबर 2019 में शुरू हुए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत आधार नंबर से पशुओं की पहचान करना आसान हो गया है. इस योजना के तहत प्रत्येक पशु के कान पर एक 12-अंकों के यूआईडी वाला थर्मोप्लास्टिकपॉलीयूरेथेन टैग लगाया जाता है.

नई दिल्ली : देश में पशुओं को भी आधार नंबर देने का कार्य तेजी से चल रहा है. सरकार ने योजना का विस्तार करते हुए भेड़, बकरी और सुअर को भी 'पशु आधार' देना शुरू किया है. इससे अब देश में 53.5 करोड़ पशुओं को 12 अंकों का आधार कार्ड मिलेगा. सरकार का कहना है कि इससे कई तरह के लाभ होंगे. पशुओं और रोगों की पहचान सुनिश्चित होगी.

सांसदों ने पूछे थे सवाल
53.5 करोड़ पशुओं का आधार नंबर बन जाने के बाद भारत के पास पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस होगा. इस डेटाबेस में पशुओं की नस्ल, दूध उत्पादन, कृत्रिम गर्भाधान टीकाकरण और पोषण से जुड़ी जानकारियां होंगी. दरअसल, लोकसभा सांसद विनोद कुमार सोनकर, भोला सिंह, संगीता कुमारी सिंह देव, सुकांत मजूमदार, जयंत कुमार राय, राजा अमरेश्वर नाईक ने लोकसभा में रविवार को एक अतारांकित सवाल कर मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री से पूछा था कि क्या सरकार ने अंतरराष्ट्रीय संगठन के साथ परामर्श कर पशुओं को 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या(यूआईडी) देने काम काम शुरू किया है? इसके लिए क्या सरकार ने पशु संजीवनी योजना आरंभ की है?

दुधारु गोवंशों और भैसों की पहचान होगी
इस सवाल का लिखित जवाब देते हुए मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान ने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए सूचना प्रणाली विकसित की है. पशुओं को मिलने वाले 12 अंकों के विशिष्ट पहचान संख्या(यूआइडी) का उपयोग राष्ट्रीय डेटाबेस में हो रहा है. मंत्री ने बताया कि भारत सरकार पशुओं के वैज्ञानिक प्रजनन, रोगों के फैलाव को रोकने, दुग्ध उत्पादों का व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या(पशु आधार) का उपयोग कर दुधारु गोवंशों और भैसों की पहचान कर रही है.

प्रत्येक पशु के कान पर एक टैग
इसे पशु संजीवनी घटक स्कीम के तहत लागू किया जा रहा है, जिसे अब राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत शामिल किया गया. मंत्री ने बताया कि पशु आधार से अब भेड़, बकरी और सुअर को भी जोड़ा जा रहा है. इस प्रकार 53.5 करोड़ पशुओं को आधार नंबर दिया जा रहा है. सितंबर 2019 में शुरू हुए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत आधार नंबर से पशुओं की पहचान करना आसान हो गया है. इस योजना के तहत प्रत्येक पशु के कान पर एक 12-अंकों के यूआईडी वाला थर्मोप्लास्टिकपॉलीयूरेथेन टैग लगाया जाता है.

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