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ममता पर बरसे राज्यपाल, कहा- संविधान की रक्षा न हुई तो करेंगे कार्रवाई

पश्चिम बंगाल में एक बार फिर राजनीतिक संकट के संकेत मिलते दिख रहे हैं. दरअसल, राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक दूसरे पर जमकर हमले कर रहे हैं. ताजा घटनाक्रम में राज्यपाल ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में पुलिस शासन और लोकतंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते. इससे पहले मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को पत्र लिख कर उनसे 'संविधान के दायरे में रहकर काम करने को कहा था.'

ममता पर बरसे राज्यपाल धनखड़
ममता पर बरसे राज्यपाल धनखड़
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Published : Sep 28, 2020, 5:14 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 9:23 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा है कि प्रदेश में पुलिस शासन और लोकतंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते. उन्होंने यह टिप्पणी ममता के पत्र के जवाब में एक प्रेस वार्ता में की है. सोमवार को एक प्रेस वार्ता में राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि माननीय सीएम द्वारा 26 सितंबर को लिखे गए पत्र के जवाब में यह प्रेस वार्ता कर रहे हैं. राज्यपाल धनखड़ ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार ने राज्य को 'पुलिस शासित राज्य' में बदल दिया है और सत्ता द्वारा उनकी लंबे समय से अनदेखी की जा रही है जिसके कारण उन्हें संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करना होगा.

गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 154 में उल्लेख है कि राज्य के कार्यकारी अधिकार राज्यपाल में निहित होंगे और वह प्रत्यक्ष रूप से या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से उन अधिकारों का इस्तेमाल कर सकेंगे.

उन्होंने कहा कि सीएम ने एक ऐसे मुद्दे पर जवाब दिया है, जो पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि ममता ने उन्हें संबोधित किए गए पत्र पर जवाब नहीं दिया. राज्यपाल ने प्रदेश में बम बनाए जाने की गतिविधियों के अलावा पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था बिगड़ने का भी जिक्र किया.

धनखड़ ने अपने पत्र का जवाब देने में 'गैरजिम्मेदाराना रुख' अख्तियार करने पर पुलिस महानिदेशक वीरेंद्र की आलोचना की और कहा कि पुलिस अधिकारी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की तरह काम कर रहे हैं.

राज्यपाल ने कहा, 'अगर संविधान की रक्षा नहीं हुई, तो मुझे कार्रवाई करनी पड़ेगी. राज्यपाल के पद की लंबे समय से अनदेखी की गयी है. मुझे संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करने को बाध्य होना पड़ेगा.' उन्होंने यह भी कहा कि तृणमूल कांग्रेस सरकार द्वारा की जा रही 'इलेक्ट्रॉनिक निगरानी' की वजह से उन्हें वॉट्सऐप वीडियो कॉल करने को मजबूर होना पड़ रहा है.

राज्यपाल जगदीप धनखड का बयान

धनखड़ ने कहा, 'पश्चिम बंगाल पुलिस शासित राज्य बन गया है. पुलिस का शासन और लोकतंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते. राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गयी है. माओवादी उग्रवाद अपना सिर उठा रहा है. इस राज्य से आतंकी मॉड्यूल भी गतिविधियां चला रहे हैं.'

बता दें कि धनखड़ ने जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कामकाज संभाला था और तब से ही उनका तृणमूल कांग्रेस सरकार से गतिरोध सामने आता रहा है. उन्होंने डीजीपी वीरेंद्र को इस महीने की शुरुआत में पत्र लिखकर राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी.

डीजीपी के दो पंक्ति के जवाब के बाद राज्यपाल ने उन्हें 26 सितंबर को उनसे मिलने को कहा था. इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 26 सितंबर को राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया कि वह 'संविधान में निर्देशित कार्यक्षेत्र में रहते हुए काम करें'. ममता ने डीजीपी को लिखे उनके पत्र पर पीड़ा भी जताई थी.

ममता-धनखड़ टकराव की कुछ अन्य घटनाएं-

इससे पहले रविवार को धनखड़ ने ममता को पत्र लिखकर पूछा था कि राज्य सरकार किसानों को मिलने वाले धन में क्यों 'बिचौलिया' बनना चाहती है. उन्होंने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख कर जानना चाहा कि प्रधानमंत्री-किसान योजना के तहत किसानों को केंद्र से धन मिलने पर राज्य क्यों 'बिचौलिया' बनना चाहता है.

गौरतलब है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच विभिन्न मामलों को लेकर तकरार बढ़ती जा रही है. राज्यपाल के पत्र से एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को पत्र लिख कर उनसे 'संविधान के दायरे में रहकर काम करने को कहा था.'

इससे पहले, मुख्यमंत्री ने केंद्र को पत्र लिख कर कहा था कि वह पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री किसान योजना और आयुष्मान भारत योजना लागू करने के लिए राजी हैं, बशर्ते धन राज्य सरकार के जरिए दिया जाए. धनखड़ ने मुख्यमंत्री से इस प्रस्ताव को विचारार्थ राज्य कैबिनेट के समक्ष पेश करने को कहा था.

राज्यपाल ने केंद्र सरकार से बनर्जी के अनुरोध को 'प्रतिगामी कदम' करार दिया और आशंका जताई कि इससे भ्रष्टाचार के रास्ते खुल सकते हैं. राज्यपाल ने अपने पत्र को ट्विटर पर भी साझा किया है.

उन्होंने पत्र में लिखा,'राष्ट्रीय नीति 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' की है तो फिर 'अधिकतम सरकार, न्यूनतम शासन' वाला रुख क्यों?' उन्होंने लिखा कि अम्फान राहत और जन वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार को कोई भूला नहीं है. धनखड़ ने कहा, 'अब वक्त किसानों के साथ पारदर्शी तरीके से निष्पक्षता दिखाने का है.'

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा है कि प्रदेश में पुलिस शासन और लोकतंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते. उन्होंने यह टिप्पणी ममता के पत्र के जवाब में एक प्रेस वार्ता में की है. सोमवार को एक प्रेस वार्ता में राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि माननीय सीएम द्वारा 26 सितंबर को लिखे गए पत्र के जवाब में यह प्रेस वार्ता कर रहे हैं. राज्यपाल धनखड़ ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार ने राज्य को 'पुलिस शासित राज्य' में बदल दिया है और सत्ता द्वारा उनकी लंबे समय से अनदेखी की जा रही है जिसके कारण उन्हें संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करना होगा.

गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 154 में उल्लेख है कि राज्य के कार्यकारी अधिकार राज्यपाल में निहित होंगे और वह प्रत्यक्ष रूप से या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से उन अधिकारों का इस्तेमाल कर सकेंगे.

उन्होंने कहा कि सीएम ने एक ऐसे मुद्दे पर जवाब दिया है, जो पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि ममता ने उन्हें संबोधित किए गए पत्र पर जवाब नहीं दिया. राज्यपाल ने प्रदेश में बम बनाए जाने की गतिविधियों के अलावा पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था बिगड़ने का भी जिक्र किया.

धनखड़ ने अपने पत्र का जवाब देने में 'गैरजिम्मेदाराना रुख' अख्तियार करने पर पुलिस महानिदेशक वीरेंद्र की आलोचना की और कहा कि पुलिस अधिकारी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की तरह काम कर रहे हैं.

राज्यपाल ने कहा, 'अगर संविधान की रक्षा नहीं हुई, तो मुझे कार्रवाई करनी पड़ेगी. राज्यपाल के पद की लंबे समय से अनदेखी की गयी है. मुझे संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करने को बाध्य होना पड़ेगा.' उन्होंने यह भी कहा कि तृणमूल कांग्रेस सरकार द्वारा की जा रही 'इलेक्ट्रॉनिक निगरानी' की वजह से उन्हें वॉट्सऐप वीडियो कॉल करने को मजबूर होना पड़ रहा है.

राज्यपाल जगदीप धनखड का बयान

धनखड़ ने कहा, 'पश्चिम बंगाल पुलिस शासित राज्य बन गया है. पुलिस का शासन और लोकतंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते. राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गयी है. माओवादी उग्रवाद अपना सिर उठा रहा है. इस राज्य से आतंकी मॉड्यूल भी गतिविधियां चला रहे हैं.'

बता दें कि धनखड़ ने जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कामकाज संभाला था और तब से ही उनका तृणमूल कांग्रेस सरकार से गतिरोध सामने आता रहा है. उन्होंने डीजीपी वीरेंद्र को इस महीने की शुरुआत में पत्र लिखकर राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी.

डीजीपी के दो पंक्ति के जवाब के बाद राज्यपाल ने उन्हें 26 सितंबर को उनसे मिलने को कहा था. इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 26 सितंबर को राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया कि वह 'संविधान में निर्देशित कार्यक्षेत्र में रहते हुए काम करें'. ममता ने डीजीपी को लिखे उनके पत्र पर पीड़ा भी जताई थी.

ममता-धनखड़ टकराव की कुछ अन्य घटनाएं-

इससे पहले रविवार को धनखड़ ने ममता को पत्र लिखकर पूछा था कि राज्य सरकार किसानों को मिलने वाले धन में क्यों 'बिचौलिया' बनना चाहती है. उन्होंने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख कर जानना चाहा कि प्रधानमंत्री-किसान योजना के तहत किसानों को केंद्र से धन मिलने पर राज्य क्यों 'बिचौलिया' बनना चाहता है.

गौरतलब है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच विभिन्न मामलों को लेकर तकरार बढ़ती जा रही है. राज्यपाल के पत्र से एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को पत्र लिख कर उनसे 'संविधान के दायरे में रहकर काम करने को कहा था.'

इससे पहले, मुख्यमंत्री ने केंद्र को पत्र लिख कर कहा था कि वह पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री किसान योजना और आयुष्मान भारत योजना लागू करने के लिए राजी हैं, बशर्ते धन राज्य सरकार के जरिए दिया जाए. धनखड़ ने मुख्यमंत्री से इस प्रस्ताव को विचारार्थ राज्य कैबिनेट के समक्ष पेश करने को कहा था.

राज्यपाल ने केंद्र सरकार से बनर्जी के अनुरोध को 'प्रतिगामी कदम' करार दिया और आशंका जताई कि इससे भ्रष्टाचार के रास्ते खुल सकते हैं. राज्यपाल ने अपने पत्र को ट्विटर पर भी साझा किया है.

उन्होंने पत्र में लिखा,'राष्ट्रीय नीति 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' की है तो फिर 'अधिकतम सरकार, न्यूनतम शासन' वाला रुख क्यों?' उन्होंने लिखा कि अम्फान राहत और जन वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार को कोई भूला नहीं है. धनखड़ ने कहा, 'अब वक्त किसानों के साथ पारदर्शी तरीके से निष्पक्षता दिखाने का है.'

Last Updated : Sep 28, 2020, 9:23 PM IST
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