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साउथ रेलवे में हिंदी अनिवार्य करने पर फिर बवाल, सर्कुलर लिया गया वापस

हिन्दी भाषा को लेकर एक विवाद अभी थमा भी नहीं था कि दूसरा विवाद खड़ा हो गया. इस बार हिन्दी पर विवाद रेलवे के मंडलीय नियंत्रण के हिन्दी और अंग्रेजी को अनिवार्य करने के लिए हुआ है.

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Published : Jun 14, 2019, 6:06 PM IST

चेन्नई: रेलवे के मंडलीय नियंत्रण अधिकारियों एवं स्टेशन मास्टरों के बीच संवाद की भाषा के तौर पर अंग्रेजी एवं हिन्दी को अनिवार्य बनाने से संबंधी दक्षिण रेलवे का सर्कुलर सामने आया है. इसको लेकर शुक्रवार तमिलनाडु में विवाद पनप गया.

बहरहाल अधिकारियों के समक्ष द्रमुक के आपत्ति जताने के बाद इसे वापस ले लिया गया. विपक्ष ने इसे हिन्दी भाषा को 'थोपने' का एक और प्रयास बताते हुए इसकी निंदा की.

मई में जारी यह सर्कुलर शुक्रवार को मीडिया में प्रकाशित हुआ. कुछ दिन पहले ही मदुरै जिले में दो स्टेशन मास्टरों के बीच कथित भाषाई मुद्दे की वजह से दो ट्रेनें एक ही पटरी पर चलने लगी थीं. घटना के कारण तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था.

पढ़ें: हिंदी सीखने के इच्छुक लोगों में तमिलनाडु दक्षिणी राज्यों में सबसे आगे

इसे 'अहंकार' से भरा कदम बताते हुए द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने आरोप लगाया कि यह सर्कुलर हिन्दी भाषा को लागू करने और स्थानीय भाषा को खत्म करने का एक प्रयास है.

स्टालिन ने फेसबुक पर तमिल में पोस्ट किया, 'वे लगातार तमिलों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं... अगर इस तरह के घटिया आदेशों को तत्काल रोका नहीं जाता है तो हम उन पर पूरी तरह रोक लगा देंगे.'

द्रमुक प्रमुख के निर्देशों पर पार्टी सांसद दयानिधि मारन ने दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक राहुल जैन और मुख्य संचालन प्रबंधक एस अनंतरामन को इस सर्कुलर के खिलाफ ज्ञापन सौंपा. अधिकारियों ने उन्हें इस सर्कुलर को 'तत्काल प्रभाव' से वापस लिये जाने का आश्वासन दिया.

बता दें कि तामिलनाडु में हिन्दी को लेकर ये विवाद कोई पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी कई बार हिन्दी को लेकर विवाद खड़े हुए हैं. बीते दिनों ही नई शिक्षा प्रणाली में हिन्दी को लेकर लंबी बहस चल रही थी.

इसमें तीन भाषा को स्कूल में पढ़ाए जाने की बात कही गई थी, जिसमें से एक भाषा हिन्दी भी थी. इस पर लोगों ने ऐतराज जाहिर किया था.

चेन्नई: रेलवे के मंडलीय नियंत्रण अधिकारियों एवं स्टेशन मास्टरों के बीच संवाद की भाषा के तौर पर अंग्रेजी एवं हिन्दी को अनिवार्य बनाने से संबंधी दक्षिण रेलवे का सर्कुलर सामने आया है. इसको लेकर शुक्रवार तमिलनाडु में विवाद पनप गया.

बहरहाल अधिकारियों के समक्ष द्रमुक के आपत्ति जताने के बाद इसे वापस ले लिया गया. विपक्ष ने इसे हिन्दी भाषा को 'थोपने' का एक और प्रयास बताते हुए इसकी निंदा की.

मई में जारी यह सर्कुलर शुक्रवार को मीडिया में प्रकाशित हुआ. कुछ दिन पहले ही मदुरै जिले में दो स्टेशन मास्टरों के बीच कथित भाषाई मुद्दे की वजह से दो ट्रेनें एक ही पटरी पर चलने लगी थीं. घटना के कारण तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था.

पढ़ें: हिंदी सीखने के इच्छुक लोगों में तमिलनाडु दक्षिणी राज्यों में सबसे आगे

इसे 'अहंकार' से भरा कदम बताते हुए द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने आरोप लगाया कि यह सर्कुलर हिन्दी भाषा को लागू करने और स्थानीय भाषा को खत्म करने का एक प्रयास है.

स्टालिन ने फेसबुक पर तमिल में पोस्ट किया, 'वे लगातार तमिलों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं... अगर इस तरह के घटिया आदेशों को तत्काल रोका नहीं जाता है तो हम उन पर पूरी तरह रोक लगा देंगे.'

द्रमुक प्रमुख के निर्देशों पर पार्टी सांसद दयानिधि मारन ने दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक राहुल जैन और मुख्य संचालन प्रबंधक एस अनंतरामन को इस सर्कुलर के खिलाफ ज्ञापन सौंपा. अधिकारियों ने उन्हें इस सर्कुलर को 'तत्काल प्रभाव' से वापस लिये जाने का आश्वासन दिया.

बता दें कि तामिलनाडु में हिन्दी को लेकर ये विवाद कोई पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी कई बार हिन्दी को लेकर विवाद खड़े हुए हैं. बीते दिनों ही नई शिक्षा प्रणाली में हिन्दी को लेकर लंबी बहस चल रही थी.

इसमें तीन भाषा को स्कूल में पढ़ाए जाने की बात कही गई थी, जिसमें से एक भाषा हिन्दी भी थी. इस पर लोगों ने ऐतराज जाहिर किया था.

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