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कर्नाटक में शिक्षकों की पहल : गांव में जाकर बच्चों को पढ़ा रहे - Corona holiday

कोरोना महामारी की वजह से देशभर में शैक्षणिक कार्य बंद हैं. वहीं इस दौरान मैसूर के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक गांव में जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. इस दौरान वह सोशल डिस्टेसिंग का भी पालन कर रहे हैं.पढ़ें पूरी खबर...

Government teacher
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Published : Jul 19, 2020, 4:49 PM IST

बेंगलुरु : देशभर में फैली कोरोना महामारी की वजह से सभी स्कूल-कॉलेज बंद चल रहे हैं. इससे छात्रों को काफी नुकसान हो रहा है. इस बीच कर्नाटक में मैसूर के एक सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने अच्छी पहल की है और गांव में जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. इस दौरान वे सामाजिक दूरी का बखूबी पालन भी कर रहे हैं.

मैसूर जिले में सरगुरु तालुक के बडगलापुरा गांव में यह अनुकरणीय पहल देखने को मिली है, जहां सरकारी स्कूल की अध्यापिका सविता सहित अन्य शिक्षक गांव में जा रहे हैं और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

गांव में जाकर बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक

शिक्षकों का कहना है कि यदि इन बच्चों को एक से दो महीने की अवधि के लिए स्कूल में नहीं पढ़ाया जाता तो वे जो सीखे हैं, उसे भी भूल सकते हैं. खासकर बच्चे गणित और अंग्रेजी जल्दी भूल जाते हैं तो उन्हें फिर से पढ़ाना मुश्किल होता है. गांव के बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ाने के लिए मोबाइल, इंटरनेट आदि भी नहीं है, लिहाजा इन्हें गांव में एक जगह बुलाकर पढ़ाया जाता है.

पढ़ें : भारत-चीन सीमा विवाद : वायुसेना की इस सप्ताह बैठक, राफेल की तैनाती पर होगी चर्चा

छुट्टियों में गांव के बच्चों को पढ़ाने वाले ये शिक्षक अन्य सरकारी अध्यापकों के लिए आदर्श हैं, जो सरकारी नौकरी पाने के बाद कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाने से बचने की कोशिश कर रहे हैं.

बेंगलुरु : देशभर में फैली कोरोना महामारी की वजह से सभी स्कूल-कॉलेज बंद चल रहे हैं. इससे छात्रों को काफी नुकसान हो रहा है. इस बीच कर्नाटक में मैसूर के एक सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने अच्छी पहल की है और गांव में जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. इस दौरान वे सामाजिक दूरी का बखूबी पालन भी कर रहे हैं.

मैसूर जिले में सरगुरु तालुक के बडगलापुरा गांव में यह अनुकरणीय पहल देखने को मिली है, जहां सरकारी स्कूल की अध्यापिका सविता सहित अन्य शिक्षक गांव में जा रहे हैं और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

गांव में जाकर बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक

शिक्षकों का कहना है कि यदि इन बच्चों को एक से दो महीने की अवधि के लिए स्कूल में नहीं पढ़ाया जाता तो वे जो सीखे हैं, उसे भी भूल सकते हैं. खासकर बच्चे गणित और अंग्रेजी जल्दी भूल जाते हैं तो उन्हें फिर से पढ़ाना मुश्किल होता है. गांव के बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ाने के लिए मोबाइल, इंटरनेट आदि भी नहीं है, लिहाजा इन्हें गांव में एक जगह बुलाकर पढ़ाया जाता है.

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छुट्टियों में गांव के बच्चों को पढ़ाने वाले ये शिक्षक अन्य सरकारी अध्यापकों के लिए आदर्श हैं, जो सरकारी नौकरी पाने के बाद कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाने से बचने की कोशिश कर रहे हैं.

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