नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने अंतरराष्ट्रीय नियमों की धज्जियां उड़ाकर हमला कर दिया था. इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए. इसके बाद ये सवाल उठने लगे थे कि भारतीय सैनिकों को हथियार चलाने की इजाजत क्यों नहीं दी गई. सूत्रों का कहना है कि अब भारत ने एलएसी पर इन नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव कर दिए हैं. इसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात को संभालने के लिए सैन्य स्तर पर कोई भी कार्रवाई करने की छूट अब कमांडिग ऑफिसर को दे दी गई है.
15 जून की रात को हुई हिंसक झड़प में चीन ने कथित तौर पर 10 भारतीय सेना के लोगों को हिरासत में लिया था. तीन दिनों के बाद उन्हें रिहा किया गया. हालांकि, भारतीय सूत्रों ने इन खबरों का खंडन किया था. सूत्रों ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के हमले के दौरान हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया. उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं थी.
लेकिन, नए नियम के अनुसार अब एलएसी पर तैनात कमांडर सैनिकों को स्थिति को संभालने के लिए कार्रवाई की पूर्ण स्वतंत्रता दी गई है. कमांडर अब शस्त्रों का उपयोग कर सकते हैं और सभी संसाधनों का उपयोग करके स्थितियों का जवाब देने का पूर्ण अधिकार है. पहले यह एलएसी के नियमों का हिस्सा नहीं थे.
शुक्रवार को एक सर्वदलीय बैठक के दौरान जारी एक बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत एलएसी को स्थानांतरित करने के किसी भी प्रयास का दृढ़ता से जवाब देगा.
पीएमओ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि भारतीय सेना अब निर्णायक रूप से एलएसी के किसी भी उल्लंघन का मुकाबला कर सकती है. प्रधानमंत्री के शब्द थे, 'जिन लोगों ने हमारी भूमि को स्थानांतरित करने की कोशिश की, उन्हें हमारे बहादुर जवानों ने सबक सिखाया'.
मोदी ने जोर देकर कहा कि मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सशस्त्र सेना हमारी सीमाओं की रक्षा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.
चीन ने भारतीय सेना पर हमला करने से पहले इलाके में बिखरे हुए सेना के जवानों की पोजीशन जानने के लिए थर्मल इमेजिंग ड्रोन का इस्तेमाल किया. सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सेना के जवानों पर किया गया सबसे घातक हमला था.
इस हमले को लेकर कई लोगों ने सवाल किया कि सैनिकों ने आग्नेयास्त्रों का उपयोग क्यों नहीं किया या वे निहत्थे क्यों चले गए. इस बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारतीय सेना के जवानों जिन पर सोमवार रात हमला किया गया था, उनके पास हथियार थे, हालांकि उन्होंने फायर नहीं किया.
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दरअसल, 1996 के समझौते के मुताबिक एलएसी के साथ सीमा क्षेत्रों मे दोनों ओर से तैनात किसी भी सशस्त्र बल को उनके संबंधित सैन्य ताकत के हिस्से के रूप इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष पर हमला करने या भारत चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को खतरे में डालने वाले गतिविधियों में संलग्न नहीं होगा.