नई दिल्ली : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी से मुलाकात की और पश्चिम बंगाल में दार्जीलिंग तथा इसके आस-पास के इलाकों को मिला कर अलग गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग की.
अधिकारियों ने बताया कि जीजेएम का दल गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) से जुड़े मुद्दों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक में भाग लेने के लिये यहां आया था.
उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार का कोई प्रतिनिधि बैठक में शामिल नहीं हुआ.
जीजेएम के कार्यकारी प्रमुख लोपसांग लामा ने कहा कि उन्होंने जीटीए पर चर्चा नहीं की, लेकिन अलग गोरखालैंड राज्य की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा.
उन्होंने कहा कि जीटीए काम नहीं कर रहा है. हमारी मांग सिर्फ गोरखालैंड राज्य के लिए है और हमने यह मुद्दा उठाया.
उन्होंने कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में वादा किया था कि यह गोरखालैंड मुद्दे का एक राजनीतिक समाधान निकालेगी.
जीजेएम नेता कल्याण दीवान ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने उन्हें धैर्य से सुना और भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों पर वार्ता जारी रहेगी.
बाद में एक बयान में लामा ने कहा कि सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने अलग गोरखालैंड राज्य और 11 गोरखा उप समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग की.
बयान में कहा गया कि भारत सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और जीजेएम के बीच 2011 में हस्ताक्षरित समझौते का राज्य सरकार ने सम्मान नहीं किया है.
प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में राज्य सरकार द्वारा कथित तौर पर अड़चनें डाले जाने का जिक्र किया गया है, जिस वजह से जीटीए निष्क्रिय हो गया.
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जीजेएम ने कहा कि जीटीए के सभी निर्वाचित सदस्यों ने 2017 में एक साथ इस्तीफा दे दिया था.
जीजेएम ने कहा कि मंत्री ने भरेासा दिलाया कि सरकार अपने समक्ष रखे गये सभी विषयों पर विचार करेगी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बात करने के बाद अगली बैठक की घोषणा की जाएगी.
बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शरीक हुए.
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के नेताओं ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) को चलाने में असफल साबित हुई है.