गोलाघाट : हाल ही में असम के एक दुर्लभ गोल्डन टाइगर की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई. तस्वीर वायरल होने के कुछ दिनों बाद वन्यजीव विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि यह प्रजाति नई नहीं है, बल्कि एक सामान्य रॉयल बंगाल टाइगर है. इसमें पीली कोटिंग कम होती है और एक सामान्य बंगाल टाइगर की तुलना में यह अधिक सफेद होता है, जिसका कारण जीन है.
बता दें कि एक पर्यटक ने ब्रह्मपुत्र नदी जर्नी के दौरान इस दुर्लभ बाघ की तस्वीर कैद की और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया.
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जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण संगठन, आरण्यक के साथ एक वन्यजीव शोधकर्ता डॉ फिरोज अहमद ने कहा कि इस बाघ में काली धारियां सामान्य बाघ की तुलना में काफी कम हैं. इसलिए यह अलग दिखता है. जानवरों का रंग जीन पर ही आधारित होता है, कुछ में छिपी हुई जीन की वजह से ऐसा अनोखा रंग बन जाता है.
वन्यजीव शोधकर्ता और पर्यावरणविद डॉ. राजीव बसुमती ने कहा कि यह बाघ पहली बार 2014-15 के दौरान काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान कैमरे में कैद हुआ था. यह सफेद बाघों की तरह है. इसकी जीन ही इसके अनोखे रंग के लिए जिम्मेदार है.
उन्होंने आगे कहा कि ज्यादा अन्तः प्रजनन (excessive inbreeding) से अकसर ऐसा देखने को मिलता है. बाघों को वैसे भी घूमने के लिए आस-पास के परिदृश्य की जरूरत होती है, हालांकि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्दान का अब आस-पास के जंगलों से जुड़ाव नहीं रहा. खासतौर से कार्बी एंगलॉन्ग पहाड़ियों से.
कारणवश उद्यान के अंदर ही जानवरों में अन्तः प्रजनन देखने को मिलता है.