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57 किशोरियां कोरोना पॉजिटिव, जांच में गर्भवती पाई गईं 7 लड़कियां

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Published : Jun 22, 2020, 1:47 AM IST

Updated : Jun 23, 2020, 11:41 AM IST

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में राजकीय बालिका संरक्षण गृह में 57 लड़कियों (संवासिनियों) में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है. जांच के दौरान इनमें सात नाबालिग लड़कियां गर्भवती पाई गई हैं, सभी संक्रमित बालिकाओं को इलाज के लिए रामा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर..

राजकीय बाल संरक्षण गृह
राजकीय बाल संरक्षण गृह

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित राजकीय बालिका संरक्षण गृह में घोर लापरवाही देखने को मिली है. यहां 57 किशोरियों (संवासिनियों) में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है. जांच के दौरान इनमें सात नाबालिग लड़कियां गर्भवती पाई गई हैं. बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले का संज्ञान लिया है.

इस बीच यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस प्रकरण की जांच की मांग की है. दूसरी तरफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बालिका संरक्षण गृह पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

इस मामले की पुष्टि कानपुर मण्डल के कमिश्नर डॉ. सुधीर एम बोबड़े ने की है. कानपुर के जिलाधिकारी डॉक्टर ब्रह्मदेव राम तिवारी के अनुसार, इस संरक्षण गृह में कुल 57 बालिकाएं कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं. सात बालिकाएं गर्भवती भी मिली हैं, जिनमें पांच कोरोना संक्रमित भी हैं. जो पांच लड़कियां कोरोना पॉजिटिव हैं, वे आगरा, एटा, कन्नौज, फ़िरोजाबाद और कानपुर नगर की बाल कल्याण समितियों के माध्यम से कानपुर आई थीं. सभी किशोरियां यहां आने से पहले ही गर्भवती थीं और इसकी पूरी जानकारी प्रशासन के पास मौजूद है. कोरोना संक्रमित गर्भवती संवासिनियों में दो को कानपुर के एलएलआर और तीन को रामा मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है.

बताया जा रहा है कि इन कोरोना संक्रमित लड़कियों में एक एचआईवी और एक हेपेटाइटिस सी की बीमारी से पीड़ित है. कोरोना के साथ एचआईवी और हेपेटाइटिस सी के संक्रमण होने के कारण स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं और भी बढ़ गई हैं. जांच करने वाले डॉक्टरों के पास गर्भवती किशारियों की किसी भी प्रकार की बैक हिस्ट्री नहीं है. बैक हिस्ट्री को समझने के लिए अधिकारियों से संपर्क किया गया है. कानपुर के स्वरूप नगर स्थित राजकीय बालिका गृह को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. साथ ही बालिका गृह के स्टाफ को भी क्‍वारंटाइन कर दिया गया है.

मामले की जानकारी देते कानपुर के डीएम.

लड़कियों को घर भेजेगा बाल संरक्षण आयोग
कानपुर की बालिका संरक्षण गृह में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले का संज्ञान लिया है. आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने कहा कि आयोग के निर्णय के बाद परिवार के साथ जाने को तैयार लड़कियों को जल्द घर भेजा जाएगा. आयोग ने इस मामले में एक सदस्यीय टीम जांच के लिए भेजने का निर्णय लिया है. मगर आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह सुविधा केवल उन्हीं किशोरियों को दी जाएंगी, जो घर से भाग कर या परिवार से बिछड़ कर बालिका गृह तक पहुंची हैं. पॉस्को एक्ट के तहत दर्ज मामलों की पीड़ितों को घर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. क्योंकि उनकी सुरक्षा महत्वपूर्ण है. बाल संरक्षण आयोग की एक सदस्यीय टीम कानपुर बालिका गृह का जल्द ही दौरा करेगी और इसकी रिपोर्ट सरकार को देगी.

यूपी बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता से खास बातचीत.

कैसे चपेट में आईं बालिका गृह की संवासिनियां
पिछले हफ्ते बालिका संरक्षण गृह की एक बच्ची को बुखार आया था. 14 जून जांच में पता चला कि वह कोरोना से संक्रमित है. इसके बाद मेडिकल टीम ने उसके साथ रह रहीं 97 लड़कियों की जांच शुरू की. पिछले 17 जून को जांच के दौरान पहली बार स्वरूप नगर स्थित बालिका गृह में 33 लड़कियों के कोरोना संक्रमित होने का मामला सामने आया. दूसरे दिन जांच में 17 अन्य लड़कियां कोरोना पॉजिटिव मिलीं. कुल 50 संवासिनियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए. आरोप है कि वहां केस मिलने के बाद भी न तो सेनिटाइजेशन किया गया और न ही पीड़िताओं को क्वारंटाइन किया गया. इसका नतीजा यह रहा कि 19 जून की देर रात सात अन्य लड़कियां कोरोना की चपेट में आ गईं और आंकड़ा 57 तक पहुंच गया. बता दें कि यहां कुल 157 से अधिक लड़कियां रह रहीं थीं. मगर अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि यहां रहने वाली लड़कियां किस व्यक्ति के संपर्क में आकर संक्रमित हुईं.

स्वास्थ्य विभाग की टीम इन लड़कियों को इलाज के लिए रामा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया तो पता चला इनमें से सात संवासिनी गर्भवती हैं. गर्भवती लड़कियों में दो की उम्र 17 साल है और वह आठ महीने की प्रेग्नेंट है. दोनों में एक गर्भवती बालिका एचआईवी पीड़ित है तो दूसरी हेपेटाइटिस-सी से भी ग्रसित है. दो नाबालिग बच्चियों का इलाज के लिए हैलट अस्पताल में रेफर कर दिया गया.

कानपुर जिलाधिकारी का बयान

अच्छा नहीं रहा है कानपुर के बालिका गृह का रेकॉर्ड
इस घटना से पहले भी कानपुर के स्वरूप नगर स्थित बालिका गृह में कई संदिग्ध घटनाएं हो चुकी हैं.

1. 2018 में एक संवासिनी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. तब आशंका जताई गई थी कि रेप के बाद संवासिनी की हत्या कर दी गई. तब कार्रवाई के नाम पर तत्कालीन जिला प्रोबेशन अधिकारी को हटा दिया गया था.

2. इससे एक माह पहले भी एक संवासिनी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी, जिस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था.

3. 2009 में संवासिनी लड़कियों के भागने का मामला भी सामने आया था. इस मामले में संवासिनी गृह की लड़कियों ने प्रताड़ना का आरोप लगाया था.

एसएसपी दिनेश कुमार का बयान

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बिमला बाथम की प्रतिक्रिया
बिमला बाथम के सरकार का बचाव करती नजर आईं. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि बालिका संरक्षण गृह में कोरोना पॉजिटिव हुईं सात लड़कियां पहले से गर्भवती थीं. इसका रिकॉर्ड सरकार के पास है. उन्होंने कहा कि कोरोना का मामला सामने आने पर सभी जिलों के जिलाधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वह अपने-अपने जिलों के शेल्टर होम में सफाई और सेनिटाइजेशन की व्यवस्था सुनिश्चित करें.

राज्य महिला आयोग की सदस्य पूनम कपूर की प्रतिक्रिया
राज्य महिला आयोग की सदस्य पूनम कपूर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि पूरे मामले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है. उन्होंने सरकार का बचाव करते हुए उन्होंने शेल्टर होम को किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट करने तक की बात कह डाली.

स्टेट चाइल्ड वेलफेयर कमिटी की सदस्य संगीता शर्मा
कोरोना काल की शुरुआत में यह तय किया गया था कि लखनऊ के सभी शेल्टर होम में क्वरंटाइन के लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था की गई है. कई जनपदों में ऐसा किया गया है. कानपुर में ऐसा था या नहीं, यह जांच का विषय है.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जताई नाराजगी
सपा के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस मामले में जांच की मांग की है. उन्होंने कहा है कि संवासिनी गृह में मिली सभी कोरोना पॉजिटिव लड़कियों का तत्काल इलाज कराया जाए.

प्रियंका गांधी वाड्रा ने साधा सरकार पर निशाना
कांग्रेस की महसचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने फेसबुक पोस्ट में कानपुर के बालिका गृह पर लापरवाही का आरोप लगाया. साथ ही आशंका जताई है कि लड़कियों का शोषण किया जा रहा है. कानपुर प्रशासन ने आरोपों को खारिज कर दिया है.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित राजकीय बालिका संरक्षण गृह में घोर लापरवाही देखने को मिली है. यहां 57 किशोरियों (संवासिनियों) में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है. जांच के दौरान इनमें सात नाबालिग लड़कियां गर्भवती पाई गई हैं. बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले का संज्ञान लिया है.

इस बीच यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस प्रकरण की जांच की मांग की है. दूसरी तरफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बालिका संरक्षण गृह पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

इस मामले की पुष्टि कानपुर मण्डल के कमिश्नर डॉ. सुधीर एम बोबड़े ने की है. कानपुर के जिलाधिकारी डॉक्टर ब्रह्मदेव राम तिवारी के अनुसार, इस संरक्षण गृह में कुल 57 बालिकाएं कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं. सात बालिकाएं गर्भवती भी मिली हैं, जिनमें पांच कोरोना संक्रमित भी हैं. जो पांच लड़कियां कोरोना पॉजिटिव हैं, वे आगरा, एटा, कन्नौज, फ़िरोजाबाद और कानपुर नगर की बाल कल्याण समितियों के माध्यम से कानपुर आई थीं. सभी किशोरियां यहां आने से पहले ही गर्भवती थीं और इसकी पूरी जानकारी प्रशासन के पास मौजूद है. कोरोना संक्रमित गर्भवती संवासिनियों में दो को कानपुर के एलएलआर और तीन को रामा मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है.

बताया जा रहा है कि इन कोरोना संक्रमित लड़कियों में एक एचआईवी और एक हेपेटाइटिस सी की बीमारी से पीड़ित है. कोरोना के साथ एचआईवी और हेपेटाइटिस सी के संक्रमण होने के कारण स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं और भी बढ़ गई हैं. जांच करने वाले डॉक्टरों के पास गर्भवती किशारियों की किसी भी प्रकार की बैक हिस्ट्री नहीं है. बैक हिस्ट्री को समझने के लिए अधिकारियों से संपर्क किया गया है. कानपुर के स्वरूप नगर स्थित राजकीय बालिका गृह को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. साथ ही बालिका गृह के स्टाफ को भी क्‍वारंटाइन कर दिया गया है.

मामले की जानकारी देते कानपुर के डीएम.

लड़कियों को घर भेजेगा बाल संरक्षण आयोग
कानपुर की बालिका संरक्षण गृह में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले का संज्ञान लिया है. आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने कहा कि आयोग के निर्णय के बाद परिवार के साथ जाने को तैयार लड़कियों को जल्द घर भेजा जाएगा. आयोग ने इस मामले में एक सदस्यीय टीम जांच के लिए भेजने का निर्णय लिया है. मगर आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह सुविधा केवल उन्हीं किशोरियों को दी जाएंगी, जो घर से भाग कर या परिवार से बिछड़ कर बालिका गृह तक पहुंची हैं. पॉस्को एक्ट के तहत दर्ज मामलों की पीड़ितों को घर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. क्योंकि उनकी सुरक्षा महत्वपूर्ण है. बाल संरक्षण आयोग की एक सदस्यीय टीम कानपुर बालिका गृह का जल्द ही दौरा करेगी और इसकी रिपोर्ट सरकार को देगी.

यूपी बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता से खास बातचीत.

कैसे चपेट में आईं बालिका गृह की संवासिनियां
पिछले हफ्ते बालिका संरक्षण गृह की एक बच्ची को बुखार आया था. 14 जून जांच में पता चला कि वह कोरोना से संक्रमित है. इसके बाद मेडिकल टीम ने उसके साथ रह रहीं 97 लड़कियों की जांच शुरू की. पिछले 17 जून को जांच के दौरान पहली बार स्वरूप नगर स्थित बालिका गृह में 33 लड़कियों के कोरोना संक्रमित होने का मामला सामने आया. दूसरे दिन जांच में 17 अन्य लड़कियां कोरोना पॉजिटिव मिलीं. कुल 50 संवासिनियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए. आरोप है कि वहां केस मिलने के बाद भी न तो सेनिटाइजेशन किया गया और न ही पीड़िताओं को क्वारंटाइन किया गया. इसका नतीजा यह रहा कि 19 जून की देर रात सात अन्य लड़कियां कोरोना की चपेट में आ गईं और आंकड़ा 57 तक पहुंच गया. बता दें कि यहां कुल 157 से अधिक लड़कियां रह रहीं थीं. मगर अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि यहां रहने वाली लड़कियां किस व्यक्ति के संपर्क में आकर संक्रमित हुईं.

स्वास्थ्य विभाग की टीम इन लड़कियों को इलाज के लिए रामा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया तो पता चला इनमें से सात संवासिनी गर्भवती हैं. गर्भवती लड़कियों में दो की उम्र 17 साल है और वह आठ महीने की प्रेग्नेंट है. दोनों में एक गर्भवती बालिका एचआईवी पीड़ित है तो दूसरी हेपेटाइटिस-सी से भी ग्रसित है. दो नाबालिग बच्चियों का इलाज के लिए हैलट अस्पताल में रेफर कर दिया गया.

कानपुर जिलाधिकारी का बयान

अच्छा नहीं रहा है कानपुर के बालिका गृह का रेकॉर्ड
इस घटना से पहले भी कानपुर के स्वरूप नगर स्थित बालिका गृह में कई संदिग्ध घटनाएं हो चुकी हैं.

1. 2018 में एक संवासिनी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. तब आशंका जताई गई थी कि रेप के बाद संवासिनी की हत्या कर दी गई. तब कार्रवाई के नाम पर तत्कालीन जिला प्रोबेशन अधिकारी को हटा दिया गया था.

2. इससे एक माह पहले भी एक संवासिनी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी, जिस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था.

3. 2009 में संवासिनी लड़कियों के भागने का मामला भी सामने आया था. इस मामले में संवासिनी गृह की लड़कियों ने प्रताड़ना का आरोप लगाया था.

एसएसपी दिनेश कुमार का बयान

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बिमला बाथम की प्रतिक्रिया
बिमला बाथम के सरकार का बचाव करती नजर आईं. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि बालिका संरक्षण गृह में कोरोना पॉजिटिव हुईं सात लड़कियां पहले से गर्भवती थीं. इसका रिकॉर्ड सरकार के पास है. उन्होंने कहा कि कोरोना का मामला सामने आने पर सभी जिलों के जिलाधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वह अपने-अपने जिलों के शेल्टर होम में सफाई और सेनिटाइजेशन की व्यवस्था सुनिश्चित करें.

राज्य महिला आयोग की सदस्य पूनम कपूर की प्रतिक्रिया
राज्य महिला आयोग की सदस्य पूनम कपूर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि पूरे मामले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है. उन्होंने सरकार का बचाव करते हुए उन्होंने शेल्टर होम को किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट करने तक की बात कह डाली.

स्टेट चाइल्ड वेलफेयर कमिटी की सदस्य संगीता शर्मा
कोरोना काल की शुरुआत में यह तय किया गया था कि लखनऊ के सभी शेल्टर होम में क्वरंटाइन के लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था की गई है. कई जनपदों में ऐसा किया गया है. कानपुर में ऐसा था या नहीं, यह जांच का विषय है.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जताई नाराजगी
सपा के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस मामले में जांच की मांग की है. उन्होंने कहा है कि संवासिनी गृह में मिली सभी कोरोना पॉजिटिव लड़कियों का तत्काल इलाज कराया जाए.

प्रियंका गांधी वाड्रा ने साधा सरकार पर निशाना
कांग्रेस की महसचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने फेसबुक पोस्ट में कानपुर के बालिका गृह पर लापरवाही का आरोप लगाया. साथ ही आशंका जताई है कि लड़कियों का शोषण किया जा रहा है. कानपुर प्रशासन ने आरोपों को खारिज कर दिया है.

Last Updated : Jun 23, 2020, 11:41 AM IST
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