ऋषिकेश: उत्तराखंड की तीर्थनगरी ऋषिकेश में 1997 से एक जर्मन नागरिक साधु के भेष में अवैध रुप से रह रहा था. शुक्रवार को पुलिस और एलआईयू को मामले की भनक लगी. इसके बाद जांच के लिए नाव घाट पहुंची पुलिस ने विदेशी नागरिक से उसके दस्तावेज मांगे. इस पर विदेशी नागरिक ने स्वीकार किया कि उसके पास कोई पासपोर्ट, वीजा या निवास का कोई वैध दस्तावेज नहीं है. इसके बाद से पुलिस इस मामले की गहनता से जांच कर रही है.
जानकारी के अनुसार ऋषिकेश में अवैध रूप से निवास कर रहा जर्मन नागरिक जर्गन रुडोल्फ साल 1981 में भारत आया था. पिछले 38 साल से वह महाराष्ट्र सहित दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों में रहा. बीते 18 सालों से वह ऋषिकेश क्षेत्र में स्थान बदल-बदल कर रह रहा है. फिलहाल, उसका मौजूदा ठिकाना मुनिकीरेती स्थित शत्रुघ्न घाट बना हुआ है. जहां वह गंगा के किनारे बने घाट पर एक अस्थाई झोपड़ी डालकर रह रहा है.
पुलिस की पूछताछ में आरोपी जर्गन रुडोल्फ ने बताया कि जब 1981 में वह भारत आया था तब उसके पास वीजा पासपोर्ट सहित सभी दस्तावेज थे. साल 1997 में कुछ युवकों ने पैसे के लालच में उसके सभी दस्तावेज चुरा लिए. इसके बाद उसने जर्मन एंबेसी में मदद की गुहार लगाई गई थी. लेकिन एंबेसी से उसे कोई सहयोग नहीं मिला.
वहीं जर्मन नागरिक जर्गन रुडोल्फ का कहना है कि अब उसने भारतीय संस्कृति को अपना लिया है. सन्यास परंपरा के अनुसार अब उसका पुनर्जन्म हो चुका है. इसके बाद से उसका नया नाम आसाराम गिरी है.
ये भी पढ़े: भारत-अमेरिका अधिक शांतिपूर्ण व स्थिर दुनिया के निर्माण में योगदान दे सकते हैं : PM मोदी
मुनी की रेती थाना प्रभारी निरीक्षक आरके सकलानी ने बताया कि विदेशी नागरिक से पूछताछ की गई. उसके पास से किसी भी तरह के वैध दस्तावेज नहीं मिले हैं. विदेशी युवक ने बताया है कि कुछ वर्ष पहले उसके दस्तावेज चोरी हो गए हैं. इसके बाद से वह लगातार बिना पासपोर्ट वीजा के यहां रह रहा है. पुलिस इस मामले की गहनता से जांच कर रही है.