जयपुर : शिक्षा जगत का भविष्य भले ही कम्प्यूटर पर स्थानांतरित हो जाए, लेकिन सुंदर लिखावट का महत्व कभी कम नहीं होने वाला. देखने में सुंदर शब्दों की इसी लिखावट को कैलीग्राफी कहा जाता है. राजस्थान की राजधानी जयपुर की 12 साल की गौरी माहेश्वरी कैलीग्राफी कला में 100 से अधिक स्टाइल की जानकार हैं. वह देश-विदेश के स्टूडेंट्स को कैलीग्राफी सिखाने के लिए ऑनलाइन बैच चलाती हैं. कैलीग्राफी की सबसे कम उम्र की कोच होने का गौरव गौरी ने हासिल कर लिया है. बालिका दिवस पर देखिए यह खास रिपोर्ट...
प्रतिभा वाकई उम्र की मोहताज नहीं होती. सीखने-सिखाने की कोई उम्र भी नहीं होती. गुलाबी नगर जयपुर की नन्ही गौरी माहेश्वरी ने यह सिद्ध करके दिखा दिया है. 12 वर्षीय गौरी को कैलीग्राफी में सबसे छोटी टीचर बनने का गौरव प्राप्त हुआ है. गौरी देश-विदेश के स्टूडेंट्स की क्लास लेती हैं. उनकी क्लास में सब उम्र के स्टूडेंट हैं.
12 साल की उम्र में गौरी को मिला अवॉर्ड
कैलीग्राफी में ऐसी निपुणता हासिल करने पर गौरी माहेश्वरी को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने यंगेस्ट ऑनलाइन कैलीग्राफी कोच के ग्रैंडमास्टर अवॉर्ड से नवाजा है. गौरी ने यह मुकाम सिर्फ 12 वर्ष की उम्र में हासिल किया है.
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अब तक 700 को सिखा चुकी हैं कैलीग्राफी
फिलहाल गौरी माहेश्वरी करीब 100 लोगों को ऑनलाइन कैलीग्राफी की कोचिंग दे रही हैं. जिसमें सात वर्ष से लेकर 60 वर्ष तक की उम्र के स्टूडेंट शामिल हैं. अब तक गौरी 700 से अधिक स्टूडेंट्स को कैलीग्राफी सिखा चुकी हैं. गौरी भारत के साथ-साथ यूएसए, कतर, नाइजीरिया जैसे देशों के स्टूडेंट्स की भी ऑनलाइन क्लास लेती हैं.
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड से भी सम्मान
गौरी को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने भी सम्मानित किया है. गौरी खुद कक्षा सात की स्टूडेंट हैं और पढ़ने में अव्वल हैं. खुद की क्लास खत्म होने के बाद वह कैलीग्राफी में अपने स्टूडेंट्स की क्लास लेती हैं. वह इतनी शालीनता, धैर्य और मनमोहक तरीके से कैलीग्राफी सिखाने लगी हैं कि देखते ही देखते बच्चे बड़े सहजता से कैलीग्राफी सीख जाते हैं.
जब शिक्षक ने उम्र देख कैलीग्राफी सिखाने से किया इनकार
गौरी की मां मीनाक्षी माहेश्वरी बेटी की इस उपलब्धि से खुश हैं. मीनाक्षी बताती हैं कि गौरी शुरू से ही टेलेंटेड बच्ची है. पढ़ाई में होनहार होने के साथ वह अच्छी वक्ता और कलाकार है. कैलीग्राफी उसकी पसंदीदा कला है.
कुछ साल पहले की बातों को याद करते हुए मीनाक्षी बताती हैं कि गौरी का एडमिशन जब फर्स्ट क्लास में कराया तो उन्होंने टीचर से कहा कि गौरी कैलीग्राफी क्लास अटेंड करना चाहती है. लेकिन टीचर ने यह कहकर मना कर दिया था कि कैलीग्राफी छठी-सातवीं क्लास के बच्चों के लिए है. इतनी छोटी बच्ची कैलीग्राफी नहीं कर पाएगी. गौरी ने हार नहीं मानी, उसने कैलीग्राफी न केवल सीखी बल्कि अब कच्ची उम्र में दुनिया को कैलीग्राफी सिखा रही है.
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गौरी की मां मीनाक्षी माहेश्वरी ने बताया कि बचपन से ही गौरी हर काम को पूरी लगन, मेहनत और उत्साह से करती है.
आर्मी वेलफेयर फंड में कैलीग्राफी क्लास की कमाई
लॉकडाउन के दौरान 12 मई को गौरी का जन्मदिन था. उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में आत्मनिर्भर भारत की बात कही थी. यह बात गौरी की प्रेरणा का सबब बन गई. अब गौरी कैलीग्राफी क्लास से प्राप्त अपनी आमदनी को आर्मी वेलफेयर फंड में देती हैं.
बालिका दिवस के अवसर पर गौरी की यह कहानी पूरे समाज को एक प्रेरणा देती है. सच में बच्चियों को अगर बचाया जाए, पढ़ाया जाए और बढ़ाया जाए, तो वे क्या कुछ नहीं कर सकतीं.