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गरिमापूर्ण मृत्यु के लिए पूर्व कानून मंत्री ने मुख्य न्यायाधीश बोबडे को लिखा पत्र - गरिमापूर्ण मृत्यु सुनिश्चित करना

मध्य प्रदेश और पुदुचेरी अस्पताल की घटनाओं के मद्देनजर पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा है. पत्र में सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वे नागरिकों की गरिमापूर्ण मृत्यु सुनिश्चित करने के लिए निकायों के दफन से संबंधित मामलों को संज्ञान में ले.

former law minister write to cji to insure die with dignity
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा
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Published : Jun 11, 2020, 3:05 AM IST

नई दिल्ली : पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को एक पत्र लिखा है. पत्र में सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वे नागरिकों की गरिमापूर्ण मृत्यु सुनिश्चित करने के लिए निकायों के दफन से संबंधित मामलों को संज्ञान में ले.

उन्होंने मध्य प्रदेश और पुदुचेरी अस्पताल की घटनाओं के मद्देनजर पत्र लिखा है, जहां एक मरीज की जंजीर और एक शव को गड्ढे में फेंक दिया गया था. हालांकि मध्य प्रदेश निजी अस्पताल में भर्ती बुजुर्ग को इसलिए रस्सी से बांधकर रखा गया था, क्योंकि उसके पास इलाज का बिल चुकाने के लिए पैसे नहीं थे.

हालांकि, अस्पताल ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि यह आरोप है कि उसे बांध दिया गया, ताकि वह अपने आप को चोट न पहुंचा सके. इसने आगे बताया था कि उन्होंने मानवीय आधार पर बिल को माफ कर दिया था.

वहीं पुडुचेरी के सरकारी कर्मचारियों का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्हें कोरोना संक्रमित व्यक्ति के मृत शरीर को कब्र में फेंकते हुए दिखाया गया है. एक आदमी को यह कहते हुए भी सुना गया कि 'शरीर को फेंक दिया है.'

कथित तौर पर एक कोविड संक्रमित शरीर को निपटाने के मानदंडों का भी पालन नहीं किया गया था. कुमार लिखते हैं कि घटनाओं ने संविधान के तहत मानव गरिमा के लिए गणतंत्र के विवेक को झटका दिया है, जो एक प्रमुख संवैधानिक मूल्य के रूप में गरिमा को मान्यता देता है.

नई दिल्ली : पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को एक पत्र लिखा है. पत्र में सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वे नागरिकों की गरिमापूर्ण मृत्यु सुनिश्चित करने के लिए निकायों के दफन से संबंधित मामलों को संज्ञान में ले.

उन्होंने मध्य प्रदेश और पुदुचेरी अस्पताल की घटनाओं के मद्देनजर पत्र लिखा है, जहां एक मरीज की जंजीर और एक शव को गड्ढे में फेंक दिया गया था. हालांकि मध्य प्रदेश निजी अस्पताल में भर्ती बुजुर्ग को इसलिए रस्सी से बांधकर रखा गया था, क्योंकि उसके पास इलाज का बिल चुकाने के लिए पैसे नहीं थे.

हालांकि, अस्पताल ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि यह आरोप है कि उसे बांध दिया गया, ताकि वह अपने आप को चोट न पहुंचा सके. इसने आगे बताया था कि उन्होंने मानवीय आधार पर बिल को माफ कर दिया था.

वहीं पुडुचेरी के सरकारी कर्मचारियों का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्हें कोरोना संक्रमित व्यक्ति के मृत शरीर को कब्र में फेंकते हुए दिखाया गया है. एक आदमी को यह कहते हुए भी सुना गया कि 'शरीर को फेंक दिया है.'

कथित तौर पर एक कोविड संक्रमित शरीर को निपटाने के मानदंडों का भी पालन नहीं किया गया था. कुमार लिखते हैं कि घटनाओं ने संविधान के तहत मानव गरिमा के लिए गणतंत्र के विवेक को झटका दिया है, जो एक प्रमुख संवैधानिक मूल्य के रूप में गरिमा को मान्यता देता है.

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