लखनऊ : राजधानी लखनऊ की पौलोमी पाविनी शुक्ला को विश्व विख्यात अंतरराष्ट्रीय पत्रिका फोर्ब्स ने भारत की अंडर 30 लिस्ट में शामिल किया है. यह विश्व विख्यात मैगजीन विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय काम करने और 30 वर्ष की आयु से कम लोगों का प्रतिवर्ष चयन करती है. पौलोमी पावनी शुक्ला को यह सम्मान उनके द्वारा पिछले कुछ वर्षों में अनाथ बच्चों की शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान को लेकर दिया गया है.
कौन हैं पौलोमी पाविनी शुक्ला
पेशे से अधिवक्ता पौलोमी पाविनी शुक्ला उत्तर प्रदेश की सीनियर आईएएस अधिकारी आराधना शुक्ला की बेटी हैं और उत्तर प्रदेश कैडर के ही युवा आईएएस अधिकारी प्रशांत शर्मा की पत्नी हैं. 28 वर्षीय पौलोमी पिछले कई वर्षों से अनाथ बच्चों को शैक्षिक रूप से सशक्त बनाने को लेकर अभियान चला रही हैं. इसको लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की है.
उन्होंने भारत में अनाथ बच्चों की दुर्दशा पर वर्ष 2015 में Weakest on Earth-Orphans of India पुस्तक भी लिखी है. जिसे प्रख्यात प्रकाशन संस्थान Bloomsbury द्वारा प्रकाशित किया गया है. अपनी पुस्तक तथा जनहित याचिका के माध्यम से पौलोमी अनाथ बच्चों को शिक्षा तथा अन्य सुविधाओं में समान अवसर दिलवाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. उनके द्वारा किये जा रहे इस प्रकार के सराहनीय कार्यों को देखते हुए ही विश्व विख्यात फोर्ब्स ने इन्हें अंडर 30 की लिस्ट में शामिल करके बड़ा सम्मान दिया है.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पौलोमी शुक्ला ने कहा कि यह काम वह पिछले कई वर्षों से कर रही हैं. जहां भी उन्हें अनाथ बच्चे मिलते हैं तो वह उनको पढ़ाने की चिंता करती हैं और इसके लिए हर स्तर पर प्रयास करती हैं. अब उन्हें यह जो सम्मान मिला है, उससे उन्हें और अधिक काम करने की प्रेरणा भी मिली है. उन्होंने बताया कि वह करीब 5 साल पहले से अनाथ बच्चों को उनका अधिकार दिलाने के लिए काम कर रही हैं.
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कई राज्यों में प्रयास शुरू किया तो मिलने लगे अधिकार
पौलिमी पाविनी शुक्ला ने बताया कि कई राज्यों में जाकर बच्चों को शैक्षिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें शिक्षा दिलाने के लिए लगातार सरकारों के स्तर पर बात कर रही हूं. इससे वह लोग सशक्त भी हो रहे हैं. इस प्रयास से तमाम जगहों पर काफी बदलाव भी हुए हैं. पौलोमी पाविनी के इस काम से कई राज्यों में अनाथ बच्चों की बेहतरी के लिए अनेक कदम उठाए गए. जिसके लिए पौलोमी पाविनी शुक्ला को कई राज्यों में सम्मानित भी किया जा चुका है.
केंद्र सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए बढ़ाया बजट
उन्होंने कहा कि जब से हमने यह मुहिम शुरू की है, तब से धीरे-धीरे करके इन बच्चों को शैक्षिक स्तर बेहतर किया जा रहा है. इन्हें इनके अधिकार भी मिल रहे हैं. दिल्ली में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत अनाथ बच्चों को शिक्षा देने का काम शुरू किया गया है. हमारे ही प्रयास से दिल्ली और सिक्किम में यह काम शुरू हुआ है. अभी उत्तराखंड में भी 5% तक इन अनाथ बच्चों को पढ़ाई और नौकरी में आरक्षण दिया गया है. इसके साथ ही तमिलनाडु ने भी ग्रुप डी नौकरियों में भी 10 फीसद आरक्षण दिया है. तेलंगाना में भी इन अनाथ बच्चों को ओबीसी घोषित किया गया है. हमारी पीआईएल के बाद केंद्र सरकार का बजट भी अनाथ बच्चों का दोगुना हो गया है. महाराष्ट्र और गोवा सरकार ने भी अनाथ बच्चों के लिए तमाम तरह के काम किए हैं.
लखनऊ के अनाथालय में दिए स्मार्ट टीवी
इसके अलावा लखनऊ में कोरोना वायरस के संकट काल के समय भी अनाथ बच्चों को शैक्षिक रूप से सशक्त करने के उद्देश्य से ही 27 अनाथालय में स्मार्ट टीवी दान दिए थे, जिससे बच्चों की पढ़ाई न रुके. इसके साथ ही कई कंपनियों ने 120 बच्चों को गोद लिया है, जिससे इन बच्चों को न सिर्फ शैक्षिक रूप से सशक्त किया जाए, बल्कि इन्हें प्रशिक्षित भी किया जाए.
'उत्तराखंड सीएम से बात हुई तो अनाथ बच्चों को मिला आरक्षण'
इसके अलावा पौलोमी शुक्ला कहती है कि उत्तराखंड सरकार ने भी अनाथ बच्चों के लिए व्यवस्था की है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने अनाथ बच्चों के लिए काफी काम भी किया है. उन्होंने अनाथ बच्चों के लिए 5 फीसद आरक्षण भी दिया है. इसके साथ ही उन्होंने इन बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार अधिनियम में व्यवस्था सुनिश्चित कराने की बात कही है. उन्होंने उत्तराखंड के सभी जिलों में अनाथालय की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार ने भी हमारी इस मुहिम को बहुत सपोर्ट किया.
लखनऊ के सीएमएस स्कूल और अमेरिका में हुई पढ़ाई
राजधानी लखनऊ के सीएमएस स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद पौलोमी अमेरिका के एक निजी स्कूल में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वह वापस भारत आईं और फिर यहां पर कानून की पढ़ाई की. इसके साथ ही मैंने यहीं से इकोनॉमिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की है. मेरा दिल सिर्फ अनाथ बच्चों के लिए ही धड़कता है.
अनाथ बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार अधिनियम में हो शिक्षा की व्यवस्था
पौलोमी शुक्ला कहती हैं कि हमारी कोशिश है कि सभी राज्यों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत इन अनाथ बच्चों को शिक्षा देने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. ताकि बच्चों को कम से कम बेसिक शिक्षा तो मिल जाए. इसके बाद हम चाहते हैं कि कोई भी सरकारी योजना है या फिर कोई भी स्कॉलरशिप, इसमें अगर आप किसी भी कमजोर वर्ग के के बच्चे को देख रहे हैं तो फिर अनाथ बच्चों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए. क्योंकि इन अनाथ बच्चों से कमजोर कोई और दूसरा बच्चा नहीं है. इसके अलावा हम यह भी चाहते हैं कि बच्चों को आरक्षण मिले, क्योंकि इन बच्चों का तो कोई नहीं है. ऐसे में इन्हें आरक्षण मिलना बहुत ही जरूरी है. इसके साथ ही सभी जिलों में अनाथालय की व्यवस्था सुनिश्चित करने को लेकर हमने प्रयास शुरू किए हैं.
समाज के हर व्यक्ति को करनी होगी अनाथ बच्चों की चिंता: प्रशांत शर्मा
उत्तर प्रदेश शासन में विशेष सचिव के पद पर तैनात पौलोमी के पति प्रशांत शर्मा कहते हैं कि अनाथ बच्चों की इस मुहिम में मेरी पत्नी पिछले 5 वर्षों से निरंतर प्रयासरत है और यह इनकी खुद्दारी है. इसमें उन्हें किसी का कोई सहयोग नहीं मिला है. हमेशा से उनकी यह इच्छा रही है कि खुद यह काम करें और अनाथ बच्चों को शैक्षिक रूप से सशक्त करा सकें. उन्होंने कहा कि हर किसी को इस मुहिम को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देना चाहिए. उन्हें भी अनाथ बच्चों की चिंता करनी चाहिए. भारत में 120 करोड़ लोग हैं. दो-ढाई करोड़ लोग अनाथ हैं. बहुत छोटी सी समस्या है. हम सब चाहें तो इस समस्या को पूरी तरह से समाप्त करके अनाथ बच्चों को समाज की मुख्यधारा में जल्दी लाया जा सकता है.