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कोरोना संकट : पहाड़ी इलाकों में बकरियों और घोड़ों पर की जा रही खाद्यान्न की ढुलाई

कोरोना संकट में सभी को पर्याप्त खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए सरकार योजनाएं चला रही है. सड़क मार्ग, रेल मार्ग, जल मार्ग के जरिए राज्यों में खाद्यान्न आपूर्ति की जा रही है. वहीं पहाड़ी इलाकों में अनाज पहुंचाने के लिए बकरियों और घोड़ों पर खाद्यान्न की ढुलाई की जा रही है.

food supply in mountain areas
पहाड़ी इलाकों में खाद्यान्न की ढुलाई
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Published : Jun 14, 2020, 9:31 PM IST

Updated : Jun 15, 2020, 10:29 AM IST

नई दिल्ली : कोरोना संकट के दौरान देश में अनाज की कमी न हो, इसके लिए लगातार राज्यों में खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है. वहीं पहाड़ी इलाकों में अनाज पहुंचाने के लिए बकरियां और घोड़ों पर खाद्यान्न की ढुलाई की जा रही है.

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि दुर्गम से दुर्गम पहाड़ी इलाकों तक भी हर हाल में अनाज पहुंचाने की कठिन जिम्मेदारी भारतीय खाद्य निगम निभा रहा है. उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के पंगला गोदाम से हिमालय के वैसे दुर्गम गांवों तक जहां घोड़े भी नहीं पहुंच सकते, वहां पहाड़ी बकरियां अनाज पहुंचा रही हैं.

पहाड़ी इलाकों में खाद्यान्न की ढुलाई

पासवान ने कहा कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सीमांत क्षेत्र मुनस्यारी स्थित फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के गोदाम से बुरफू गोदाम तक घोड़ों पर खाद्यान्न की ढुलाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि राज्यों में आगामी चार महीने तक का पर्याप्त अनाज जल्द पहुंचा दिया जाएगा, जिससे बरसात में परिवहन की दिक्कतों के कारण खाद्यान्न की कमी न हो.

पढ़ें :- आत्मनिर्भर भारत स्कीम के अधीन 17 राज्यों ने खाद्यान्नों का उठाव शुरू किया है : रामविलास पासवान

बता दें कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 81 करोड़ लोगों को दो रुपये प्रति किलो गेहूं और तीन रुपये प्रति किलो चावल दिया जा रहा है. इसके अलावा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अप्रैल, मई, जून महीने के लिए पांच किलो चावल या गेहूं और एक किलो दाल का वितरण मुफ्त में अलग से किया जा रहा है.

वहीं आत्म निर्भर भारत पैकेज के तहत प्रवासी मजदूरों व ऐसे लोग जिनके पास कोई राशन कार्ड नहीं है उन्हें मई-जून के लिए पांच किलो गेहूं या चावल तथा एक किलो चना/दाल मुफ्त में दिया जा रहा है. सड़क मार्ग, रेल मार्ग, जल मार्ग के जरिये राज्यों में खाद्यान्न आपूर्ति की जा रही है.

नई दिल्ली : कोरोना संकट के दौरान देश में अनाज की कमी न हो, इसके लिए लगातार राज्यों में खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है. वहीं पहाड़ी इलाकों में अनाज पहुंचाने के लिए बकरियां और घोड़ों पर खाद्यान्न की ढुलाई की जा रही है.

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि दुर्गम से दुर्गम पहाड़ी इलाकों तक भी हर हाल में अनाज पहुंचाने की कठिन जिम्मेदारी भारतीय खाद्य निगम निभा रहा है. उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के पंगला गोदाम से हिमालय के वैसे दुर्गम गांवों तक जहां घोड़े भी नहीं पहुंच सकते, वहां पहाड़ी बकरियां अनाज पहुंचा रही हैं.

पहाड़ी इलाकों में खाद्यान्न की ढुलाई

पासवान ने कहा कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सीमांत क्षेत्र मुनस्यारी स्थित फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के गोदाम से बुरफू गोदाम तक घोड़ों पर खाद्यान्न की ढुलाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि राज्यों में आगामी चार महीने तक का पर्याप्त अनाज जल्द पहुंचा दिया जाएगा, जिससे बरसात में परिवहन की दिक्कतों के कारण खाद्यान्न की कमी न हो.

पढ़ें :- आत्मनिर्भर भारत स्कीम के अधीन 17 राज्यों ने खाद्यान्नों का उठाव शुरू किया है : रामविलास पासवान

बता दें कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 81 करोड़ लोगों को दो रुपये प्रति किलो गेहूं और तीन रुपये प्रति किलो चावल दिया जा रहा है. इसके अलावा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अप्रैल, मई, जून महीने के लिए पांच किलो चावल या गेहूं और एक किलो दाल का वितरण मुफ्त में अलग से किया जा रहा है.

वहीं आत्म निर्भर भारत पैकेज के तहत प्रवासी मजदूरों व ऐसे लोग जिनके पास कोई राशन कार्ड नहीं है उन्हें मई-जून के लिए पांच किलो गेहूं या चावल तथा एक किलो चना/दाल मुफ्त में दिया जा रहा है. सड़क मार्ग, रेल मार्ग, जल मार्ग के जरिये राज्यों में खाद्यान्न आपूर्ति की जा रही है.

Last Updated : Jun 15, 2020, 10:29 AM IST
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