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राजहंस पक्षियों का मुंबई प्रवास और मनोहारी सफारी, देखें वीडियो...

मुंबई के एरोली के तटीय क्षेत्र में हर साल हजारों की तदाद में राजहंस पक्षी गुजरात के कच्छ से उड़कर आते है. भारतीय पर्यटक के साथ से विदेशी छात्र भी राजहंस के इस प्रवास मौसम और सफारी के मनोरम दृश्य को देखने आते हैं. हालांकि मानसून के कारण इस बार इनकी टोली कुछ विलंब से आई है. इन प्रवासी पक्षियों का आगमन दिसंबर के अंत तक जारी रहेगा. जानें पक्षियों के प्रवास के बारे में विस्तार से...

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पक्षियों का मुंबई प्रवास
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Published : Dec 3, 2019, 8:57 PM IST

मुंबई : हर साल हजारों की तदाद में राजहंस पक्षी गुजरात के कच्छ से उड़कर मुंबई के तटीय क्षेत्रों में आते हैं. मानसून के कारण इस बार इनकी टोली कुछ विलंब से आई है. हालांकि अब तक हजारों राजहंस पक्षी आ चुके है. इन प्रवासी पक्षियों का आगमन दिसंबर के अंत तक जारी रहेगा.

राजहंसों का प्रवास मुंबई के ऐरोली के तटीय और समुद्री जैव विविधता के लिए लाभदायक साबित हो रहा है. ऐरोली वन विभाग के अनुसार राजहंस सफारी की शुरुआत 15 नवंबर से की गई है और नौका विहार के जरिए 300 से अधिक पर्यटकों ने अब तक इसका आनंद लिया.

राजहंसों का मुंबई प्रवास...

भारतीय पर्यटक के साथ से विदेशी छात्र भी राजहंस पक्षी के इस प्रवास मौसम और सफारी के मनोरम दृश्य को देखने आते हैं. स्थानीय प्रशासन के अनुसार वे सरकारी स्कूलों के छात्रों को मुफ्त प्रवेश दे रहे हैं और समुद्री जैव विविधता के बारे में जानकारी देते हैं.

इसे भी पढे़ं- राजस्थान : सांभर झील के पास करीब 1000 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मौत

वन विभाग ने बताया कि आने वाले छात्रों को मुफ्त बस की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है. ऐरोली करीब 20 किलोमीटर का तटीय क्षेत्र है और यहां हर साल लगभग 200 से अधिक राजहंस विस्थापित हो जाते हैं.
इसके अलावा इस मनोहारी स्थान पर मुंडुख, पश्चिमी रीफ-एर्गेट, वेस्टर्न रीफ-एग्रेट, रिवर टर्न, सैंडपाइपर, ग्रीन शंक, हेरोन्स, एग्रेस, क्रेन्स, वागटेल, स्वैलोज सहित कुछ अन्य पक्षी भी देखे जा सकते हैं.

मुंबई : हर साल हजारों की तदाद में राजहंस पक्षी गुजरात के कच्छ से उड़कर मुंबई के तटीय क्षेत्रों में आते हैं. मानसून के कारण इस बार इनकी टोली कुछ विलंब से आई है. हालांकि अब तक हजारों राजहंस पक्षी आ चुके है. इन प्रवासी पक्षियों का आगमन दिसंबर के अंत तक जारी रहेगा.

राजहंसों का प्रवास मुंबई के ऐरोली के तटीय और समुद्री जैव विविधता के लिए लाभदायक साबित हो रहा है. ऐरोली वन विभाग के अनुसार राजहंस सफारी की शुरुआत 15 नवंबर से की गई है और नौका विहार के जरिए 300 से अधिक पर्यटकों ने अब तक इसका आनंद लिया.

राजहंसों का मुंबई प्रवास...

भारतीय पर्यटक के साथ से विदेशी छात्र भी राजहंस पक्षी के इस प्रवास मौसम और सफारी के मनोरम दृश्य को देखने आते हैं. स्थानीय प्रशासन के अनुसार वे सरकारी स्कूलों के छात्रों को मुफ्त प्रवेश दे रहे हैं और समुद्री जैव विविधता के बारे में जानकारी देते हैं.

इसे भी पढे़ं- राजस्थान : सांभर झील के पास करीब 1000 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मौत

वन विभाग ने बताया कि आने वाले छात्रों को मुफ्त बस की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है. ऐरोली करीब 20 किलोमीटर का तटीय क्षेत्र है और यहां हर साल लगभग 200 से अधिक राजहंस विस्थापित हो जाते हैं.
इसके अलावा इस मनोहारी स्थान पर मुंडुख, पश्चिमी रीफ-एर्गेट, वेस्टर्न रीफ-एग्रेट, रिवर टर्न, सैंडपाइपर, ग्रीन शंक, हेरोन्स, एग्रेस, क्रेन्स, वागटेल, स्वैलोज सहित कुछ अन्य पक्षी भी देखे जा सकते हैं.

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flamingo arrival and flamingo safari in mumbai

every year thousands of flamingo fly from kutch in gujrat to mumbais costal area. it was delayed by the few weeks because of the back monsson shower. a thousands flamingo has arrived and more to come in the december end.

The ongoing flamingo season is proving profitable for the Coastal and Marine Biodiversity Centre in Airoli. The flamingo safari has started from १५ november and arround ३०० visitors visited there by boating said forest department airoli.

there are lots of tourist and indian and foraing students came to visit this place in flamingo safari season. we are providing free entry to government school students and giving information about marine biodiversity. we also provides free bus ride to thestudents said by forest department.  There are २६ km of costal area is in airoli, and more than २०० of flamingos migrated fromthere in every year. Various other birds like Black-Headed Ibis and Black-Tailed Godwit, Western Reef-egret, River Tern, Sandpiper, Green Shank, Herons, Egrets, Cranes, Wagtails, Swallows and some others can also be seen.

Conclusion:
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