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देश के पहले 'हिंद केसरी' श्रीपती खंचनाले का 86 साल की उम्र में निधन - कोल्हापुर हेल्थ डिपार्टमेंट

श्रीपति खंचनाले ने 1959 में हिंद केसरी पद प्राप्त करके कोल्हापुर जिले का नाम रोशन किया था. तीन मई, 1959 को दिल्ली में पहलवान रुस्तम-ए-पंजाब बटा सिंह को हराकर वह 'हिंद केसरी' बने थे. आज खंचनाले का निधन हो गया. पढ़ें विस्तार से...

Shripati Khanchnale
श्रीपति खंचनाले
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Published : Dec 14, 2020, 4:22 PM IST

कोल्हापुर : देश के पहले हिंद केसरी श्रीपति खंचनाले का सोमवार सुबह निधन हो गया. खंचनाले बीते नवंबर महीने से बीमार चल रहे थे, इसी दौरान कुछ दिनों पहले इलाज के लिए उन्हें सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद आज सुबह खंचनाले का निधन हो गया.

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रौशन करने वाले भारत के पहले हिंद केसरी श्रीपति खंचनाले ने हमेशा के लिये सभी को अलविदा कह दिया है.

कोल्हापुर हेल्थ डिपार्टमेंट से मिली जानकारी के अनुसार, 86 साल के खंचनाले बुढ़ापे से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित थे, जिस कारण उनका निधन हो गया.

शिव छत्रपति पुरस्कार से सम्मानित
महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें 'शिव छत्रपति पुरस्कार' से सम्मानित किया था, जबकि कर्नाटक सरकार ने उन्हें 'कर्नाटक भूषण पुरस्कार' से नवाजा था. श्रीपति खंचनाले अपने पीछे पत्नी शांता, बेटे सत्यजीत, रोहित और पुत्री पूर्णिमा को छोड़ गए हैं.

पढ़ें : कोविड-19 से रिकवरी के बाद देखी जा रही हृदय संबंधी समस्याएं

खानचेल को उनकी उपलब्धियों के लिए अर्जुन पुरस्कार, राजीव गांधी खेल रत्न, एकलव्य पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण से सम्मानित किया गया.

कोल्हापुर : देश के पहले हिंद केसरी श्रीपति खंचनाले का सोमवार सुबह निधन हो गया. खंचनाले बीते नवंबर महीने से बीमार चल रहे थे, इसी दौरान कुछ दिनों पहले इलाज के लिए उन्हें सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद आज सुबह खंचनाले का निधन हो गया.

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रौशन करने वाले भारत के पहले हिंद केसरी श्रीपति खंचनाले ने हमेशा के लिये सभी को अलविदा कह दिया है.

कोल्हापुर हेल्थ डिपार्टमेंट से मिली जानकारी के अनुसार, 86 साल के खंचनाले बुढ़ापे से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित थे, जिस कारण उनका निधन हो गया.

शिव छत्रपति पुरस्कार से सम्मानित
महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें 'शिव छत्रपति पुरस्कार' से सम्मानित किया था, जबकि कर्नाटक सरकार ने उन्हें 'कर्नाटक भूषण पुरस्कार' से नवाजा था. श्रीपति खंचनाले अपने पीछे पत्नी शांता, बेटे सत्यजीत, रोहित और पुत्री पूर्णिमा को छोड़ गए हैं.

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