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अमित शाह का पहला प्लान ऑफ एक्शन, कश्मीर पर किया ध्यान केंद्रित

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Published : Jun 2, 2019, 8:17 AM IST

Updated : Jun 2, 2019, 9:13 AM IST

मोदी सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गृह मंत्रालय पहुंच अपना पदभार संभाला. पहले ही दिन उन्होंने कश्मीर पर ध्यान केंद्रित करते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक से बातचीत की. जानें किन मुद्दों पर हुई दोनों के बीच चर्चा......

सत्यपाल मलिक और अमित शाह (सौ. ट्विटर)

नई दिल्ली: कार्यभार संभालने के बाद पहले दिन शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का ध्यान जम्मू-कश्मीर पर खासतौर से रहा. इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक राजीव जैन और केंद्रीय गृहसचिव राजीव गौबा ने कश्मीर घाटी के हालात के बारे में शाह को जानकारी दी, लेकिन शाह ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से 15 मिनट तक बंद कमरे में अलग से बात की.

राज्य की स्थिति लगातार तनाव में, मगर नियंत्रण में है. राज्य में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है.

amit shah etvbharat
ट्वीट सौ. (अमित शाह)

सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा विभाग और जम्मू एवं कश्मीर मामलों के डिविजन ने नए गृहमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए पहले से विशेष नोट तैयार कर रखे थे. जम्मू एवं कश्मीर डिविजन आतंकवाद से मुकाबला, सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम और रक्षा व विदेश मंत्रालय सहित विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय बनाने जैसी जिम्मेदारियों को देखता है.

मलिक ने शाम को शाह के साथ सुरक्षा मामलों पर चर्चा की. मलिक ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, 'गृहमंत्री के साथ घाटी में कानून-व्यवस्था और सीमांत इलाकों में कानून-व्यवस्था के हालात पर मेरी संक्षिप्त चर्चा हुई.'

पढ़ें: 'शाह बने गृह मंत्री, अब तेरा क्या होगा हार्दिक...!'

सूत्रों ने कहा कि अमित शाह ने सचिवों और सीमा प्रबंधन से लेकर आंतरिक सुरक्षा जैसे विभिन्न डिविजन के प्रमुखों के साथ एक संयुक्त बैठक की. सोमवार से वह सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सशस्त्र सीमा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल सहित अर्धसैनिक बलों के प्रमुखों और अन्य पुलिस संगठनों के प्रमुखों के साथ बैठकें करेंगे.

शाह दिल्ली पुलिस का भी जायजा लेंगे, जो गृह मंत्रालय के अधीन आती है. दिल्ली पुलिस में शीर्ष स्तर पर एक फेरबदल की उम्मीद की जा सकती है.

सूत्रों ने कहा कि शाह ने नक्सली हिंसा पर भी चिंता जाहिर की और जिहादी समूहों की गतिविधियों पर भी चर्चा की, खासतौर से केरल और उससे सटे दक्षिण भारत के राज्यों में सक्रिय समूहों की.

एक सूत्र ने कहा, 'वह (गृहमंत्री) वीआईपी हस्तियों व निजी लोगों को गृह मंत्रालय की तरफ से मुहैया कराई जाने वाली केंद्रीय सुरक्षा की भी समीक्षा करेंगे. लोगों को केंद्रीय अर्धसैनिक सुरक्षा मुहैया कराने में ढेर सारा बजट खर्च होता है.'

पूर्व गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी (1998-2004) के समय से एक लंबे अंतराल बाद गृह मंत्रालय को लेकर काफी चर्चा है.

पहले ही दिन कई राज्यों के राज्यपालों और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने शाह से उनके नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय में मुलाकात की.

BSF के पूर्व प्रमुख ने कहा, 'निश्चित रूप से शाह एक निर्णय लेने वाले व्यक्ति हैं. वह कई मोर्चो पर निर्णय लेंगे और निश्चित रूप से कश्मीर घाटी के हालात, और वामपंथी चरमपंथी हिंसा से प्रभावित इलाकों के हालात सुधारने की कोशिश करेंगे.'

नई दिल्ली: कार्यभार संभालने के बाद पहले दिन शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का ध्यान जम्मू-कश्मीर पर खासतौर से रहा. इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक राजीव जैन और केंद्रीय गृहसचिव राजीव गौबा ने कश्मीर घाटी के हालात के बारे में शाह को जानकारी दी, लेकिन शाह ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से 15 मिनट तक बंद कमरे में अलग से बात की.

राज्य की स्थिति लगातार तनाव में, मगर नियंत्रण में है. राज्य में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है.

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ट्वीट सौ. (अमित शाह)

सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा विभाग और जम्मू एवं कश्मीर मामलों के डिविजन ने नए गृहमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए पहले से विशेष नोट तैयार कर रखे थे. जम्मू एवं कश्मीर डिविजन आतंकवाद से मुकाबला, सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम और रक्षा व विदेश मंत्रालय सहित विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय बनाने जैसी जिम्मेदारियों को देखता है.

मलिक ने शाम को शाह के साथ सुरक्षा मामलों पर चर्चा की. मलिक ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, 'गृहमंत्री के साथ घाटी में कानून-व्यवस्था और सीमांत इलाकों में कानून-व्यवस्था के हालात पर मेरी संक्षिप्त चर्चा हुई.'

पढ़ें: 'शाह बने गृह मंत्री, अब तेरा क्या होगा हार्दिक...!'

सूत्रों ने कहा कि अमित शाह ने सचिवों और सीमा प्रबंधन से लेकर आंतरिक सुरक्षा जैसे विभिन्न डिविजन के प्रमुखों के साथ एक संयुक्त बैठक की. सोमवार से वह सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सशस्त्र सीमा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल सहित अर्धसैनिक बलों के प्रमुखों और अन्य पुलिस संगठनों के प्रमुखों के साथ बैठकें करेंगे.

शाह दिल्ली पुलिस का भी जायजा लेंगे, जो गृह मंत्रालय के अधीन आती है. दिल्ली पुलिस में शीर्ष स्तर पर एक फेरबदल की उम्मीद की जा सकती है.

सूत्रों ने कहा कि शाह ने नक्सली हिंसा पर भी चिंता जाहिर की और जिहादी समूहों की गतिविधियों पर भी चर्चा की, खासतौर से केरल और उससे सटे दक्षिण भारत के राज्यों में सक्रिय समूहों की.

एक सूत्र ने कहा, 'वह (गृहमंत्री) वीआईपी हस्तियों व निजी लोगों को गृह मंत्रालय की तरफ से मुहैया कराई जाने वाली केंद्रीय सुरक्षा की भी समीक्षा करेंगे. लोगों को केंद्रीय अर्धसैनिक सुरक्षा मुहैया कराने में ढेर सारा बजट खर्च होता है.'

पूर्व गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी (1998-2004) के समय से एक लंबे अंतराल बाद गृह मंत्रालय को लेकर काफी चर्चा है.

पहले ही दिन कई राज्यों के राज्यपालों और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने शाह से उनके नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय में मुलाकात की.

BSF के पूर्व प्रमुख ने कहा, 'निश्चित रूप से शाह एक निर्णय लेने वाले व्यक्ति हैं. वह कई मोर्चो पर निर्णय लेंगे और निश्चित रूप से कश्मीर घाटी के हालात, और वामपंथी चरमपंथी हिंसा से प्रभावित इलाकों के हालात सुधारने की कोशिश करेंगे.'

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Last Updated : Jun 2, 2019, 9:13 AM IST
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