नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन मामले में दायर याचिका पर 24 फरवरी को अंतिम सुनवाई होगी. महिला अधिकारियों ने अपने स्थाई कमीशन को मंजूरी देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू न करने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल केंद्र सरकार को सेना की गैर-युद्धक सहायता यूनिट्स में महिला अधिकारियों को पुरुष अधिकारियों के समान स्थायी कमीशन प्रदान करने का आदेश दिया था.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने अंतिम सुनवाई की तारीख 24 फरवरी तय की है. एक याचिका महिला सैन्य अधिकारी ने अपनी वकील चित्रांगदा और अर्चना पाठक दवे के जरिए दाखिल की है. इसमें उन्होंने शीर्ष अदालत के पूर्व के आदेश को तत्काल लागू करने के निर्देश देने की मांग की है. याचिका में कहा गया है, जहां तक इसके प्रक्रियागत पहलू का सवाल है, उसमें कुछ अस्पष्टता है, जिनका सेना ने अभी तक समाधान नहीं किया है.
पढ़ें : दो सैन्य कमांडरों के बीच मतभेद मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश
वकील चित्रांगदा ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले के बावजूद निर्णय का कार्यान्वयन केवल अच्छे प्रकाशिकी के लिए किया जाता है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार संस्थान में महिला अधिकारियों को सेना में शामिल करने के बजाय सेना से निकाल दिया जाता है.
सेना ने दावा किया कि 615 महिला अधिकारियों में से 422 ऐसी हैं जो योग्य हैं और सेना में पीसी के लिए फिट हैं. लेकिन वास्तव में 422 में से केवल 277 को पीसी दिया गया है और शेष संख्या यानी 145 ऐसे अधिकारी हैं, जो या तो गैर-ऑपटी हैं या जिनका परिणाम चिकित्सा और प्रशासनिक कारणों से रोक दिया गया है, 193 अधिकारियों को पीसी से वंचित कर दिया गया है.