भोपाल : मध्यप्रदेश के रीवा में बने एशिया के सबसे बड़े 750 मेगावाट की क्षमता वाले अल्ट्रा मेगा सोलर प्रोजेक्ट का लोकार्पण 10 जुलाई को होगा. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इसके पहले ईटीवी भारत आपको इसकी विशेषताओं से रूबरू कराने जा रहा है.
मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन के मामले में देश में टॉप पर है. तस्वीरों में दिख रही ये परियोजना विश्व की सबसे बड़ी परियोजनाओं में शामिल है. लगभग 4 हजार करोड़ की लागत से 750 मेगावाट की रीवा सौर परियोजना में पूरी क्षमता के साथ उत्पादन शुरू हो गया है.
खास बात ये है कि इस परियोजना से लगभग 800 लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है. रीवा सौर परियोजना के लिये मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम और सोलर एनर्जी कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया के ज्वाइंट वेंचर कम्पनी के रूप में रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड कम्पनी का गठन किया गया है.
इतना ही नहीं इस परियोजना को राज्यस्तर पर नवाचार के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिये सर्वश्रेष्ठ परियोजनाओं में चयनित किया गया है.
इसकी विशेषताओं पर नजर डालें तो
- रीवा सौर परियोजना में हर दिन 37 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है
- रीवा सौर परियोजना रीवा जिले में 1590 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित है.
- यह दुनिया के सबसे बड़े सिंगल साइट सौर संयंत्रों में से एक है.
- उत्पादित विद्युत का 76 प्रतिशत अंश प्रदेश की पावर मैनेजमेंट कम्पनी को दिया जाता है
- 24 प्रतिशत अंश दिल्ली मेट्रो को प्रदान किया जा रहा है.
- इस परियोजना से पहली बार ऑपन एक्सेस के जरिए राज्य के बाहर किसी व्यावसायिक संस्थान दिल्ली मेट्रो को बिजली प्रदान की गई.
- आंतरिक ग्रिड समायोजन के लिए वर्ल्ड बैंक से ऋण प्राप्त करने वाली यह देश की पहली परियोजना है.
- विश्व बैंक का ऋण, राज्य शासन की गारंटी के बिना और क्लिन टेक्नॉलिजी फण्ड (सीटीएफ) के अंतर्गत सस्ती दरों पर दिया गया है.
- रीवा सौर परियोजना से हर साल 15.7 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा रहा है, जो 2 करोड़ 60 लाख पेड़ों को लगाने के बराबर है
- रीवा सौर ऊर्जा परियोजना न केवल प्रदेश को नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि मध्यप्रदेश को अन्य राज्यों एवं व्यावसायिक संस्थानों को बिजली प्रदान करने में आगे रखेगी.
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किसानों को मिलेगा लाभ
रीवा सौर परियोजना से उत्पादित बिजली से किसानों को सीधा फायदा पहुंचेगा. खास बात ये है बंजर या फिर गैर कृषि उपयोग की भूमि से सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा, लिहाजा किसान अब उस भूमि को उपयोगी बनाते हुए खेती के लिए जरूरत की बिजली स्वयं तैयार करने के साथ ही बची बिजली को बेच भी सकेंगे.
हाल ही में केन्द्र सरकार ने बजट में किसानों को सौर ऊर्जा से जोड़ने के लिए बड़ी घोषणा की थी. इसके लिए किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (कुसुम) योजना शुरू की गई है.