अजमेर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला एक दिन के दौरे पर अजमेर पहुंचे हैं. अजमेर पहुंचकर पहले उन्होंने सर्किट हाउस पर विश्राम किया. उसके बाद ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर हाजिरी देने पहुंच गए. यहां उन्होंने ख्वाजा साहब की मजार पर मखमली चादर और अकीदत के फूलों का नजराना पेश किया.
वहीं फारूक अब्दुल्ला ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे को लेकर भारत में चल रहे विवाद पर भी अपनी राय रखी.
उन्होंने कहा, 'मैं नहीं जानता कि कौन से मंत्री ने उस दावे को खारिज किया है या नहीं लेकिन मैं आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करना चाहूंगा कि उन्होंने भारत और पाक के मसले को सुलझाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं और वह भी चाहते हैं कि दोनों देश आपस में अपने मसले को सुलझा लें.'
वहीं अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि 70 साल से कई मंत्रियों ने प्रयास किए मगर अभी तक सफल नहीं हो पाए. एक दौर ऐसा भी आता है कि तीसरे देश को बीच में आना ही पड़ता है. जिसे लेकर अगर अमेरिका प्रयास करता है तो यह एक अच्छी बात है और हम तो यह चाहते हैं कि बस भारत और पाकिस्तान के बीच का मसला सुलझा जाए. उसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े.
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फारूक अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि इन दोनों देशों के मसले सुलझने से सिर्फ इन दो देशों को ही नहीं पूरे विश्व को फायदा होगा क्योंकि यह दोनों देश ही एटॉमिक पावर हैं.
अब्दुल्ला ने बताया कि अगर दुनिया में अमन आएगा तो सबके लिए ही अच्छा होगा. तीसरे पक्ष को बीच में आना इसलिए जरूरी है क्योंकि 70 साल में आज तक यह दोनों देश नहीं मिले और कभी-कभी वह वक्त आ जाता है, जब कोई और भी हो और मसले को हल करें.
उन्होंने कहा कि आज के समय में भारत और पाकिस्तान दोनों ही एटॉमिक पावर है और हम वह लड़ाई देखना नहीं चाहते और खुदा ना करें कि वह वक्त कभी आए और मैं आज इसीलिए जियारत पर आया हूं और दुआ करता हूं.
कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बेतुके बयान को लेकर भी अब्दुल्ला ने कहा कि सत्यपाल मलिक ने बयान दिया और उस बयान को वापस भी ले लिया. हम यहीं उम्मीद करते हैं कि सत्यपाल मलिक आगे एहतियात से बात करें. उन्होंने कहा कि सत्यपाल मलिक का काम रियासत को अमन और चैन देने का है.. बयान देने का नहीं.