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कृषि मंत्री का आश्वासन बेअसर, किसानों ने कहा- देशभर में जाम करेंगे रेल पटरी, कई ट्रेनें रद्द - farmers agitiation near border

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Published : Dec 10, 2020, 6:54 AM IST

Updated : Dec 10, 2020, 11:02 PM IST

22:21 December 10

22:17 December 10

ओडिशा में संकल्प प्रस्ताव पारित

ईटीवी भारत से बात करते किसान नेता लिंग राज

ओडिशा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को दोगुना करने के लिए कैबिनेट से एक संकल्प प्रस्ताव पारित किया. 

22:15 December 10

पानी की टंकी पर प्रदर्शन

जानकारी देते संवाददाता

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में किसानों के समर्थन में प्रहार जनशक्ति ने सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने पानी की टंकी पर चढ़ कर अपना विरोध जताया.

18:06 December 10

कॉरपोरेट हितैषी हैं कानून

किसान आंदोलन को लेकर किसान नेता का बयान

भारतीय किसान यूनियन के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने मीडिया से कहा कि केंद्र सरकार ने माना है कि कानून व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं. अगर कृषि राज्य का विषय है, तो उन्हें इस बारे में कानून बनाने का अधिकार नहीं है.

18:05 December 10

आंदोलन के कारण कई ट्रेनें रद्द

उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने जानकारी दी है कि पंजाब में किसान आंदोलन के कारण, कई ट्रेन रद्द रहेंगी.

17:26 December 10

देश भर में रेल पटरी जाम करेंगे किसान

किसान नेता बूटा सिंह का बयान

कृषि मंत्री की प्रेस वार्ता के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ने कहा है कि किसानों ने पीएम मोदी और सरकार को 10 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया था. उन्होंने कहा कि अब कानून रद्द न होने की स्थिति में देशभर में रेल पटरी ब्लॉक किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आज की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी लोग पटरियों पर उतरेंगे. इसके लिए संयुक्त किसान मंच एक तारीख तय करेगा और घोषणा करेगा.

16:53 December 10

सरकार वार्ता के लिए तैयार, तारीख तय करें किसान

नरेंद्र सिंह तोमर का बयान

फसलों की बुआई पहले की तुलना में बढ़ी.

आत्मनिर्भर पैकेज के तहत निजी निवेश गांवों तक पहुंचे, इसका किसानों को भी लाभ मिले, इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए एक लाख करोड़ रुपये के फंड का एलान किया गया.

मत्स्यपालन, मधुमक्खी पालन जैसे विकल्पों पर भी केंद्र का ध्यान, बजट किया गया आवंटित.

कृषि और गांव के आत्मनिर्भर बने बिना आत्मनिर्भर भारत अभियान संभवन नहीं होगा.

पीएम मोदी के नेतृत्व में गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशें.

सभी चीजें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं, हमने कानूनी तरीके से मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश की.

तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों की भ्रांतियों को दूर करने के लिए किसान यूनियनों को प्रस्ताव भेजा है, किसान तारीख तय करें और सरकार वार्ता के लिए तैयार है.

16:46 December 10

एमएसपी को लेकर सरकार लिखित आश्वासन देने को तैयार : कृषि मंत्री

एपीएमसी को लेकर भी कई आपत्तियां जाहिर की गईं. इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य सरकार निजी मंडियों की व्यवस्था भी लागू कर सकेंगे. टैक्स को लेकर भी आशंकाएं थीं, जिसे निर्मूल करने की कोशिश की गई.

किसानों को लगता है कि पैन कार्ड की व्यवस्था पूरी तरह सुरक्षित नहीं है, जिस पर पंजीकरण का प्रस्ताव दिया गया. इस पर राज्य पंजीयन के नियम बना सकेंगे. हालांकि, केंद्र के पास पहले भी शक्ति थी कि शंकाएं सामने आने के बाद राज्यों को निर्देश दे सके.

किसानों को लगता था कि विवाद निपटारे के लिए केवल एसडीएम को अधिकृत किया गया है. इस पर केंद्र का विचार था कि गांव के सबसे नजदीक मजिस्ट्रेट की शक्ति वाला अधिकारी एसडीएम ही होता है.  

न्यायालय जाने की सुविधा की मांग पर केंद्र ने कहा कि इस पर भी विचार करने को तैयार है.

मूल्य आश्वासन एक्ट के तहत एग्रीमेंट के रजिस्टर्ड होने की बात कही गई. इस पर केंद्र ने कहा कि जब तक राज्य इसकी व्यवस्था करें.  

केंद्र ने कहा कि एग्रीमेंट रजिस्टर्ड होने की व्यवस्था न बनने तक लिखित प्रतिलिपि हस्ताक्षर के साथ एसडीएम दफ्तर में जमा करने का प्रावधान किया गया, जिससे यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में रहे.

कानून में यह प्रावधान है कि किसान की भूमि से संबंधित कोई लीज, पट्टा या करार नहीं हो सकता.

कानून में प्रावधान है कि यदि किसी निर्माण की जरूरत पड़े तो करार खत्म होने के बाद प्रोसेसर निर्माण को हटाएगा.

किसानों की आशंका थी कि निर्माण पर ऋण लिया गया हो और प्रोसेसर भाग जाए तो देनदारी किसान की बनेगी. इस आशंका पर केंद्र ने कहा कि कानून में ऐसे प्रावधान बनाए जाएंगे कि किसानों पर किसी तरह का बोझ न पड़े.

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों और राज्यों की किसी भी तरह की आशंका को दूर करने के लिए लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है.

बिजली वितरण को लेकर किसानों की आशंका पर कृषि मंत्री ने कहा कि विधेयक अभी विचाराधीन है. हमने कहा कि फिलहाल व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा.

एयर क्वालिटी मैनेजमेंट को लेकर लाए गए अध्यादेश को लेकर भी आशंकाएं थी. पराली वाले किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए तैयार है सरकार.

केंद्र की ओर से किसानों के तमाम सवालों के जवाब दिए गए हैं. इसके बावजूद वे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके हैं. ठंड और कोरोना संकट के बीच किसानों का आंदोलन हो रहा है. इस बात को लेकर हमें भी कष्ट है.

भविष्य में भी किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सरकार तैयार है. साल 2006 में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आई, लंबे समय तक रिपोर्ट लागू नहीं हो सकी. पीएम मोदी के कार्यकाल में भी सवाल उठे. एमएसपी को लेकर मोदी सरकार ने लागत मूल्य का 50 फीसद मुनाफा देकर एमएसपी घोषित किया गया. देशभर के किसानों को हो रहा है लाभ. यूपीए सरकार की तुलना में अभी 6 गुना अधिक कृषि बजट है.  

10 साल में 53 हजार करोड़ रुपये की ऋण माफी बड़ी उपलब्धि मानी गई. पीएम किसान सम्मान निधि के तहत सालाना 75 हजार करोड़ प्रति वर्ष किसानों को देने के लिए भारत सरकार ने योजना बनाई.

10.5 करोड़ किसानों के लगभग एक लाख करोड़ रूपये किसानों के खातों में जमा कराए गए.

16:14 December 10

कृषि कानूनों पर नरेंद्र सिंह तोमर का बयान

बिंदुवार पढ़ें तोमर की बातें-

  • कृषि कानूनों पर लोक सभा और राज्य सभा में 4-4 घंटे की चर्चा के बाद विधेयकों को पारित किया गया.
  • राज्य सभा में कृषि विधेयकों पर चर्चा के दौरान अभद्र व्यवहार किया गया.
  • कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश गांवों तक पहुंचे, इसकी संभावनाएं न के बराबर थी. कानूनी बंदिशें खत्म हों इस बात का पूरे देश को इंतजार था. पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने पर काम किया जा रहा है. कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और सुधार करने के कई प्रयास किए गए.
  • 2014 से पहले यूरिया की किल्लत होती थी, कालाबाजारी भी होती थी. पिछले 6 वर्षों में नीम कोटेड यूरिया जैसी पहल के कारण देशभर में आज यूरिया की कोई कमी नहीं है.
  • किसान किसी भी मंडी में अपने उत्पाद को बेचे, सरकार ने इस दिशा में काम किया.
  • मंडी से बाहर बिना टैक्स के उत्पादों को बेच सकेगा. कानून मंडी की जंजीरों से मुक्ति के लिए बना.
  • अभी किसी भी कानून के तहत ऐसा नहीं है कि तीन दिनों के भीतर किसानों को भुगतान किया जाएगा, नया कानून तय समय में भुगतान को संभव बनाएगा.
  • कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पहले से भी हो रहा है, अब इसे कानूनी शक्ल दी जा रही है.
  • किसानों के हित में बनाए गए कानूनों का देशभर में स्वागत हुआ.
  • किसी भी विवाद के निपटारे के लिए एसडीएम को अधिकृत किया गया. तीस दिनों की समयसीमा में विवाद निपटाने का निर्देश.
  • सुधार जारी थे, इसी बीच कुछ किसान और यूनियन आंदोलन करने लगे.
  • पंजाब के किसान यूनियन के लोगों के साथ 14 अक्टूबर को सचिव स्तर की बात हुई. 13 नवंबर को मैं स्वयं उपस्थित रहा. वार्ता की प्रक्रिया लगातार चल रही थी, लेकिन इसी बीच 26-27 नवंबर को आंदोलन शुरू हो गए.
  • तीन दिसंबर को प्रस्तावित वार्ता एक दिसंबर को ही की गई. इसके बाद 5 दिसंबर को वार्ता की गई. इसके बाद 7 तारीख को मिलने की बात तय हुई.
  • 8 तारीख को ऐसी परिस्थिति बनी कि किसानों की ओर से कोई सुझाव नहीं आ रहा था.
  • किसान लगातार कहते रहे कि कानूनों को निरस्त किया जाए.
  • सरकार लगातार किसानों के साथ कानून में संशोधन पर बात करती रही. इसके बाद केंद्र सरकार ने बिंदुवार प्रस्ताव बनाकर भेजे.
  •  
  • कानूनों को निरस्त करने को लेकर सरकार का कहना है कि जिन प्रावधानों पर आपत्ति है, उस पर खुले मन से विचार को तैयार है. सरकार के साथ किसी तरीके की ईगो की समस्या नहीं है.
  •  
  • कानून की वैधता पर भी सवाल हुए. कहा गया कि कृषि राज्यों का विषय है. हमने स्पष्ट किया कि केंद्र ने ट्रेड संबंधी कानून बनाए हैं.

14:54 December 10

14:45 December 10

प्रदर्शनस्थल पर ईटीवी भारत संवाददात

बुराड़ी में किसानों का विरोध प्रदर्शन

कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली के बुराड़ी मैदान में किसानों ने अर्धनग्न होकर विरोध प्रदर्शन किया. यह जानकारी ईटीवी भारत संवाददाता अभिजीत ठाकुर ने दी.

11:51 December 10

तोमर किसानों को मनाने की कोशिश करेंगे: सूत्र

11
तोमर करेंगे अपील

सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आज किसानों को आंदोलन खत्म करने और सरकार के साथ आगे बढ़ने की अपील करेंगे. वह इस संबंध एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे. 

08:18 December 10

न्यूजीलैंड से लौटे कमलप्रीत भी सिंघु बॉर्डर पर किसानों का समर्थन करने पहुंचे

वीडियो देखें-

सोनीपत: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 15 दिनों से जारी है. ऐसे में देशभर से किसानों को समर्थन तो मिल ही रहा है. साथ ही बाहर जाकर बसे भारत के लोग भी किसानों के समर्थन में उतर रहे हैं. इसी कड़ी में न्यूजीलैंड से लौटे कमलप्रीत भी सिंघु बॉर्डर पर किसानों का समर्थन करने पहुंचे.  

एनआरआई कमलप्रीत ने बताया कि वो न्यूजीलैंड से खासतौर पर किसानों को समर्थन देने यहां आए हैं. उन्होंने कहा कि ये कोई पंजाब के किसानों का आंदोलन नहीं है. ये पूरे देश का आंदोलन हैं और इस आंदोलन को विदेशी लोगों का भी साथ मिल रहा है.  

उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार को जल्द से जल्द ये कानून वापल ले लेने चाहिए. अगर किसान इन कानूनों के खिलाफ हैं तो ये कानून उनपर किसी भी हालत में थोपने नहीं चाहिए.  

गौरतलब है कि किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के संशोधन के लिखित प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और सभी किसान नेता 3 कृषि कानून रद्द करवाने और MSP गारंटी कानून लागू करवाने पर अड़िग हैं.साथ ही किसानों की ओर से आगे की रणनीति भी तैयार की गई है. जिसके तहत-

  • 12 दिसंबर को जयपुर-दिल्ली राजमार्ग को अवरुद्ध किया जाएगा
  • किसान अदानी-अंबानी के उत्पादों जैसे रिलायंस की जियो सिम का बहिष्कार करेंगे
  • 14 दिसंबर को पूरे देश में होगा विरोध प्रदर्शन
  • 12 दिसंबर को टोल प्लाजा को फ्री किया जाएगा
  • भाजपा नेताओं का घेराव किया जाएगा
  • 14 दिसंबर को दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के किसान जिला मुख्यालयों पर एक दिन का धरना देंगे और अन्य राज्यों के किसान 14 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे.
  • जो धरने नहीं लगाएगा वो दिल्ली को कूच करेगा.

06:44 December 10

किसान आंदोलन लाइव अपडेट

नई दिल्ली : आज किसान आंदोलन का 15वां दिन है. वहीं किसान नेताओं ने नए कृषि कानूनों में संशोधन करने के सरकार के प्रस्ताव को बुधवार को खारिज कर दिया और कहा कि वे शनिवार को जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा एक्सप्रेस-वे को बंद करेंगे तथा आंदोलन को तेज करते हुए 14 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे.

किसान संगठनों के नेताओं ने प्रस्ताव को देश के किसानों का अपमान करार दिया. हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार अगर वार्ता के लिये नया प्रस्ताव भेजती है तो वे उस पर विचार कर सकते हैं.

किसान संगठनों के नेताओं मुताबिक उत्तर भारत के सभी किसानों के लिये 14 दिसंबर को दिल्ली चलो का आह्वान किया गया है, जबकि दक्षिण भारत में रहने वाले किसानों से जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन के लिये कहा गया है.

किसान नेताओं ने कहा कि वे 14 दिसंबर को भाजपा के मंत्रियों, पार्टी के जिला कार्यालयों का घेराव करेंगे और पार्टी के नेताओं का बहिष्कार करेंगे.

जानें क्या है किसानों का प्लान

किसान शनिवार को जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा एक्सप्रेस-वे को बंद करेंगे तथा आंदोलन को तेज करते हुए 14 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे.

14 दिसंबर को भाजपा के मंत्रियों, पार्टी के जिला कार्यालयों का घेराव करेंगे और पार्टी के नेताओं का बहिष्कार करेंगे.

उत्तर भारत के सभी किसानों के लिये 14 दिसंबर को 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया गया है, जबकि दक्षिण भारत में रहने वाले किसानों से जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन के लिये कहा गया है.

किसान नेता दर्शन पाल ने कहा-

किसानों ने कानून में प्रस्तावित संशोधन को खारिज कर दिया है क्योंकि वे कानूनों को निरस्त किये जाने से कम कुछ नहीं चाहते.

उन्होंने कहा कि नए मसौदा में कुछ भी नया नहीं है, जो केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसान नेताओं के साथ अपनी पूर्व की बैठकों में नहीं कहा हो. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान 14 दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी के सभी राजमार्गों को बंद करेंगे और जिला मुख्यालयों के साथ ही भाजपा के जिला कार्यालयों का भी घेराव करेंगे.

किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा-

अगर तीन कृषि कानून रद्द नहीं किये गए तो किसान दिल्ली की तरफ आने वाले सभी रास्तों को एक-एक कर बंद करेंगे. उन्होंने कहा कि किसान संगठनों में कोई मतभेद नहीं है, जैसा कि मीडिया का एक धड़ा (मतभेद) दिखा रहा है.

किसान नेता जंगवीर सिंह ने कहा- 

हम अडानी और अंबानी के स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों व सेवाओं का बहिष्कार करेंगे.

किसान नेताओं ने यह भी मांग की कि एमएसपी व्यवस्था को कानूनी समर्थन दिया जाए.

कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल की तरफ से भेजे गए मसौदा प्रस्ताव में सरकार की तरफ से कहा गया है कि नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों की जो आपत्तियां हैं, उन पर सरकार खुले दिल से विचार करने के लिए तैयार है.

इसमें, हालांकि नये कृषि कानूनों को रद्द करने संबंधी प्रदर्शनकारी किसानों की मुख्य मांग का कोई उल्लेख नहीं है.

पढ़ें : डीडीसी चुनाव का पांचवा चरण : आज मतदाता करेंगे 299 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला

गृह मंत्री के साथ किसानों की हुई बैठक में भी गतिरोध दूर नहीं हो पाया था. सरकार इन कानूनों को किसान हितैषी बताकर उन्हें बरकरार रखने पर अड़ी है.

नये कृषि कानूनों पर केंद्रीय गृह मंत्री के, किसानों के 13 प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के एक दिन बाद बुधवार को केंद्र की तरफ से किसानों को प्रस्ताव भेजा गया था. प्रस्ताव में सरकार ने कहा था कि वह वर्तमान में लागू न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को जारी रखने के लिए 'लिखित में आश्वासन' देने को तैयार है.

22:21 December 10

22:17 December 10

ओडिशा में संकल्प प्रस्ताव पारित

ईटीवी भारत से बात करते किसान नेता लिंग राज

ओडिशा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को दोगुना करने के लिए कैबिनेट से एक संकल्प प्रस्ताव पारित किया. 

22:15 December 10

पानी की टंकी पर प्रदर्शन

जानकारी देते संवाददाता

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में किसानों के समर्थन में प्रहार जनशक्ति ने सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने पानी की टंकी पर चढ़ कर अपना विरोध जताया.

18:06 December 10

कॉरपोरेट हितैषी हैं कानून

किसान आंदोलन को लेकर किसान नेता का बयान

भारतीय किसान यूनियन के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने मीडिया से कहा कि केंद्र सरकार ने माना है कि कानून व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं. अगर कृषि राज्य का विषय है, तो उन्हें इस बारे में कानून बनाने का अधिकार नहीं है.

18:05 December 10

आंदोलन के कारण कई ट्रेनें रद्द

उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने जानकारी दी है कि पंजाब में किसान आंदोलन के कारण, कई ट्रेन रद्द रहेंगी.

17:26 December 10

देश भर में रेल पटरी जाम करेंगे किसान

किसान नेता बूटा सिंह का बयान

कृषि मंत्री की प्रेस वार्ता के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ने कहा है कि किसानों ने पीएम मोदी और सरकार को 10 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया था. उन्होंने कहा कि अब कानून रद्द न होने की स्थिति में देशभर में रेल पटरी ब्लॉक किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आज की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी लोग पटरियों पर उतरेंगे. इसके लिए संयुक्त किसान मंच एक तारीख तय करेगा और घोषणा करेगा.

16:53 December 10

सरकार वार्ता के लिए तैयार, तारीख तय करें किसान

नरेंद्र सिंह तोमर का बयान

फसलों की बुआई पहले की तुलना में बढ़ी.

आत्मनिर्भर पैकेज के तहत निजी निवेश गांवों तक पहुंचे, इसका किसानों को भी लाभ मिले, इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए एक लाख करोड़ रुपये के फंड का एलान किया गया.

मत्स्यपालन, मधुमक्खी पालन जैसे विकल्पों पर भी केंद्र का ध्यान, बजट किया गया आवंटित.

कृषि और गांव के आत्मनिर्भर बने बिना आत्मनिर्भर भारत अभियान संभवन नहीं होगा.

पीएम मोदी के नेतृत्व में गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशें.

सभी चीजें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं, हमने कानूनी तरीके से मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश की.

तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों की भ्रांतियों को दूर करने के लिए किसान यूनियनों को प्रस्ताव भेजा है, किसान तारीख तय करें और सरकार वार्ता के लिए तैयार है.

16:46 December 10

एमएसपी को लेकर सरकार लिखित आश्वासन देने को तैयार : कृषि मंत्री

एपीएमसी को लेकर भी कई आपत्तियां जाहिर की गईं. इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य सरकार निजी मंडियों की व्यवस्था भी लागू कर सकेंगे. टैक्स को लेकर भी आशंकाएं थीं, जिसे निर्मूल करने की कोशिश की गई.

किसानों को लगता है कि पैन कार्ड की व्यवस्था पूरी तरह सुरक्षित नहीं है, जिस पर पंजीकरण का प्रस्ताव दिया गया. इस पर राज्य पंजीयन के नियम बना सकेंगे. हालांकि, केंद्र के पास पहले भी शक्ति थी कि शंकाएं सामने आने के बाद राज्यों को निर्देश दे सके.

किसानों को लगता था कि विवाद निपटारे के लिए केवल एसडीएम को अधिकृत किया गया है. इस पर केंद्र का विचार था कि गांव के सबसे नजदीक मजिस्ट्रेट की शक्ति वाला अधिकारी एसडीएम ही होता है.  

न्यायालय जाने की सुविधा की मांग पर केंद्र ने कहा कि इस पर भी विचार करने को तैयार है.

मूल्य आश्वासन एक्ट के तहत एग्रीमेंट के रजिस्टर्ड होने की बात कही गई. इस पर केंद्र ने कहा कि जब तक राज्य इसकी व्यवस्था करें.  

केंद्र ने कहा कि एग्रीमेंट रजिस्टर्ड होने की व्यवस्था न बनने तक लिखित प्रतिलिपि हस्ताक्षर के साथ एसडीएम दफ्तर में जमा करने का प्रावधान किया गया, जिससे यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में रहे.

कानून में यह प्रावधान है कि किसान की भूमि से संबंधित कोई लीज, पट्टा या करार नहीं हो सकता.

कानून में प्रावधान है कि यदि किसी निर्माण की जरूरत पड़े तो करार खत्म होने के बाद प्रोसेसर निर्माण को हटाएगा.

किसानों की आशंका थी कि निर्माण पर ऋण लिया गया हो और प्रोसेसर भाग जाए तो देनदारी किसान की बनेगी. इस आशंका पर केंद्र ने कहा कि कानून में ऐसे प्रावधान बनाए जाएंगे कि किसानों पर किसी तरह का बोझ न पड़े.

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों और राज्यों की किसी भी तरह की आशंका को दूर करने के लिए लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है.

बिजली वितरण को लेकर किसानों की आशंका पर कृषि मंत्री ने कहा कि विधेयक अभी विचाराधीन है. हमने कहा कि फिलहाल व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा.

एयर क्वालिटी मैनेजमेंट को लेकर लाए गए अध्यादेश को लेकर भी आशंकाएं थी. पराली वाले किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए तैयार है सरकार.

केंद्र की ओर से किसानों के तमाम सवालों के जवाब दिए गए हैं. इसके बावजूद वे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके हैं. ठंड और कोरोना संकट के बीच किसानों का आंदोलन हो रहा है. इस बात को लेकर हमें भी कष्ट है.

भविष्य में भी किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सरकार तैयार है. साल 2006 में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आई, लंबे समय तक रिपोर्ट लागू नहीं हो सकी. पीएम मोदी के कार्यकाल में भी सवाल उठे. एमएसपी को लेकर मोदी सरकार ने लागत मूल्य का 50 फीसद मुनाफा देकर एमएसपी घोषित किया गया. देशभर के किसानों को हो रहा है लाभ. यूपीए सरकार की तुलना में अभी 6 गुना अधिक कृषि बजट है.  

10 साल में 53 हजार करोड़ रुपये की ऋण माफी बड़ी उपलब्धि मानी गई. पीएम किसान सम्मान निधि के तहत सालाना 75 हजार करोड़ प्रति वर्ष किसानों को देने के लिए भारत सरकार ने योजना बनाई.

10.5 करोड़ किसानों के लगभग एक लाख करोड़ रूपये किसानों के खातों में जमा कराए गए.

16:14 December 10

कृषि कानूनों पर नरेंद्र सिंह तोमर का बयान

बिंदुवार पढ़ें तोमर की बातें-

  • कृषि कानूनों पर लोक सभा और राज्य सभा में 4-4 घंटे की चर्चा के बाद विधेयकों को पारित किया गया.
  • राज्य सभा में कृषि विधेयकों पर चर्चा के दौरान अभद्र व्यवहार किया गया.
  • कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश गांवों तक पहुंचे, इसकी संभावनाएं न के बराबर थी. कानूनी बंदिशें खत्म हों इस बात का पूरे देश को इंतजार था. पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने पर काम किया जा रहा है. कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और सुधार करने के कई प्रयास किए गए.
  • 2014 से पहले यूरिया की किल्लत होती थी, कालाबाजारी भी होती थी. पिछले 6 वर्षों में नीम कोटेड यूरिया जैसी पहल के कारण देशभर में आज यूरिया की कोई कमी नहीं है.
  • किसान किसी भी मंडी में अपने उत्पाद को बेचे, सरकार ने इस दिशा में काम किया.
  • मंडी से बाहर बिना टैक्स के उत्पादों को बेच सकेगा. कानून मंडी की जंजीरों से मुक्ति के लिए बना.
  • अभी किसी भी कानून के तहत ऐसा नहीं है कि तीन दिनों के भीतर किसानों को भुगतान किया जाएगा, नया कानून तय समय में भुगतान को संभव बनाएगा.
  • कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पहले से भी हो रहा है, अब इसे कानूनी शक्ल दी जा रही है.
  • किसानों के हित में बनाए गए कानूनों का देशभर में स्वागत हुआ.
  • किसी भी विवाद के निपटारे के लिए एसडीएम को अधिकृत किया गया. तीस दिनों की समयसीमा में विवाद निपटाने का निर्देश.
  • सुधार जारी थे, इसी बीच कुछ किसान और यूनियन आंदोलन करने लगे.
  • पंजाब के किसान यूनियन के लोगों के साथ 14 अक्टूबर को सचिव स्तर की बात हुई. 13 नवंबर को मैं स्वयं उपस्थित रहा. वार्ता की प्रक्रिया लगातार चल रही थी, लेकिन इसी बीच 26-27 नवंबर को आंदोलन शुरू हो गए.
  • तीन दिसंबर को प्रस्तावित वार्ता एक दिसंबर को ही की गई. इसके बाद 5 दिसंबर को वार्ता की गई. इसके बाद 7 तारीख को मिलने की बात तय हुई.
  • 8 तारीख को ऐसी परिस्थिति बनी कि किसानों की ओर से कोई सुझाव नहीं आ रहा था.
  • किसान लगातार कहते रहे कि कानूनों को निरस्त किया जाए.
  • सरकार लगातार किसानों के साथ कानून में संशोधन पर बात करती रही. इसके बाद केंद्र सरकार ने बिंदुवार प्रस्ताव बनाकर भेजे.
  •  
  • कानूनों को निरस्त करने को लेकर सरकार का कहना है कि जिन प्रावधानों पर आपत्ति है, उस पर खुले मन से विचार को तैयार है. सरकार के साथ किसी तरीके की ईगो की समस्या नहीं है.
  •  
  • कानून की वैधता पर भी सवाल हुए. कहा गया कि कृषि राज्यों का विषय है. हमने स्पष्ट किया कि केंद्र ने ट्रेड संबंधी कानून बनाए हैं.

14:54 December 10

14:45 December 10

प्रदर्शनस्थल पर ईटीवी भारत संवाददात

बुराड़ी में किसानों का विरोध प्रदर्शन

कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली के बुराड़ी मैदान में किसानों ने अर्धनग्न होकर विरोध प्रदर्शन किया. यह जानकारी ईटीवी भारत संवाददाता अभिजीत ठाकुर ने दी.

11:51 December 10

तोमर किसानों को मनाने की कोशिश करेंगे: सूत्र

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तोमर करेंगे अपील

सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आज किसानों को आंदोलन खत्म करने और सरकार के साथ आगे बढ़ने की अपील करेंगे. वह इस संबंध एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे. 

08:18 December 10

न्यूजीलैंड से लौटे कमलप्रीत भी सिंघु बॉर्डर पर किसानों का समर्थन करने पहुंचे

वीडियो देखें-

सोनीपत: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 15 दिनों से जारी है. ऐसे में देशभर से किसानों को समर्थन तो मिल ही रहा है. साथ ही बाहर जाकर बसे भारत के लोग भी किसानों के समर्थन में उतर रहे हैं. इसी कड़ी में न्यूजीलैंड से लौटे कमलप्रीत भी सिंघु बॉर्डर पर किसानों का समर्थन करने पहुंचे.  

एनआरआई कमलप्रीत ने बताया कि वो न्यूजीलैंड से खासतौर पर किसानों को समर्थन देने यहां आए हैं. उन्होंने कहा कि ये कोई पंजाब के किसानों का आंदोलन नहीं है. ये पूरे देश का आंदोलन हैं और इस आंदोलन को विदेशी लोगों का भी साथ मिल रहा है.  

उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार को जल्द से जल्द ये कानून वापल ले लेने चाहिए. अगर किसान इन कानूनों के खिलाफ हैं तो ये कानून उनपर किसी भी हालत में थोपने नहीं चाहिए.  

गौरतलब है कि किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के संशोधन के लिखित प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और सभी किसान नेता 3 कृषि कानून रद्द करवाने और MSP गारंटी कानून लागू करवाने पर अड़िग हैं.साथ ही किसानों की ओर से आगे की रणनीति भी तैयार की गई है. जिसके तहत-

  • 12 दिसंबर को जयपुर-दिल्ली राजमार्ग को अवरुद्ध किया जाएगा
  • किसान अदानी-अंबानी के उत्पादों जैसे रिलायंस की जियो सिम का बहिष्कार करेंगे
  • 14 दिसंबर को पूरे देश में होगा विरोध प्रदर्शन
  • 12 दिसंबर को टोल प्लाजा को फ्री किया जाएगा
  • भाजपा नेताओं का घेराव किया जाएगा
  • 14 दिसंबर को दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के किसान जिला मुख्यालयों पर एक दिन का धरना देंगे और अन्य राज्यों के किसान 14 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे.
  • जो धरने नहीं लगाएगा वो दिल्ली को कूच करेगा.

06:44 December 10

किसान आंदोलन लाइव अपडेट

नई दिल्ली : आज किसान आंदोलन का 15वां दिन है. वहीं किसान नेताओं ने नए कृषि कानूनों में संशोधन करने के सरकार के प्रस्ताव को बुधवार को खारिज कर दिया और कहा कि वे शनिवार को जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा एक्सप्रेस-वे को बंद करेंगे तथा आंदोलन को तेज करते हुए 14 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे.

किसान संगठनों के नेताओं ने प्रस्ताव को देश के किसानों का अपमान करार दिया. हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार अगर वार्ता के लिये नया प्रस्ताव भेजती है तो वे उस पर विचार कर सकते हैं.

किसान संगठनों के नेताओं मुताबिक उत्तर भारत के सभी किसानों के लिये 14 दिसंबर को दिल्ली चलो का आह्वान किया गया है, जबकि दक्षिण भारत में रहने वाले किसानों से जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन के लिये कहा गया है.

किसान नेताओं ने कहा कि वे 14 दिसंबर को भाजपा के मंत्रियों, पार्टी के जिला कार्यालयों का घेराव करेंगे और पार्टी के नेताओं का बहिष्कार करेंगे.

जानें क्या है किसानों का प्लान

किसान शनिवार को जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा एक्सप्रेस-वे को बंद करेंगे तथा आंदोलन को तेज करते हुए 14 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे.

14 दिसंबर को भाजपा के मंत्रियों, पार्टी के जिला कार्यालयों का घेराव करेंगे और पार्टी के नेताओं का बहिष्कार करेंगे.

उत्तर भारत के सभी किसानों के लिये 14 दिसंबर को 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया गया है, जबकि दक्षिण भारत में रहने वाले किसानों से जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन के लिये कहा गया है.

किसान नेता दर्शन पाल ने कहा-

किसानों ने कानून में प्रस्तावित संशोधन को खारिज कर दिया है क्योंकि वे कानूनों को निरस्त किये जाने से कम कुछ नहीं चाहते.

उन्होंने कहा कि नए मसौदा में कुछ भी नया नहीं है, जो केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसान नेताओं के साथ अपनी पूर्व की बैठकों में नहीं कहा हो. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान 14 दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी के सभी राजमार्गों को बंद करेंगे और जिला मुख्यालयों के साथ ही भाजपा के जिला कार्यालयों का भी घेराव करेंगे.

किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा-

अगर तीन कृषि कानून रद्द नहीं किये गए तो किसान दिल्ली की तरफ आने वाले सभी रास्तों को एक-एक कर बंद करेंगे. उन्होंने कहा कि किसान संगठनों में कोई मतभेद नहीं है, जैसा कि मीडिया का एक धड़ा (मतभेद) दिखा रहा है.

किसान नेता जंगवीर सिंह ने कहा- 

हम अडानी और अंबानी के स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों व सेवाओं का बहिष्कार करेंगे.

किसान नेताओं ने यह भी मांग की कि एमएसपी व्यवस्था को कानूनी समर्थन दिया जाए.

कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल की तरफ से भेजे गए मसौदा प्रस्ताव में सरकार की तरफ से कहा गया है कि नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों की जो आपत्तियां हैं, उन पर सरकार खुले दिल से विचार करने के लिए तैयार है.

इसमें, हालांकि नये कृषि कानूनों को रद्द करने संबंधी प्रदर्शनकारी किसानों की मुख्य मांग का कोई उल्लेख नहीं है.

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गृह मंत्री के साथ किसानों की हुई बैठक में भी गतिरोध दूर नहीं हो पाया था. सरकार इन कानूनों को किसान हितैषी बताकर उन्हें बरकरार रखने पर अड़ी है.

नये कृषि कानूनों पर केंद्रीय गृह मंत्री के, किसानों के 13 प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के एक दिन बाद बुधवार को केंद्र की तरफ से किसानों को प्रस्ताव भेजा गया था. प्रस्ताव में सरकार ने कहा था कि वह वर्तमान में लागू न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को जारी रखने के लिए 'लिखित में आश्वासन' देने को तैयार है.

Last Updated : Dec 10, 2020, 11:02 PM IST
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