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किसानों की सभी शंकाओं को करेंगे दूर, एमएसपी पर नहीं खतरा : कृषि मंत्री - केंद्र सरकार

किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बैठक बेनतीजा रही. बैठक से पहले किसानों ने अपना रुख साफ कर दिया था. केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने आठ दिसंबर को 'भारत बंद' का एलान किया है. बैठक में सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश थे.

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Published : Dec 5, 2020, 2:35 PM IST

Updated : Dec 5, 2020, 10:43 PM IST

नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 10वां दिन है. इधर किसानों के साथ सरकार की वार्ता खत्म हो गई है. इस मसले को सुलझाने के लिए आज सरकार और किसान नेताओं के बीच यह पांचवें दौर की बैठक थी, जो बेनतीजा रही. किसान नेताओं के साथ शनिवार को यहां विज्ञान भवन में हुई पांचवें दौर की बैठक में कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की सभी शंकाओं का समाधान करेगी. एमएसपी पर कोई खतरा नहीं है। एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग ऐक्ट (एपीएमसी) राज्य का विषय है. राज्य की मंडियों को केंद्र सरकार किसी तरह से प्रभावित नहीं होने देगी.

बैठक के बाद किसने क्या कहा:-

  • केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि 'हमने किसानों से कहा है कि सरकार उनके सभी पहलुओं पर विचार करेगी. अगर किसानों के नेताओं से सुझाव मिलते हैं तो इसका हल निकालना आसान होगा...हम किसान यूनियनों से अनुरोध करते हैं कि वे बुजुर्गों और बच्चों को घर भेज दें.'
  • कृषि मंत्री ने कहा कि 'हम राज्यों में मंडी को प्रभावित करने का इरादा नहीं रखते, वे कानून से प्रभावित नहीं हैं. एपीएमसी को और मजबूत करने के लिए सरकार सब कुछ करने को तैयार है. एपीएमसी के बारे में जो भी गलत धारणा है सरकार उसे स्पष्ट करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.'
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक के बाद प्रेस वार्ता में कहा कि 'एमएसपी जारी रहेगा, इसे कोई खतरा नहीं है. इस पर शक करना बेबुनियाद है. फिर भी, अगर किसी को संदेह है तो सरकार इसे सुलझाने के लिए तैयार है.'
    ईटीवी भारत की रिपोर्ट
  • अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि 'हमने बैठक की शुरुआत में कहा था कि हमारी मांग कानूनों को वापस लेने की है. हमने कड़ा रुख अपनाया. अंत में हमें बताया गया कि अगली बैठक 9 दिसंबर को होगी. ऐसा लगता है कि सरकार निश्चित रूप से कानूनों को वापस लेगी.'
    ईटीवी भारत की रिपोर्ट
  • भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि,'सरकार एक मसौदा तैयार करेगी और हमें देगी. उन्होंने कहा कि वे राज्यों से भी सलाह लेंगे. MSP पर भी चर्चाएं हुईं, लेकिन हमने कहा कि हमें कानूनों को वापस लेने के बारे में भी बात करनी चाहिए. भारत बंद 8 दिसंबर को होगा.'
  • सरकार के साथ बैठक के पांचवें दौर के बाद किसान नेताओं ने कहा कि, 'केंद्र सरकार ने कहा है कि वे हमें 9 दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेंगे. हम आपस में इस पर चर्चा करेंगे, जिसके बाद उसी दिन उनके साथ एक बैठक आयोजित की जाएगी.'
    ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बिंदूवार पढ़ें बैठक में क्या हुआ-

  • किसानों और सरकार के बीच पांचवे दौर की बैठक बेनतीजा रही. अगली बैठक नौ दिसंबर को होगी.
  • गायक-अभिनेता दिलजीत दोसांझ ने सिंघू सीमा पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि 'आप सभी को सलाम, किसानों ने एक नया इतिहास रचा है. यह इतिहास आने वाली पीढ़ियों को सुनाया जाएगा.'
  • किसानों ने कहा कि हम कॉरपोरेट के हाथों में अपनी किसानी नहीं देना चाहते.इस कानून से सरकार को फायदा होगा, किसान को नहीं.
  • केंद्र के साथ बैठक में किसान नेता ने कहा कि हमारे पास एक साल तक टिके रहने की सामग्री है. हम पिछले कई दिनों से सड़क पर हैं. अगर सरकार चाहती है कि हम सड़क पर रहें, तो हमें कोई समस्या नहीं है.
    ईटीवी भारत की रिपोर्ट
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों की बैठक में उपस्थित किसान नेताओं से अनुरोध करते हुए कहा कि 'मैं आप सभी वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों से विरोध स्थल से घर जाने की अपील करता हूं.'
  • किसानों की सिर्फ एक मांग, कानून वापस लिए जाएं.
  • किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद सरकार ने किसानों को बैठक के मिनट्स का लिखित जवाब दिया है.
  • विज्ञान भवन में केंद्र सरकार के साथ पांचवें दौर की वार्ता के दौरान, किसानों ने कहा कि उन्हें समाधान / प्रतिबद्धता चाहिए. उन्होंने कहा कि वे आगे चर्चा नहीं करना चाहते हैं और यह जानना चाहते हैं कि सरकार ने किसानों की मांग पर क्या निर्णय लिया है.
  • विज्ञान भवन में 5 वें दौर की वार्ता के दौरान, किसान प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से पिछली बैठक का एक बिंदुवार लिखित उत्तर देने को कहा, जिसके लिए सरकार ने सहमति व्यक्त की है.
    ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार के साथ बैठक में 'मौन व्रत' पर रहे किसान
सरकार के साथ पांचवें दौर की बातचीत में किसानों का समूह 'मौन व्रत' पर रहा और उसने तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मुख्य मांग पर 'हां' या 'नहीं' में जवाब मांगा.

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ करीब चार घंटे तक चली बैठक में किसान नेताओं ने सरकार से साफ-साफ 'हां' या 'नहीं' में इस बारे में जवाब देने को कहा कि वह कानूनों को निरस्त करेगी या नहीं.

पंजाब किसान यूनियन के नेता रुलधू सिंह ने कहा, 'किसान यूनियन के नेता 'मौन व्रत' पर बैठे हैं.'

ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-आर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) की कविता करुगंती ने कहा कि सरकार किसान नेताओं के सीधे-सीधे सवालों का जवाब नहीं दे रही.

पंजाब किसान यूनियन के कानूनी सलाहकार गुरलाभ सिंह महल ने कहा कि किसान नेता सरकार से 'हां' या 'नहीं' में जवाब चाहते हैं.

बैठक में मौजूद कुछ किसान नेता अपने होठों पर अंगुली रखे हुए और 'हां' या 'नहीं' लिखा कागज हाथ में लिए हुए दिखे.

पत्रकारों के लिए भेजा खाना
किसान संगठन और केंद्र सरकार के बीच बैठक जारी है इसी बीच किसानों ने पत्रकारों के लिए खाना भेजा है. किसान नेता धनवंत सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि पिछली बार मीडिया कर्मचारियों ने कहा था कि बैठक बहुत लंबी चलती है और इसको लेकर आज किसानों ने उनके लिए खाना और अन्य सामान बाहर भेजा है. धनवंत सिंह ने बताया कि बैठक लगातार जारी है और किसानों का एक ही तर्क है कि कानून वापस लिए जाएं.

केंद्र सरकार के साथ होने वाली बातचीत से पहले किसानों ने अपना रुख और सख्त कर लिया था. बता दें कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने आठ दिसंबर को 'भारत बंद' का शुक्रवार को एलान किया था.

किसानों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे राष्ट्रीय राजधानी की तरफ जाने वाली और सड़कों को बंद कर देंगे. सूत्रों ने अनुसार सरकार ने गतिरोध खत्म करने के लिए उन प्रावधानों का संभावित हल तैयार कर लिया है जिन पर किसानों को ऐतराज है.

मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन तेज होगा
किसानों ने भावी कदम तय करने के लिए दिन के समय बैठक की. बैठक के बाद किसान नेताओं में एक गुरनाम सिंह चडोनी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि केंद्र सरकार शनिवार की वार्ता के दौरान उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है, तो वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करेंगे.

क्या कहा हरिंदर सिंह लखोवाल ने
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा, आज की हमारी बैठक में हमने आठ दिसम्बर को 'भारत बंद' का आह्वान करने का फैसला किया और इस दौरान हम सभी टोल प्लाजा पर कब्जा भी कर लेंगे.

उन्होंने कहा, यदि इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो हमने आने वाले दिनों में दिल्ली की शेष सड़कों को अवरूद्ध करने की योजना बनाई है.

पदक लौटाएंगे
उन्होंने कहा कि किसान शनिवार को केंद्र सरकार और कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और उनके पुतले फूकेंगे. उन्होंने कहा कि सात दिसम्बर को खिलाड़ी किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए अपने पदक लौटाएंगे.

मांग पर अड़े किसान
किसान नेता अपनी इस मांग पर अड़ गये हैं कि इन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र संसद का विशेष सत्र बुलाये. उनका कहना है कि वे नये कानूनों में संशोधन नहीं चाहते हैं बल्कि वे चाहते हैं कि इन कानूनों को निरस्त किया जाये.

चिंताओं को दूर करने का प्रयास
बृहस्पतिवार को तोमर ने विभिन्न किसान संगठनों के 40 किसान नेताओं के समूह को आश्वासन दिया था कि सरकार किसान संगठनों की चिंताओं को दूर करने के प्रयास के तहत मंडियों को मजबूत बनाने, प्रस्तावित निजी बाजारों के साथ समान परिवेश सृजित करने और विवाद समाधान के लिये किसानों को ऊंची अदालतों में जाने की आजादी दिये जाने जैसे मुद्दों पर विचार करने को तैयार है.

उन्होंने यह भी कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद व्यवस्था जारी रहेगी.

लेकिन दूसरे पक्ष ने कानूनों में कई खामियों और विसंगतियों को गिनाते हुये कहा कि इन कानूनों को सितंबर में जल्दबाजी में पारित किया गया.

राकेश टिकैत ने क्या कहा जानें
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार पांचवें दौर की वार्ता में उनकी मांगें मान लेगी.

टिकैत ने कहा, सरकार और किसान बृहस्पतिवार को बैठक में किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे. सरकार तीनों कानूनों में संशोधन करना चाहती है लेकिन हम चाहते हैं कि ये कानून पूरी तरह वापस लिये जाएं.

इस बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को हड़बड़ी में नहीं लाया गया, इन्हें हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा और काफी विचार विमर्श के बाद लाया गया तथा इनसे किसानों को फायदा होगा.

दिल्ली के बॉर्डर बिंदुओं पर पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों का प्रदर्शन लगातार नौ दिनों से जारी है. राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर यातायात बहुत सुस्त रहा है. पुलिस ने दिल्ली को हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाली अहम मार्गों को बंद रखा.

ममता का समर्थन
इस बीच किसान संगठन विभिन्न पक्षों का समर्थन जुटाने में लगे हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस उनके साथ खड़ी है.

इनेलो नेता अभय चौटाला का बयान
इनेलो नेता अभय चौटाला ने कहा, सरकार को मामले को नहीं खींचना चाहिए. उसे इन कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग पर राजी होकर इस मामले का तत्काल हल करना चाहिए. सरकार को एमएसपी पर लिखित आश्वासन भी देना चाहिए.

आरजेडी प्रदर्शन करेगा
उधर बिहार में विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल ने कहा कि वह कृषि कानूनों के विरोध में शनिवार को पटना में प्रदर्शन करेगा. राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि गांधी मैदान में धरना दिया जाएगा.

इस बीच भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त नादिर पटेल को तलब कर उनसे कहा कि किसानों के आंदोलन के संबंध में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और वहां के कुछ अन्य नेताओं की टिप्पणी देश के आंतरिक मामलों में एक अस्वीकार्य हस्तक्षेप के समान है.

पढ़ें : कृषि कानूनों के खिलाफ 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान

किसान समुदाय को आशंका है कि केंद्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की अनुकंपा पर छोड़ दिया जायेगा.

सरकार लगातार कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत होगी.

नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 10वां दिन है. इधर किसानों के साथ सरकार की वार्ता खत्म हो गई है. इस मसले को सुलझाने के लिए आज सरकार और किसान नेताओं के बीच यह पांचवें दौर की बैठक थी, जो बेनतीजा रही. किसान नेताओं के साथ शनिवार को यहां विज्ञान भवन में हुई पांचवें दौर की बैठक में कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की सभी शंकाओं का समाधान करेगी. एमएसपी पर कोई खतरा नहीं है। एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग ऐक्ट (एपीएमसी) राज्य का विषय है. राज्य की मंडियों को केंद्र सरकार किसी तरह से प्रभावित नहीं होने देगी.

बैठक के बाद किसने क्या कहा:-

  • केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि 'हमने किसानों से कहा है कि सरकार उनके सभी पहलुओं पर विचार करेगी. अगर किसानों के नेताओं से सुझाव मिलते हैं तो इसका हल निकालना आसान होगा...हम किसान यूनियनों से अनुरोध करते हैं कि वे बुजुर्गों और बच्चों को घर भेज दें.'
  • कृषि मंत्री ने कहा कि 'हम राज्यों में मंडी को प्रभावित करने का इरादा नहीं रखते, वे कानून से प्रभावित नहीं हैं. एपीएमसी को और मजबूत करने के लिए सरकार सब कुछ करने को तैयार है. एपीएमसी के बारे में जो भी गलत धारणा है सरकार उसे स्पष्ट करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.'
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक के बाद प्रेस वार्ता में कहा कि 'एमएसपी जारी रहेगा, इसे कोई खतरा नहीं है. इस पर शक करना बेबुनियाद है. फिर भी, अगर किसी को संदेह है तो सरकार इसे सुलझाने के लिए तैयार है.'
    ईटीवी भारत की रिपोर्ट
  • अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि 'हमने बैठक की शुरुआत में कहा था कि हमारी मांग कानूनों को वापस लेने की है. हमने कड़ा रुख अपनाया. अंत में हमें बताया गया कि अगली बैठक 9 दिसंबर को होगी. ऐसा लगता है कि सरकार निश्चित रूप से कानूनों को वापस लेगी.'
    ईटीवी भारत की रिपोर्ट
  • भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि,'सरकार एक मसौदा तैयार करेगी और हमें देगी. उन्होंने कहा कि वे राज्यों से भी सलाह लेंगे. MSP पर भी चर्चाएं हुईं, लेकिन हमने कहा कि हमें कानूनों को वापस लेने के बारे में भी बात करनी चाहिए. भारत बंद 8 दिसंबर को होगा.'
  • सरकार के साथ बैठक के पांचवें दौर के बाद किसान नेताओं ने कहा कि, 'केंद्र सरकार ने कहा है कि वे हमें 9 दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेंगे. हम आपस में इस पर चर्चा करेंगे, जिसके बाद उसी दिन उनके साथ एक बैठक आयोजित की जाएगी.'
    ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बिंदूवार पढ़ें बैठक में क्या हुआ-

  • किसानों और सरकार के बीच पांचवे दौर की बैठक बेनतीजा रही. अगली बैठक नौ दिसंबर को होगी.
  • गायक-अभिनेता दिलजीत दोसांझ ने सिंघू सीमा पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि 'आप सभी को सलाम, किसानों ने एक नया इतिहास रचा है. यह इतिहास आने वाली पीढ़ियों को सुनाया जाएगा.'
  • किसानों ने कहा कि हम कॉरपोरेट के हाथों में अपनी किसानी नहीं देना चाहते.इस कानून से सरकार को फायदा होगा, किसान को नहीं.
  • केंद्र के साथ बैठक में किसान नेता ने कहा कि हमारे पास एक साल तक टिके रहने की सामग्री है. हम पिछले कई दिनों से सड़क पर हैं. अगर सरकार चाहती है कि हम सड़क पर रहें, तो हमें कोई समस्या नहीं है.
    ईटीवी भारत की रिपोर्ट
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों की बैठक में उपस्थित किसान नेताओं से अनुरोध करते हुए कहा कि 'मैं आप सभी वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों से विरोध स्थल से घर जाने की अपील करता हूं.'
  • किसानों की सिर्फ एक मांग, कानून वापस लिए जाएं.
  • किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद सरकार ने किसानों को बैठक के मिनट्स का लिखित जवाब दिया है.
  • विज्ञान भवन में केंद्र सरकार के साथ पांचवें दौर की वार्ता के दौरान, किसानों ने कहा कि उन्हें समाधान / प्रतिबद्धता चाहिए. उन्होंने कहा कि वे आगे चर्चा नहीं करना चाहते हैं और यह जानना चाहते हैं कि सरकार ने किसानों की मांग पर क्या निर्णय लिया है.
  • विज्ञान भवन में 5 वें दौर की वार्ता के दौरान, किसान प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से पिछली बैठक का एक बिंदुवार लिखित उत्तर देने को कहा, जिसके लिए सरकार ने सहमति व्यक्त की है.
    ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार के साथ बैठक में 'मौन व्रत' पर रहे किसान
सरकार के साथ पांचवें दौर की बातचीत में किसानों का समूह 'मौन व्रत' पर रहा और उसने तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मुख्य मांग पर 'हां' या 'नहीं' में जवाब मांगा.

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ करीब चार घंटे तक चली बैठक में किसान नेताओं ने सरकार से साफ-साफ 'हां' या 'नहीं' में इस बारे में जवाब देने को कहा कि वह कानूनों को निरस्त करेगी या नहीं.

पंजाब किसान यूनियन के नेता रुलधू सिंह ने कहा, 'किसान यूनियन के नेता 'मौन व्रत' पर बैठे हैं.'

ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-आर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) की कविता करुगंती ने कहा कि सरकार किसान नेताओं के सीधे-सीधे सवालों का जवाब नहीं दे रही.

पंजाब किसान यूनियन के कानूनी सलाहकार गुरलाभ सिंह महल ने कहा कि किसान नेता सरकार से 'हां' या 'नहीं' में जवाब चाहते हैं.

बैठक में मौजूद कुछ किसान नेता अपने होठों पर अंगुली रखे हुए और 'हां' या 'नहीं' लिखा कागज हाथ में लिए हुए दिखे.

पत्रकारों के लिए भेजा खाना
किसान संगठन और केंद्र सरकार के बीच बैठक जारी है इसी बीच किसानों ने पत्रकारों के लिए खाना भेजा है. किसान नेता धनवंत सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि पिछली बार मीडिया कर्मचारियों ने कहा था कि बैठक बहुत लंबी चलती है और इसको लेकर आज किसानों ने उनके लिए खाना और अन्य सामान बाहर भेजा है. धनवंत सिंह ने बताया कि बैठक लगातार जारी है और किसानों का एक ही तर्क है कि कानून वापस लिए जाएं.

केंद्र सरकार के साथ होने वाली बातचीत से पहले किसानों ने अपना रुख और सख्त कर लिया था. बता दें कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने आठ दिसंबर को 'भारत बंद' का शुक्रवार को एलान किया था.

किसानों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे राष्ट्रीय राजधानी की तरफ जाने वाली और सड़कों को बंद कर देंगे. सूत्रों ने अनुसार सरकार ने गतिरोध खत्म करने के लिए उन प्रावधानों का संभावित हल तैयार कर लिया है जिन पर किसानों को ऐतराज है.

मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन तेज होगा
किसानों ने भावी कदम तय करने के लिए दिन के समय बैठक की. बैठक के बाद किसान नेताओं में एक गुरनाम सिंह चडोनी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि केंद्र सरकार शनिवार की वार्ता के दौरान उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है, तो वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करेंगे.

क्या कहा हरिंदर सिंह लखोवाल ने
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा, आज की हमारी बैठक में हमने आठ दिसम्बर को 'भारत बंद' का आह्वान करने का फैसला किया और इस दौरान हम सभी टोल प्लाजा पर कब्जा भी कर लेंगे.

उन्होंने कहा, यदि इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो हमने आने वाले दिनों में दिल्ली की शेष सड़कों को अवरूद्ध करने की योजना बनाई है.

पदक लौटाएंगे
उन्होंने कहा कि किसान शनिवार को केंद्र सरकार और कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और उनके पुतले फूकेंगे. उन्होंने कहा कि सात दिसम्बर को खिलाड़ी किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए अपने पदक लौटाएंगे.

मांग पर अड़े किसान
किसान नेता अपनी इस मांग पर अड़ गये हैं कि इन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र संसद का विशेष सत्र बुलाये. उनका कहना है कि वे नये कानूनों में संशोधन नहीं चाहते हैं बल्कि वे चाहते हैं कि इन कानूनों को निरस्त किया जाये.

चिंताओं को दूर करने का प्रयास
बृहस्पतिवार को तोमर ने विभिन्न किसान संगठनों के 40 किसान नेताओं के समूह को आश्वासन दिया था कि सरकार किसान संगठनों की चिंताओं को दूर करने के प्रयास के तहत मंडियों को मजबूत बनाने, प्रस्तावित निजी बाजारों के साथ समान परिवेश सृजित करने और विवाद समाधान के लिये किसानों को ऊंची अदालतों में जाने की आजादी दिये जाने जैसे मुद्दों पर विचार करने को तैयार है.

उन्होंने यह भी कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद व्यवस्था जारी रहेगी.

लेकिन दूसरे पक्ष ने कानूनों में कई खामियों और विसंगतियों को गिनाते हुये कहा कि इन कानूनों को सितंबर में जल्दबाजी में पारित किया गया.

राकेश टिकैत ने क्या कहा जानें
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार पांचवें दौर की वार्ता में उनकी मांगें मान लेगी.

टिकैत ने कहा, सरकार और किसान बृहस्पतिवार को बैठक में किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे. सरकार तीनों कानूनों में संशोधन करना चाहती है लेकिन हम चाहते हैं कि ये कानून पूरी तरह वापस लिये जाएं.

इस बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को हड़बड़ी में नहीं लाया गया, इन्हें हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा और काफी विचार विमर्श के बाद लाया गया तथा इनसे किसानों को फायदा होगा.

दिल्ली के बॉर्डर बिंदुओं पर पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों का प्रदर्शन लगातार नौ दिनों से जारी है. राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर यातायात बहुत सुस्त रहा है. पुलिस ने दिल्ली को हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाली अहम मार्गों को बंद रखा.

ममता का समर्थन
इस बीच किसान संगठन विभिन्न पक्षों का समर्थन जुटाने में लगे हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस उनके साथ खड़ी है.

इनेलो नेता अभय चौटाला का बयान
इनेलो नेता अभय चौटाला ने कहा, सरकार को मामले को नहीं खींचना चाहिए. उसे इन कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग पर राजी होकर इस मामले का तत्काल हल करना चाहिए. सरकार को एमएसपी पर लिखित आश्वासन भी देना चाहिए.

आरजेडी प्रदर्शन करेगा
उधर बिहार में विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल ने कहा कि वह कृषि कानूनों के विरोध में शनिवार को पटना में प्रदर्शन करेगा. राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि गांधी मैदान में धरना दिया जाएगा.

इस बीच भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त नादिर पटेल को तलब कर उनसे कहा कि किसानों के आंदोलन के संबंध में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और वहां के कुछ अन्य नेताओं की टिप्पणी देश के आंतरिक मामलों में एक अस्वीकार्य हस्तक्षेप के समान है.

पढ़ें : कृषि कानूनों के खिलाफ 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान

किसान समुदाय को आशंका है कि केंद्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की अनुकंपा पर छोड़ दिया जायेगा.

सरकार लगातार कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत होगी.

Last Updated : Dec 5, 2020, 10:43 PM IST
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