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उत्तर प्रदेश में जैविक खाद्य प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन

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Published : Sep 9, 2020, 10:38 PM IST

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने आज उत्तर प्रदेश के बाराबंकी स्थित जैविक खाद्य प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन किया. यह उद्घाटन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया गया था. इस इकाई से 5,000 किसान लाभान्वित होंगे इसके साथ ही 50.33 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है.

Minister Harsimrat Kaur Badal
मंत्री हरसिमरत कौर बादल

नई दिल्ली : खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उत्तर प्रदेश के बाराबंकी स्थित जैविक खाद्य प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन किया. इस इकाई के उद्घाटन से यहां करीब 5,000 किसानों को लाभ होगा. केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बताया कि इससे 50.33 करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है. उद्घाटन करते हुए बादल ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में मजबूत वृद्धि देखी जा रही है. इस वर्चुअल उद्घाटन के दौरान रामेश्वर तेली, पुष्पा सुब्रह्मण्यम, सचिव एमओएपटीपी और मेसर्स ऑर्गेनिक इंडिया के प्रमोटर भी मौजूद थे.

बादल ने यूनिट के प्रमोटरों से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के जैविक खंड में नए-नए उत्पादों के प्रयोग और निवेश करने का आग्रह किया. उन्होंने लगभग 30 देशों को चाय उत्पादों की एक श्रृंखला का निर्यात करने के लिए यूपी में एक विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रमोटरों की सराहना की. उन्होंने आगे कहा कि सभी आवश्यक वैश्विक प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले प्रमोटरों के साथ, भारत के जैविक उत्पादों को विश्व स्तर पर प्रसिद्ध बनाने का उनका मिशन, भारत के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान के दृष्टिकोण को बढ़ावा देगा. उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र मूल्य वर्धित वस्तुओं के निर्यात की अपार संभावना है, जो न केवल विदेशी मुद्रा अर्जित करेगा बल्कि घरेलू बाजार में रोजगार भी पैदा करेगा. उन्होंने बताया कि 2019-2020 के लिए एफडीओई डेटा 2018-19 में 44% की वृद्धि दर्शाता है. उन्होंने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र लगभग 8.41% के औसत वार्षिक विकास दर (एएजीआर) में विकसित हुआ है.

इस इकाई का नाम मैसर्स ऑर्गेनिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड है. लिमिटेड के 100 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और 250 लोगों के अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होने की संभावना है. मेसर्स आर्गेनिक इंडिया प्रा. लिमिटेड को कुल 55.13 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है. मंत्रालय की ओर से 4.80 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है. इस इकाई की प्रसंस्करण क्षमता प्रति दिन तीन मीट्रिक टन की बनाई गई है. इसमें 350 करोड़ रुपये की कृषि उपज प्रसंस्करण होगा. इस इकाई में निर्मित उत्पाद तुलसी ग्रीन टी, स्वीट लेमन ग्रीन टी, लेमन जिंजर ग्रीन टी, अनार ग्रीन टी, स्वीट रोज, तुलसी मसाला है. यह उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के फेज -2, यूपीएसआईडीसी औद्योगिक क्षेत्र के एग्रो पार्क में 12,903 वर्ग मीटर / 3.18 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है.

उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षमता के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की विभिन्न कृषि कच्चे माल के आधार पर यूपी में कृषि के अनुकूल जलवायु विशेषताएं राज्य के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विकसित करने के लिए अपेक्षित मंच प्रदान करती है. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र राज्य अर्थव्यवस्था में कृषि और उद्योग के दो मुख्य क्षेत्रों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकता है. उन्होंने आगे कहा कि यह क्षेत्र प्रमुख चुनौती जैसे फसलों को नुकसान, विपणन विकल्पों की कमी और किसानों की कम आय के साथ-साथ ग्रामीण आबादी को रोजगार के अवसर प्रदान कर सकता है.

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) की पहल के बारे में केंद्रीय मंत्री ने साझा किया कि ईज ऑउ डूइंग बिजनेस को बेहतर बनाने के लिए एमओएफपीआई ने आईटी उपकरणों का उपयोग करके कई पहल लागू की है. उन्होंने कहा कि योजनाओं के बारे में सभी जानकारी, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के बारे में महत्वपूर्ण रिपोर्ट, निवेश से संबंधित जानकारी और संबंधित योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन करने के विकल्प मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए हैं. उन्होंने सभी से मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर 'क्लिक' और 'कनेक्ट' करने का आग्रह किया और आश्वासन दिया कि उनके आवेदनों पर पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से विचार किया जाएगा.

पढ़ें - छत्तीसगढ़ : कृषि वैज्ञानिकों ने 17 एकड़ बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ

उद्घाटन पर संबोधित करते हुए, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग रामेश्वर तेली, ने इस खाद्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के लिए यूनिट के प्रमोटरों को बधाई दी जो किसानों को लाभान्वित करेंगे और क्षेत्र के लोगों को रोजगार प्रदान करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि यह परियोजना आसपास के क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. कृषि के विकास, मूल्य संवर्धन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र आवश्यक है.

उत्तर प्रदेश राज्य में 2014 से मंत्रालय ने अब तक 51 परियोजनाओं को मंजूरीद दी है. जिसकी कुल परियोजना लाग 1109.30 करोड़ रुपये, अनुदान सहायता 93.40 करोड़ रुपये और निजी निवेश 815.90 करोड़ रुपये है.

नई दिल्ली : खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उत्तर प्रदेश के बाराबंकी स्थित जैविक खाद्य प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन किया. इस इकाई के उद्घाटन से यहां करीब 5,000 किसानों को लाभ होगा. केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बताया कि इससे 50.33 करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है. उद्घाटन करते हुए बादल ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में मजबूत वृद्धि देखी जा रही है. इस वर्चुअल उद्घाटन के दौरान रामेश्वर तेली, पुष्पा सुब्रह्मण्यम, सचिव एमओएपटीपी और मेसर्स ऑर्गेनिक इंडिया के प्रमोटर भी मौजूद थे.

बादल ने यूनिट के प्रमोटरों से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के जैविक खंड में नए-नए उत्पादों के प्रयोग और निवेश करने का आग्रह किया. उन्होंने लगभग 30 देशों को चाय उत्पादों की एक श्रृंखला का निर्यात करने के लिए यूपी में एक विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रमोटरों की सराहना की. उन्होंने आगे कहा कि सभी आवश्यक वैश्विक प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले प्रमोटरों के साथ, भारत के जैविक उत्पादों को विश्व स्तर पर प्रसिद्ध बनाने का उनका मिशन, भारत के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान के दृष्टिकोण को बढ़ावा देगा. उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र मूल्य वर्धित वस्तुओं के निर्यात की अपार संभावना है, जो न केवल विदेशी मुद्रा अर्जित करेगा बल्कि घरेलू बाजार में रोजगार भी पैदा करेगा. उन्होंने बताया कि 2019-2020 के लिए एफडीओई डेटा 2018-19 में 44% की वृद्धि दर्शाता है. उन्होंने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र लगभग 8.41% के औसत वार्षिक विकास दर (एएजीआर) में विकसित हुआ है.

इस इकाई का नाम मैसर्स ऑर्गेनिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड है. लिमिटेड के 100 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और 250 लोगों के अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होने की संभावना है. मेसर्स आर्गेनिक इंडिया प्रा. लिमिटेड को कुल 55.13 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है. मंत्रालय की ओर से 4.80 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है. इस इकाई की प्रसंस्करण क्षमता प्रति दिन तीन मीट्रिक टन की बनाई गई है. इसमें 350 करोड़ रुपये की कृषि उपज प्रसंस्करण होगा. इस इकाई में निर्मित उत्पाद तुलसी ग्रीन टी, स्वीट लेमन ग्रीन टी, लेमन जिंजर ग्रीन टी, अनार ग्रीन टी, स्वीट रोज, तुलसी मसाला है. यह उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के फेज -2, यूपीएसआईडीसी औद्योगिक क्षेत्र के एग्रो पार्क में 12,903 वर्ग मीटर / 3.18 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है.

उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षमता के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की विभिन्न कृषि कच्चे माल के आधार पर यूपी में कृषि के अनुकूल जलवायु विशेषताएं राज्य के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विकसित करने के लिए अपेक्षित मंच प्रदान करती है. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र राज्य अर्थव्यवस्था में कृषि और उद्योग के दो मुख्य क्षेत्रों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकता है. उन्होंने आगे कहा कि यह क्षेत्र प्रमुख चुनौती जैसे फसलों को नुकसान, विपणन विकल्पों की कमी और किसानों की कम आय के साथ-साथ ग्रामीण आबादी को रोजगार के अवसर प्रदान कर सकता है.

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) की पहल के बारे में केंद्रीय मंत्री ने साझा किया कि ईज ऑउ डूइंग बिजनेस को बेहतर बनाने के लिए एमओएफपीआई ने आईटी उपकरणों का उपयोग करके कई पहल लागू की है. उन्होंने कहा कि योजनाओं के बारे में सभी जानकारी, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के बारे में महत्वपूर्ण रिपोर्ट, निवेश से संबंधित जानकारी और संबंधित योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन करने के विकल्प मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए हैं. उन्होंने सभी से मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर 'क्लिक' और 'कनेक्ट' करने का आग्रह किया और आश्वासन दिया कि उनके आवेदनों पर पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से विचार किया जाएगा.

पढ़ें - छत्तीसगढ़ : कृषि वैज्ञानिकों ने 17 एकड़ बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ

उद्घाटन पर संबोधित करते हुए, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग रामेश्वर तेली, ने इस खाद्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के लिए यूनिट के प्रमोटरों को बधाई दी जो किसानों को लाभान्वित करेंगे और क्षेत्र के लोगों को रोजगार प्रदान करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि यह परियोजना आसपास के क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. कृषि के विकास, मूल्य संवर्धन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र आवश्यक है.

उत्तर प्रदेश राज्य में 2014 से मंत्रालय ने अब तक 51 परियोजनाओं को मंजूरीद दी है. जिसकी कुल परियोजना लाग 1109.30 करोड़ रुपये, अनुदान सहायता 93.40 करोड़ रुपये और निजी निवेश 815.90 करोड़ रुपये है.

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